भारत में दर्ज हुई नई मकड़ी प्रजाति
पिराटुला अक्यूमिनाटा (Piratula acuminata) नामक मकड़ी की एक नई प्रजाति की पहचान सुंदरबन डेल्टा के सागर द्वीप पर हुई है। यह पहली बार है जब पिराटुला वंश की किसी मकड़ी को भारत में दर्ज किया गया है, जिससे भारत की मकड़ी प्रजातियों का दायरा और व्यापक हो गया है।
इस खोज का नेतृत्व कोलकाता स्थित प्राणी सर्वेक्षण विभाग (ZSI) के वैज्ञानिकों ने किया है, जो क्षेत्र की जैव विविधता को उजागर करता है।
आकार और वैज्ञानिक प्रमाणन
यह मकड़ी आकार में 8 से 10 मिमी की छोटी से मध्यम होती है, जिसका शरीर हल्के रंग का होता है और गहरे भूरे और सफेद चॉक जैसे निशान पेट पर पाए जाते हैं। इसके पीठ पर दो हल्के भूरे रंग की पट्टियाँ भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं।
इस मकड़ी को सूक्ष्म शरीर रचना, विशेष रूप से प्रजनन अंगों के आधार पर एक नई प्रजाति के रूप में मान्यता दी गई है।
पिराटुला वंश की विशेषता
वुल्फ स्पाइडर के रूप में जानी जाने वाली लाइकोसिडी (Lycosidae) परिवार की यह मकड़ी जाल नहीं बनाती, बल्कि जमीन पर चुपके से शिकार करती है।
पिराटुला वंश एशिया के कई देशों में पाया जाता है, लेकिन पहली बार भारत में इसकी मौजूदगी दर्ज हुई है, जिससे यह भारत की नई अरैक्निड प्रविष्टि बन गई है।
स्थैतिक जीके तथ्य: लाइकोसिडी परिवार में दुनिया भर में 2,400 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो अकेले शिकार करने के लिए जानी जाती हैं।
सागर द्वीप का समृद्ध आवास
सागर द्वीप, निचली गंगा डेल्टा में स्थित, मैंग्रोव–समृद्ध सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है। यहां कीचड़युक्त मैदान, ज्वारीय नदियाँ और घनी तटीय वनस्पति मिलकर विविध जीवों का समर्थन करते हैं।
नई मकड़ी की खोज से पता चलता है कि क्षेत्र की जैव विविधता अभी भी कम अध्ययन की गई है, और अधिक वैज्ञानिक खोज की आवश्यकता है।
स्थैतिक जीके टिप: सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है और UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त बायोस्फीयर रिज़र्व है।
पारिस्थितिक संरक्षण का महत्त्व
जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि, और मानव हस्तक्षेप जैसे कारकों से सुंदरबन की नाजुक पारिस्थितिकी को खतरा है।
ऐसे कम प्रसिद्ध जीवों का संरक्षण, जैसे कि पिराटुला अक्यूमिनाटा, पारिस्थितिकी की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: सुंदरबन क्षेत्र में लगभग 45 लाख लोग रहते हैं, जिससे मानव–वन्यजीव संतुलन एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
अनुसंधान दल और वैज्ञानिक समर्थन
यह अध्ययन ZSI कोलकाता के डॉ. सौविक सेन और सुधिन पी.पी. तथा सैक्रेड हार्ट कॉलेज, केरल के डॉ. प्रदीप एम. संकरण द्वारा किया गया। इनका शोध ‘Zootaxa’ नामक पीयर-रिव्यूड जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
यह खोज भारत की वैज्ञानिक टैक्सोनॉमी को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
मकड़ी का नाम | पिराटुला अक्यूमिनाटा |
भारत में वंश की पहली दर्ज उपस्थिति | पिराटुला (Piratula) |
परिवार | लाइकोसिडी (वुल्फ स्पाइडर) |
खोज स्थान | सागर द्वीप, सुंदरबन |
शरीर की विशेषता | हल्का सफेद रंग, भूरे धब्बे और धारियाँ |
खोजकर्ता संस्थान | ZSI कोलकाता और सैक्रेड हार्ट कॉलेज, कोच्चि |
प्रकाशित जर्नल | Zootaxa |
शिकार की शैली | जमीन पर घात लगाकर शिकार, बिना जाल |
सुंदरबन को खतरे | जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि, मानव गतिविधि |
UNESCO स्थिति | विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) |