पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम
आयुष मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ‘आयुष सुरक्षा पोर्टल‘ पारंपरिक चिकित्सा जैसे आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह मंच नागरिकों और चिकित्सा पेशेवरों को भ्रामक विज्ञापनों और दवा की प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं (ADRs) की रिपोर्ट करने की सुविधा देता है। यह केवल निगरानी के लिए नहीं है, बल्कि लोगों की भागीदारी से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।
रियल-टाइम ट्रैकिंग के साथ स्मार्ट फीचर्स
यह पोर्टल राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों, राष्ट्रीय औषधि निगरानी केंद्रों और अन्य नियामक संस्थाओं से डेटा एकत्र करता है और रीयल–टाइम में अपडेट होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी हर्बल सिरप से नुकसान महसूस करता है या डायबिटीज़ के इलाज का झूठा दावा करने वाले विज्ञापन को देखता है, तो वह इसे पोर्टल पर रिपोर्ट कर सकता है, और संबंधित प्राधिकरण को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है।
न्यायिक और तकनीकी शक्ति से समर्थित
इस पोर्टल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका महत्वपूर्ण रही। जुलाई 2024 में, अदालत ने केंद्र सरकार को आयुष प्रणाली में ADRs और झूठे विज्ञापनों की निगरानी के लिए एक प्रणाली बनाने का निर्देश दिया था। इसके जवाब में मंत्रालय ने तय समयसीमा से पहले ही पोर्टल शुरू कर दिया।
तकनीकी पक्ष से, सिद्ध अनुसंधान परिषद (CCRS) ने इस पोर्टल को भारत की फार्माकोविजिलेंस प्रणाली के अनुसार डिज़ाइन किया है, जिससे पारंपरिक चिकित्सा अब आधुनिक तकनीक से जुड़ती जा रही है।
बहु-एजेंसी समन्वय प्रणाली
यह पोर्टल CDSCO (आयुष डिवीजन), सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MoI&B) तथा अन्य राज्य स्तरीय एजेंसियों को एक ही डिजिटल मंच से जोड़ता है। शिकायतें एक राज्य से दूसरे में अग्रेषित की जा सकती हैं और कार्रवाई की स्थिति को भी ट्रैक किया जा सकता है।
प्रशिक्षित नोडल अधिकारी
अप्रैल 2025 में इस पोर्टल के लाइव होने से पहले सभी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में तीव्रता, स्पष्टता और सटीकता पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे सभी एजेंसियां किसी भी गंभीर मामले में तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें।
लोगों का भरोसा बढ़ाने वाली पहल
आयुष सुरक्षा पोर्टल पारंपरिक चिकित्सा में उपभोक्ताओं और डॉक्टरों का भरोसा बढ़ाने में मदद करेगा। अब अगर किसी को कोई साइड इफेक्ट होता है या कोई भ्रामक दावा दिखता है, तो वह जानता है कि कहां रिपोर्ट करनी है। यह डिजिटल गवर्नेंस का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो नागरिक कल्याण को प्राथमिकता देता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
लॉन्च वर्ष | 2025 |
विकसित करने वाली संस्था | आयुष मंत्रालय व सिद्ध अनुसंधान परिषद (CCRS) |
आधार | सुप्रीम कोर्ट का आदेश (जुलाई 2024) |
मुख्य कार्य | ADRs और भ्रामक विज्ञापनों की रिपोर्टिंग |
जुड़े नियामक निकाय | CDSCO (आयुष डिवीजन), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, SLA |
तकनीकी साझेदार | केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद (CCRS) |
पहला प्रशिक्षण | अप्रैल 2025 |
संबंधित स्थैतिक जानकारी | भारत में फार्माकोविजिलेंस WHO के तहत 1968 में शुरू हुआ |
मंत्रालय का मुख्यालय | आयुष मंत्रालय – नई दिल्ली |
विनियमित पारंपरिक प्रणाली | आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी |