वैश्विक पांडुलिपि प्रदर्शन के लिए भारत तैयार
भारत 11 से 13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में पहली बार अंतरराष्ट्रीय पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन आयोजित करेगा। यह अनूठा आयोजन संस्कृति मंत्रालय की अगुवाई में हो रहा है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपि संपदा को संरक्षित करना और वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना है। गुरु पूर्णिमा पर हुई घोषणा इस बात का संकेत है कि भारत ज्ञान-संस्करण की परंपरा को कितना महत्व देता है।
वैश्विक भागीदारी को अपनाना
“Reclaiming India’s Knowledge Legacy Through Manuscript Heritage” विषय पर आयोजित यह सम्मेलन 500 से अधिक प्रतिभागियों को जोड़ने की योजना है, जिनमें भारत और विदेश के 75 प्रतिष्ठित विद्वान शामिल होंगे। कार्यक्रम हाइब्रिड फॉर्मेट में होगा, जिससे ऑनलाइन और भौतिक दोनों प्रकार की सहभागिता संभव होगी।
भारत के पास एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ हैं जो औषधि, दर्शन, विज्ञान, धर्म, कला आदि विषयों पर आधारित हैं।
Static GK तथ्य: भारत की पांडुलिपि परंपरा हजारों वर्षों में फैली हुई है और ये ताड़पत्र, भोजपत्र और हस्तनिर्मित कागज पर देवनागरी, ग्रंथ, मोडी, शारदा जैसी लिपियों में संरक्षित हैं।
प्रतीकात्मक तिथि और ऐतिहासिक संदेश
सम्मेलन की शुरुआत 11 सितंबर को होगी, जो स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो धर्म संसद भाषण की वर्षगांठ है। यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक चेतना और वैश्विक सहयोग भावना का प्रतीक है।
Static GK टिप: विवेकानंद का भाषण भारतीय आध्यात्मिकता और दर्शन को पश्चिम में प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक क्षण था।
दुर्लभ पांडुलिपियाँ और नवाचार प्रदर्शित होंगे
सम्मेलन में UNESCO की Memory of the World सूची में शामिल दुर्लभ पांडुलिपियाँ प्रदर्शित की जाएँगी। संरक्षण डेमोंस्ट्रेशन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और स्टार्टअप्स द्वारा विकसित तकनीकी समाधान भी प्रदर्शित किए जाएँगे।
प्रमुख पहल होगी Manuscript Research Partner (MRP) कार्यक्रम, जिसके अंतर्गत प्राचीन लिपि कार्यशालाओं के ज़रिए छात्रों को प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा।
परंपरा और तकनीक का संगम
सम्मेलन में यह भी चर्चा होगी कि AI, नैतिक संरक्षण, और शिक्षा में पांडुलिपियों के उपयोग जैसी आधुनिक तकनीकें इस क्षेत्र को कैसे बदल रही हैं। पैलियोग्राफी, डिजिटलीकरण रणनीतियाँ और संरक्षण तकनीकों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएँगे।
रुचि रखने वाले विद्वान 10 अगस्त 2025 तक अपने शोध पत्र और केस स्टडी जमा कर सकते हैं।
भविष्य की दिशा तय करेगा घोषणापत्र
इस सम्मेलन का एक मुख्य निष्कर्ष होगा “New Delhi Declaration on Manuscript Heritage”, जो पांडुलिपि संरक्षण, अनुवाद, डिजिटलीकरण और सार्वजनिक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना प्रस्तुत करेगा।
Static GK तथ्य: भारत का राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) 2003 से संचालित है और अब तक 4.5 मिलियन से अधिक पांडुलिपियाँ प्रलेखित की जा चुकी हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सम्मेलन की तिथियाँ | 11–13 सितंबर 2025 |
स्थान | भारत मंडपम, नई दिल्ली |
आयोजक | भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय |
प्रतिभागी | 500+ प्रतिनिधि, जिनमें 75 प्रमुख विद्वान |
प्रमुख कार्यक्रम | Manuscript Research Partner (MRP) कार्यक्रम |
प्रदर्शनी आकर्षण | UNESCO Memory of the World की पांडुलिपियाँ |
AI का उपयोग | डिजिटलीकरण, नैतिक संरक्षण, AI आधारित अभिलेखागारी |
प्रतीकात्मक तिथि | स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण – 11 सितंबर 1893 |
शोध पत्र अंतिम तिथि | 10 अगस्त 2025 |
प्रस्तुतिकरण लिंक | https://gbm-moc.in |