विदेशी ऋण में भारतीय रुपये की एंट्री
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपये को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य मुद्रा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। RBI ने हाल ही में भारत सरकार से अनुमति मांगी है कि घरेलू बैंक अब भारत के बाहर भी रुपये में ऋण प्रदान कर सकें। अभी तक भारत के बैंक केवल विदेशी मुद्राओं में ही विदेशी उधारकर्ताओं को ऋण दे सकते थे।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य है कि भारतीय रुपये का उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विशेषकर बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बढ़े। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो इसे और देशों में भी लागू किया जा सकता है।
क्यों पड़ोसी देशों पर केंद्रित है पहल?
भारत और दक्षिण एशियाई देशों के बीच 2024–25 में लगभग $25 बिलियन का व्यापार हुआ। इसमें से 90% निर्यात केवल बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका को गया। यदि इस व्यापार में रुपये का प्रयोग हो, तो डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम होगी और लेन–देन सरल बनेगा।
RBI की अब तक की प्रमुख पहलें
RBI ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कई कदम पहले ही उठाए हैं:
- गैर–निवासियों को विदेशी धरती पर रुपये खाते खोलने की अनुमति दी गई।
- विदेशी बैंकों के वॉस्ट्रो खातों पर सीमा हटाई गई ताकि भारतीय सरकारी बॉन्ड में निवेश बढ़ सके।
इन उपायों से रुपये में व्यापार और निवेश को प्रोत्साहन मिला है।
वर्तमान ऋण प्रतिबंध और नई सोच
फिलहाल, भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएँ केवल विदेशी मुद्राओं में ऋण दे सकती हैं, जिससे रुपये की भूमिका सीमित रह जाती है।
RBI का नया प्रस्ताव रुपये में ऋण देने की अनुमति देकर विदेशी विनिमय जोखिम को घटाएगा और व्यापारियों के लिए समझौते (settlements) को आसान बनाएगा।
सरकारी क्रेडिट लाइन पर निर्भरता घटाना
अभी तक दूसरे देशों में रुपया तरलता (liquidity) मुख्यतः सरकारी गारंटी वाले ऋणों या मुद्रा विनिमय समझौतों पर निर्भर है।
RBI अब चाहता है कि व्यापारिक बैंक बाज़ार आधारित तरीके से रुपया उपलब्ध कराएं, ताकि सरकार पर निर्भरता कम हो।
स्थानीय मुद्रा समझौतों में पिछली सफलता
भारत ने पहले यूएई, इंडोनेशिया और मालदीव जैसे देशों के साथ स्थानीय मुद्रा समझौते किए हैं। इससे यह सिद्ध हुआ कि स्थानीय मुद्रा में लेन–देन संभव है और इससे व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा मिला।
RBI की यह ताज़ा पहल दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारतीय रुपये को वैश्विक व्यापार मुद्रा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक नया अध्याय है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
RBI पहल | विदेशों में रुपये में ऋण देने की अनुमति हेतु प्रस्ताव |
प्रारंभिक लक्ष्य देश | बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका |
भारत-दक्षिण एशिया निर्यात (2024–25) | लगभग $25 बिलियन |
पड़ोसी देशों को निर्यात प्रतिशत | 90% |
मौजूदा ऋण सीमा | केवल विदेशी मुद्राओं में ऋण |
RBI के अब तक के उपाय | विदेश में रुपये खाता खोलने की अनुमति; वॉस्ट्रो सीमा हटाई |
पूर्व मुद्रा अदला-बदली साझेदार | यूएई, इंडोनेशिया, मालदीव |
उद्देश्य | रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ावा देना, विनिमय जोखिम कम करना |
लाभ | व्यापार समझौतों में आसानी, रुपये की तरलता में वृद्धि |