धारा 498A: विवाहित महिलाओं के लिए सुरक्षा कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 498A की शुरुआत 1983 में की गई थी, जिससे विवाहित महिलाओं को पति या ससुराल वालों द्वारा की जाने वाली क्रूरता से संरक्षण मिल सके।
यह कानून उस किसी भी जानबूझकर की गई क्रूरता को दंडित करता है, जिससे महिला की जान, स्वास्थ्य या मानसिक स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचे।
यह अपराध गंभीर (cognizable) और गैर–जमानती (non-bailable) है, और इसमें 3 साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।
Static GK तथ्य: 1983 का यह संशोधन दहेज मृत्यु और घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों के विरुद्ध एक ऐतिहासिक कदम था।
सुप्रीम कोर्ट ने लागू किया कूलिंग-ऑफ पीरियड
2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2022 में सुझाए गए दिशा–निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया।
इस निर्देश के अनुसार, धारा 498A के तहत किसी भी पुलिस कार्रवाई से पहले 2 महीने का कूलिंग पीरियड अनिवार्य किया गया है।
इसका उद्देश्य कानून के दुरुपयोग को रोकना और पति-पत्नी के बीच समझौते या मध्यस्थता का अवसर देना है।
दिशा-निर्देशों का प्रभाव
इस कूलिंग पीरियड के दौरान पुलिस सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती और कोई कठोर कार्रवाई जिला परिवार कल्याण समिति (Family Welfare Committee) की मंज़ूरी के बिना नहीं की जा सकती।
हालांकि, यदि मामला गंभीर चोट, मृत्यु या शारीरिक हिंसा से जुड़ा है, तो पुलिस विशेष परिस्थिति में तत्काल कार्रवाई कर सकती है।
Static GK टिप: भारत के कानून आयोग की 243वीं रिपोर्ट में भी धारा 498A के दुरुपयोग पर चिंता जताई गई थी और मनमाने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में समाहित प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत धारा 85 को शामिल किया गया है, जो पूर्व की धारा 498A IPC के समान है।
इसमें भी पति या ससुराल पक्ष द्वारा की गई क्रूरता पर दंड का प्रावधान है, और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का लक्ष्य वही रखा गया है।
Static GK तथ्य: भारतीय न्याय संहिता 2023 ने औपनिवेशिक काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) को आधुनिक भारतीय कानून से बदल दिया है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
धारा 498A का उद्देश्य | विवाहिता महिला के प्रति पति या ससुराल वालों की क्रूरता को दंडित करना |
सज़ा | 3 वर्ष तक की जेल और जुर्माना |
अपराध की प्रकृति | संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-bailable) |
प्रारंभ वर्ष | 1983 |
सुप्रीम कोर्ट आदेश | 2 माह का कूलिंग-ऑफ पीरियड लागू (2024) |
इलाहाबाद हाईकोर्ट दिशा-निर्देश | 2022 में जारी, गिरफ्तारी में विलंब की सिफारिश |
BNS 2023 में धारा | धारा 85 (498A के समतुल्य) |
कूलिंग पीरियड का उद्देश्य | दुरुपयोग रोकना और सुलह का अवसर देना |
परिवार कल्याण समिति की भूमिका | कूलिंग पीरियड के बाद पुलिस कार्रवाई को स्वीकृति देना |
कानून आयोग रिपोर्ट | 243वीं रिपोर्ट ने मनमानी गिरफ्तारी पर चिंता जताई |