भूमि प्रजातियाँ (Landraces) क्या होती हैं?
भूमि प्रजातियाँ वे पारंपरिक फसल किस्में होती हैं जो पीढ़ियों से किसानों द्वारा प्राकृतिक अनुकूलन और चयन के माध्यम से विकसित हुई हैं। ये किस्में स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त होती हैं और उनमें कीट–प्रतिरोधकता, उत्कृष्ट पोषण और पर्यावरणीय संतुलन की विशेषताएं होती हैं।
Static GK Fact: भारत में 166 से अधिक कृषि–जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट हैं, विशेषकर आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्रों में।
हरित क्रांति और भूमि प्रजातियों का क्षरण
1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति ने देश में खाद्य उत्पादन बढ़ाया, लेकिन इसके कारण पारंपरिक बीजों का उपयोग घट गया। ओडिशा जैसे राज्यों में किसानों ने एकसमान हाई–यील्डिंग वैरायटी (HYV) अपनाई, जिससे पारंपरिक बीज लगभग समाप्त हो गए।
Static GK Fact: हरित क्रांति की शुरुआत भारत में गेहूं और धान की फसलों से हुई थी।
भूमि प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के लिए SOP
ओडिशा सरकार ने अगस्त 2025 में श्री अन्ना अभियान के तहत भूमि प्रजातियों के संरक्षण के लिए Standard Operating Procedure (SOP) जारी की है। यह किसान–नेतृत्व वाली संरचना पर आधारित है और पारंपरिक बीजों को कृषि में औपचारिक रूप से वापसी दिलाने का प्रयास है।
मुख्य विशेषताएं:
- कृषि जैव विविधता सर्वेक्षण द्वारा भूमि प्रजातियों की पहचान (उत्पादन, कीट प्रतिरोध)
- फसल विविधता ब्लॉक (CDB) – उप-जिलाई स्तर पर बीज उत्पादन के लिए
- समुदाय बीज केंद्र (CSC) – स्वयं सहायता समूहों और किसानों द्वारा संचालित
- डिजिटल पंजीकरण – स्थानीय नाम, उपयोग और विशेषताओं सहित
- Participatory Varietal Selection (PVS) – विभिन्न क्षेत्रों में किसान आधारित परीक्षण
- बीज गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए LVRC (Landrace Varietal Release Committee) का गठन
कानूनी मान्यता और किसानों के अधिकार
इस SOP के तहत बीजों का स्वामित्व समुदायों और संरक्षक किसानों के नाम दर्ज किया जाएगा। उनके स्थानीय नाम भी डिजिटल डेटाबेस में संरक्षित किए जाएंगे।
Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act (PPVFRA), 2001 के तहत किसानों को बीजों को उपयोग, संरक्षण और साझा करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है।
Static GK Tip: यह अधिनियम कृषि मंत्रालय के अंतर्गत PPV&FR प्राधिकरण द्वारा प्रशासित होता है।
अब तक की प्रगति और वैश्विक मान्यता
ओडिशा में अब तक 163 भूमि प्रजातियाँ संरक्षित की जा चुकी हैं, जिनमें से 14 को किसान पसंद करते हैं और 103 का पोषण परीक्षण जारी है। यह पूरी पहल FAO द्वारा कोरापुट को GIAHS घोषित करने की मान्यता के अनुरूप है।
Static GK Fact: FAO ने 2012 में कोरापुट (ओडिशा) को Globally Important Agricultural Heritage Site (GIAHS) घोषित किया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
SOP लॉन्च तिथि | अगस्त 2025 |
राज्य | ओडिशा |
संरक्षित भूमि प्रजातियाँ | 163 किस्में |
अंतरराष्ट्रीय मान्यता | कोरापुट – FAO द्वारा GIAHS घोषित (2012) |
लागू अधिनियम | PPVFRA, 2001 (पौधा किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम) |
प्रशासकीय प्राधिकरण | कृषि मंत्रालय के अंतर्गत PPV&FR प्राधिकरण |
प्रमुख योजना | श्री अन्ना अभियान (Shree Anna Abhiyan) |
समुदाय केंद्रित पहल | CSC (Community Seed Centres) |
मूल्यांकन समिति | LVRC (Landrace Varietal Release Committee) |
अंतरराष्ट्रीय समर्थन | FAO के GIAHS पहल के माध्यम से |