जलवायु प्रभावित क्षेत्रों के लिए वित्तीय कवच
भारत अब अपने पहले वेदर डेरिवेटिव (मौसमी व्युत्पन्न) लॉन्च करने की तैयारी में है — जो जलवायु जोखिम प्रबंधन में एक बड़ी वित्तीय नवाचार पहल मानी जा रही है। यह कदम नेशनल कमॉडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की साझेदारी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य किसानों और कृषि व्यवसायों को अनियमित वर्षा, अत्यधिक तापमान या असमय मौसम बदलाव से होने वाले नुकसान से बचाना है।
वेदर डेरिवेटिव कैसे काम करेंगे
यह उत्पाद आईएमडी के ऐतिहासिक और वास्तविक समय डेटा पर आधारित होगा, और स्थान–विशिष्ट तथा मौसम–आधारित अनुबंध तैयार किए जाएंगे।
प्रत्येक अनुबंध सांख्यिकीय रूप से प्रमाणित होगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी और कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए यह प्रासंगिक रहेगा।
उदाहरण के लिए, यदि विदर्भ क्षेत्र का कोई किसान किसी पूर्व निर्धारित वर्षा स्तर से कम वर्षा का अनुभव करता है, तो स्वचालित भुगतान ट्रिगर हो जाएगा।
वेदर डेरिवेटिव: एक अनोखा वित्तीय उत्पाद
पारंपरिक डेरिवेटिव्स जहां शेयर बाजार या वित्तीय परिसंपत्तियों से जुड़े होते हैं, वहीं वेदर डेरिवेटिव मौसम संकेतकों (जैसे वर्षा, तापमान, आर्द्रता) पर आधारित होते हैं।
ये एक पूर्व निर्धारित मौसम सूचकांक से जुड़े होते हैं, जिसे आमतौर पर IMD जैसी तटस्थ एजेंसी द्वारा मापा जाता है।
चूंकि मौसम की कोई व्यापारिक मूल्य नहीं होती, ये अपूर्ण बाजार के तहत आते हैं और व्यापार योग्य नहीं होते।
Static GK fact: दुनिया में सबसे पहले वेदर डेरिवेटिव 1990 के दशक में अमेरिका में ओवर-द-काउंटर (OTC) अनुबंधों के रूप में शुरू हुए थे।
कृषि से परे उपयोग
हालांकि प्राथमिक लाभार्थी किसान हैं, लेकिन ऊर्जा कंपनियां, बीमा कंपनियां और इवेंट आयोजक भी इससे लाभ उठा सकते हैं।
उदाहरण: तापमान के अनुसार बिजली की मांग बदलती है — तो ऊर्जा कंपनियां तापमान–आधारित अनुबंध से अपने राजस्व की सुरक्षा कर सकती हैं।
Static GK Tip: भारत में कृषि क्षेत्र में अब भी 45% से अधिक लोग कार्यरत हैं, और सालाना 20% फसल हानि मौसम से होती है।
विनियामक ढांचा और आगे की राह
इस उत्पाद की सफलता के लिए जरूरी है कि SEBI द्वारा स्पष्ट नियामक दिशा–निर्देश दिए जाएं और इसे बीमा व कृषि मंत्रालयों के साथ जोड़ा जाए।
NCDEX और IMD की साझेदारी इसकी शुरुआत मात्र है — इसका विस्तार जागरूकता, पहुँच और कानूनी मान्यता पर निर्भर करेगा।
भविष्य में, जब जलवायु परिवर्तन और अधिक तीव्र होगा, तब ऐसे उपकरण भारत की जलवायु लचीलापन रणनीति का आवश्यक हिस्सा बन सकते हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
लॉन्च संस्था | नेशनल कमॉडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) |
डेटा साझेदार | भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) |
उत्पाद प्रकार | वेदर डेरिवेटिव |
प्रयोग संकेतक | वर्षा, तापमान |
वैश्विक शुरुआत | अमेरिका, 1990 के दशक |
उपयोग क्षेत्र | कृषि, ऊर्जा, बीमा, कार्यक्रम आयोजन |
अनुबंध प्रकृति | स्थान-विशिष्ट, मौसमी, सूचकांक आधारित |
बाजार प्रकार | अपूर्ण बाजार (गैर-व्यापार योग्य परिसंपत्ति) |
कवर जोखिम | वर्षा की कमी, हीटवेव, असमय मौसम |
नियामक संस्था | भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) |