अगस्त 2, 2025 3:37 अपराह्न

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन मिला

समसामयिक मामले: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, अनुच्छेद 124 217 और 218, न्यायाधीश हटाने की प्रक्रिया, लोकसभा प्रस्ताव, राज्यसभा हस्ताक्षर, न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय हटाना, राष्ट्रपति का आदेश, न्यायिक जवाबदेही

Motion to Remove Justice Yashwant Varma Gains Cross-Party Support

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ ऐतिहासिक प्रस्ताव

लोकसभा के 145 सदस्यों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त, 50 से अधिक राज्यसभा सदस्यों ने भी इसी प्रकार के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अभूतपूर्व घटनाक्रम सर्वदलीय चिंता को दर्शाता है, जिसमें कथित न्यायिक दुराचार को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

संविधान के अनुच्छेद जो इस पर लागू होते हैं

न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4), 124(5), 217(1)(b), और 218 द्वारा विनियमित की जाती है।
अनुच्छेद 124(4) सुप्रीम कोर्ट के जज को दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर हटाने की अनुमति देता है।
अनुच्छेद 124(5) संसद को कानून बनाकर प्रक्रिया तय करने का अधिकार देता है, जिसके अंतर्गत जजेस इंक्वायरी एक्ट 1968 लाया गया था।
Static GK Fact: न्यायाधीशों को हटाने के लिए “महाभियोग” शब्द संविधान में कहीं नहीं आता, जबकि राष्ट्रपति के लिए यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर भी समान प्रक्रिया लागू

हालांकि जस्टिस वर्मा एक हाईकोर्ट जज हैं, परंतु उन्हें हटाने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो सुप्रीम कोर्ट जज के लिए निर्धारित है।
अनुच्छेद 217(1)(b) उच्च न्यायालय के जज को हटाने के लिए अनुच्छेद 124(4) का पालन अनिवार्य करता है।
अनुच्छेद 218 इस प्रक्रिया की वैधता उच्च न्यायालयों तक विस्तारित करता है।
Static GK Tip: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं (अनुच्छेद 217), और हटाने की प्रक्रिया केवल अनुच्छेद 124(4) के अनुसार हो सकती है।

न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया

  1. प्रस्ताव का प्रारंभ:
    • कम से कम 100 लोकसभा सदस्य या 50 राज्यसभा सदस्य हटाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते हैं।
    • प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति को सौंपा जाता है।
  2. जांच समिति का गठन:
    • सुप्रीम कोर्ट के एक जज
    • किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
    • एक प्रतिष्ठित न्यायविद
    तीनों मिलकर जांच समिति बनाते हैं। यदि न्यायाधीश दोषी पाया जाता है, तो अगला चरण प्रारंभ होता है।
  3. संसद में विशेष बहुमत से पारित:
    कुल सदस्य संख्या का बहुमत और
    मौजूद और मतदान कर रहे सदस्यों का दोतिहाई बहुमत
    दोनों सदनों द्वारा उसी सत्र में पारित होना अनिवार्य होता है।
  4. राष्ट्रपति का आदेश:
    • संसद से अनुमोदन मिलने के बाद राष्ट्रपति हटाने का आदेश जारी करते हैं।

Static GK Fact: भारत के इतिहास में अब तक कोई भी न्यायाधीश सफलतापूर्वक हटाया नहीं गया, हालांकि कई प्रस्ताव लाए जा चुके हैं।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
प्रस्ताव किसके विरुद्ध जस्टिस यशवंत वर्मा
लोकसभा में हस्ताक्षर 145 सदस्य
राज्यसभा में हस्ताक्षर 50+ सदस्य
प्रक्रिया का कानून जजेस इंक्वायरी एक्ट, 1968
सुप्रीम कोर्ट जज हटाने का अनुच्छेद अनुच्छेद 124(4)
उच्च न्यायालय पर विस्तार अनुच्छेद 217(1)(b) और 218
प्रस्ताव के लिए आवश्यक हस्ताक्षर लोकसभा: 100, राज्यसभा: 50
जांच समिति की संरचना SC जज, HC CJ, न्यायविद
आवश्यक बहुमत दोनों सदनों में विशेष बहुमत
अंतिम आदेश देने वाला भारत के राष्ट्रपति
Motion to Remove Justice Yashwant Varma Gains Cross-Party Support
  1. 145 लोकसभा और 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों ने निष्कासन प्रस्ताव दायर किया।
  2. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
  3. अनुच्छेद 124(4), 124(5), 217(1)(b) और 218 द्वारा शासित।
  4. न्यायाधीश जाँच अधिनियम, 1968 के तहत निष्कासन।
  5. संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता है।
  6. अनुच्छेद 124(4) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों के न्यायाधीशों पर लागू होता है।
  7. प्रस्ताव पर 100 लोकसभा या 50 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
  8. समिति में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायविद शामिल हैं।
  9. संसद को इसे उसी सत्र में पारित करना होगा।
  10. भारत के राष्ट्रपति द्वारा अंतिम निष्कासन।
  11. भारत में अभी तक किसी भी न्यायाधीश को सफलतापूर्वक नहीं हटाया गया है।
  12. स्थैतिक सामान्य ज्ञान: न्यायाधीशों के लिए “महाभियोग” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता।
  13. न्यायिक जवाबदेही और स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
  14. अनुच्छेद 217 के तहत राष्ट्रपति द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति।
  15. सिद्ध कदाचार या अक्षमता से संबंधित निष्कासन।
  16. सदन में बहस से पहले समिति जाँच करती है।
  17. प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान है।
  18. न्यायिक निष्कासन दुर्लभ और राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।
  19. सुरक्षा उपाय मनमाने ढंग से निष्कासन को रोकते हैं।
  20. भारत के न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना।

Q1. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की अनुमति किस अनुच्छेद में दी गई है?


Q2. न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया किस अधिनियम के तहत परिभाषित है?


Q3. राज्यसभा में न्यायाधीश हटाने के प्रस्ताव को समर्थन देने के लिए न्यूनतम कितने सदस्य आवश्यक हैं?


Q4. किसी न्यायाधीश को हटाने का अंतिम अधिकार किसके पास होता है?


Q5. न्यायाधीश को हटाने हेतु गठित जांच समिति की संरचना क्या होती है?


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