एक महान रानी को श्रद्धांजलि
भारत लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करता है। 1725 में जन्मी यह मालवा राज्य की वीर रानी आज भी अपनी नीति, धर्मनिष्ठा और नेतृत्व क्षमता के लिए इतिहास में अमर हैं। उन्हें दार्शनिक रानी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने शासन को सेवा, धर्म और न्याय का माध्यम बनाया।
साधारण से असाधारण तक
अहिल्याबाई का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चोंडी गाँव में हुआ था। एक सामान्य ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने भारत की सबसे सम्मानित शासकों में स्थान प्राप्त किया। उनका विवाह मल्हारराव होलकर से हुआ, जो उस समय मराठा साम्राज्य के अधीन मालवा क्षेत्र के प्रमुख थे।
व्यक्तिगत दुखों और राजनीतिक संकटों के बावजूद, पेशवा ने उन्हें शासन करने की अनुमति दी और 1767 में उन्होंने इंदौर की गद्दी संभाली। उनका शासनकाल मालवा के लिए एक स्वर्ण युग साबित हुआ।
सांस्कृतिक पुनरुत्थान की अग्रदूत
अहिल्याबाई सिर्फ शासिका नहीं थीं, वे एक पुनरुत्थान की प्रेरक थीं। उन्होंने महेश्वर में वस्त्र उद्योग की स्थापना कर महेश्वरी साड़ियों की परंपरा को पुनर्जीवित किया, जो आज भी प्रसिद्ध है।
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, जुना सोमनाथ मंदिर (गुजरात) जैसे देशभर के प्रमुख मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया। उनका सबसे बड़ा योगदान 12 ज्योतिर्लिंग स्थलों में निर्माण/पुनर्निर्माण करना था—जैसे काशी, हरिद्वार, रामेश्वरम आदि। यह कार्य उनकी आध्यात्मिक सोच और सांस्कृतिक दूरदृष्टि को दर्शाते हैं।
योद्धा और निर्माता
उनकी कार्यशैली केवल आध्यात्मिक नहीं थी, वह व्यवहारिक और प्रगतिशील भी थीं। उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे महेश्वर किले का निर्माण कराया, जिसे आज अहिल्या किला कहा जाता है। यह किला उस समय का प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया।
उन्होंने महिलाओं की एक सेना भी बनाई—यह कदम उस युग में नारी सशक्तिकरण और सुरक्षा की दिशा में साहसिक पहल थी। उनका शासन न्याय, कल्याण और समावेशिता पर आधारित था, जिसे उनके आलोचकों ने भी सराहा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
जन्मस्थान | चोंडी गाँव, अहमदनगर (महाराष्ट्र) |
जन्मवर्ष | 1725 |
राजकीय उपाधि | मालवा की दार्शनिक रानी |
शासन की शुरुआत | 1767, पेशवा की अनुमति से |
वस्त्र परंपरा में योगदान | महेश्वरी साड़ियों का पुनरुद्धार |
प्रमुख मंदिर निर्माण/पुनर्निर्माण | काशी विश्वनाथ, जुना सोमनाथ, हरिद्वार, रामेश्वरम |
ज्योतिर्लिंग योगदान | 12 में से 2 ज्योतिर्लिंगों का पुनर्निर्माण |
किला निर्माण | महेश्वर किला (अब अहिल्या किला), नर्मदा नदी के किनारे |
सैन्य नवाचार | महिलाओं की सेना का गठन |
मृत्यु वर्ष | 1795 |