जुलाई 27, 2025 12:12 पूर्वाह्न

वैवाहिक क्रूरता के मामलों में कूलिंग-ऑफ नियम

चालू घटनाएँ: धारा 498A आईपीसी, सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट, वैवाहिक क्रूरता, भारतीय न्याय संहिता 2023, कूलिंग पीरियड, गैर-जमानती अपराध, पुलिस दिशा-निर्देश, महिलाओं का कानूनी संरक्षण

Cooling-Off Rule for Matrimonial Cruelty Cases

धारा 498A: विवाहित महिलाओं के लिए सुरक्षा कानून

भारतीय दंड संहिता की धारा 498A की शुरुआत 1983 में की गई थी, जिससे विवाहित महिलाओं को पति या ससुराल वालों द्वारा की जाने वाली क्रूरता से संरक्षण मिल सके।
यह कानून उस किसी भी जानबूझकर की गई क्रूरता को दंडित करता है, जिससे महिला की जान, स्वास्थ्य या मानसिक स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचे।
यह अपराध गंभीर (cognizable) और गैरजमानती (non-bailable) है, और इसमें 3 साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।
Static GK तथ्य: 1983 का यह संशोधन दहेज मृत्यु और घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों के विरुद्ध एक ऐतिहासिक कदम था।

सुप्रीम कोर्ट ने लागू किया कूलिंग-ऑफ पीरियड

2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2022 में सुझाए गए दिशानिर्देशों को लागू करने का आदेश दिया।
इस निर्देश के अनुसार, धारा 498A के तहत किसी भी पुलिस कार्रवाई से पहले 2 महीने का कूलिंग पीरियड अनिवार्य किया गया है।
इसका उद्देश्य कानून के दुरुपयोग को रोकना और पति-पत्नी के बीच समझौते या मध्यस्थता का अवसर देना है।

दिशा-निर्देशों का प्रभाव

इस कूलिंग पीरियड के दौरान पुलिस सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती और कोई कठोर कार्रवाई जिला परिवार कल्याण समिति (Family Welfare Committee) की मंज़ूरी के बिना नहीं की जा सकती।
हालांकि, यदि मामला गंभीर चोट, मृत्यु या शारीरिक हिंसा से जुड़ा है, तो पुलिस विशेष परिस्थिति में तत्काल कार्रवाई कर सकती है
Static GK टिप: भारत के कानून आयोग की 243वीं रिपोर्ट में भी धारा 498A के दुरुपयोग पर चिंता जताई गई थी और मनमाने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में समाहित प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत धारा 85 को शामिल किया गया है, जो पूर्व की धारा 498A IPC के समान है।
इसमें भी पति या ससुराल पक्ष द्वारा की गई क्रूरता पर दंड का प्रावधान है, और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का लक्ष्य वही रखा गया है।
Static GK तथ्य: भारतीय न्याय संहिता 2023 ने औपनिवेशिक काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) को आधुनिक भारतीय कानून से बदल दिया है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
धारा 498A का उद्देश्य विवाहिता महिला के प्रति पति या ससुराल वालों की क्रूरता को दंडित करना
सज़ा 3 वर्ष तक की जेल और जुर्माना
अपराध की प्रकृति संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-bailable)
प्रारंभ वर्ष 1983
सुप्रीम कोर्ट आदेश 2 माह का कूलिंग-ऑफ पीरियड लागू (2024)
इलाहाबाद हाईकोर्ट दिशा-निर्देश 2022 में जारी, गिरफ्तारी में विलंब की सिफारिश
BNS 2023 में धारा धारा 85 (498A के समतुल्य)
कूलिंग पीरियड का उद्देश्य दुरुपयोग रोकना और सुलह का अवसर देना
परिवार कल्याण समिति की भूमिका कूलिंग पीरियड के बाद पुलिस कार्रवाई को स्वीकृति देना
कानून आयोग रिपोर्ट 243वीं रिपोर्ट ने मनमानी गिरफ्तारी पर चिंता जताई
Cooling-Off Rule for Matrimonial Cruelty Cases
  1. आईपीसी की धारा 498A विवाहित महिलाओं के प्रति क्रूरता को अपराध बनाती है।
  2. यह अपराध गैर-जमानती, संज्ञेय है और 3 साल के कारावास से दंडनीय है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय ने 2024 में 2 महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि का समर्थन किया।
  4. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 में यह नियम लागू किया।
  5. यह जल्दबाजी में की जाने वाली गिरफ्तारियों को रोकता है और मध्यस्थता को प्रोत्साहित करता है।
  6. इस अवधि के दौरान गिरफ्तारी के लिए परिवार कल्याण समिति की मंज़ूरी आवश्यक है।
  7. पुलिस को तब तक कार्रवाई में देरी करनी चाहिए जब तक कि गंभीर चोट या मृत्यु न हो।
  8. इसका उद्देश्य झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए 498A मामलों को कम करना है।
  9. धारा 498A को 1983 के आईपीसी संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था।
  10. 243वीं विधि आयोग की रिपोर्ट में इस धारा के दुरुपयोग की ओर इशारा किया गया है।
  11. बीएनएस 2023 की धारा 85, नई संहिता में 498ए का स्थान लेगी।
  12. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, औपनिवेशिक काल की आईपीसी की जगह लेगी।
  13. धारा 85 में महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा अभी भी बरकरार है।
  14. परिवार कल्याण समितियाँ गिरफ्तारी समीक्षक के रूप में कार्य करेंगी।
  15. शांत-अवधि नियम अभियुक्तों और पीड़ितों के अधिकारों में संतुलन स्थापित करता है।
  16. 498ए के दुरुपयोग से परिवारों को अपूरणीय क्षति होती है।
  17. नए दिशानिर्देश न्यायिक विवेक और निष्पक्षता को मज़बूत करते हैं।
  18. कानून का उद्देश्य प्रक्रियात्मक दुरुपयोग के बिना न्याय प्रदान करना है।
  19. धारा 85, धारा 498ए के समान ही दंड का प्रावधान रखती है।
  20. यह भारत के मानवीय और सतर्क आपराधिक कानून की ओर बदलाव को दर्शाता है।

Q1. भारतीय दंड संहिता (IPC) की कौन सी धारा विवाहित महिलाओं पर क्रूरता से संबंधित है?


Q2. 498A के तहत गिरफ्तारी से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कितने समय की कूलिंग-ऑफ अवधि अनिवार्य की है?


Q3. कूलिंग-ऑफ गाइडलाइन की शुरुआत किस उच्च न्यायालय ने की थी?


Q4. भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) में 498A की समानता किस धारा में दी गई है?


Q5. किस विधि आयोग की रिपोर्ट ने 498A के दुरुपयोग को चिह्नित किया था?


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