जुलाई 17, 2025 7:51 अपराह्न

वैश्विक पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित होगा

समसामयिक विषय: पांडुलिपि विरासत पर वैश्विक सम्मेलन, संस्कृति मंत्रालय, भारत मंडपम, गुरु पूर्णिमा घोषणा, पांडुलिपि डिजिटलीकरण, नई दिल्ली घोषणा, एआई-आधारित अभिलेखीकरण, स्वामी विवेकानंद श्रद्धांजलि, यूनेस्को विश्व स्मृति, पांडुलिपि अनुसंधान साझेदार कार्यक्रम

Global Manuscript Heritage Meet to Be Held in New Delhi

भारत की ज्ञान परंपरा को मिला वैश्विक मंच

भारत 11 से 13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में पहली बार वैश्विक पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन का आयोजन करेगा। यह आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है और इसकी घोषणा गुरु पूर्णिमा के दिन की गई, जो भारत की गुरु–शिष्य परंपरा का प्रतीक है।
Reclaiming India’s Knowledge Legacy Through Manuscript Heritage” विषय पर आधारित इस सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें 75 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विद्वान शामिल हैं, भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं के संरक्षण पर चर्चा करेंगे।

भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत

भारत में 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ हैं जो विभिन्न भाषाओं और लिपियों में दर्शन, चिकित्सा, खगोलशास्त्र, अनुष्ठान और साहित्य जैसे विषयों को समेटे हुए हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य इन अमूल्य संस्कृति धरोहरों को संरक्षित, डिजिटाइज़ और प्रचारित करना है।
यह आयोजन हाइब्रिड प्रारूप में होगा, जिससे भौतिक और ऑनलाइन दोनों प्रकार की सहभागिता संभव होगी।
Static GK तथ्य: राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) की शुरुआत 2003 में भारत की पांडुलिपि संपदा की पहचान, संरक्षण और डिजिटलीकरण के लिए की गई थी।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण और प्रतीकात्मक तिथि

सम्मेलन की शुरुआत 11 सितंबर को होगी, जो स्वामी विवेकानंद के 1893 में शिकागो भाषण की वर्षगांठ है। यह तिथि भारत की आध्यात्मिक विरासत और वैश्विक संवाद में उसकी भूमिका को दर्शाती है।
प्रदर्शनियों में यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर’ में सूचीबद्ध दुर्लभ पांडुलिपियाँ और संरक्षण तकनीकों के प्रदर्शन भी होंगे।

मुख्य कार्यक्रम और नई पहलें

सम्मेलन में Manuscript Research Partner (MRP) कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके अंतर्गत प्राचीन लिपियों का प्रशिक्षण, डिजिटलीकरण तकनीक और पैलेओग्राफी पर कार्यशालाएँ आयोजित होंगी।
सम्मेलन का मुख्य दस्तावेज “New Delhi Declaration on Manuscript Heritage” होगा, जो संरक्षण, अनुवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
Static GK टिप: भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी पांडुलिपि संग्रह है, जिनमें वेद, उपनिषद, आयुर्वेद और गणितीय ग्रंथ शामिल हैं।

परंपरा से जुड़े तकनीकी समाधान

सम्मेलन में AI आधारित अभिलेखागारी, नैतिक संरक्षण, और पांडुलिपि-आधारित शिक्षण पद्धति पर विचार किया जाएगा। प्रतिभागी 10 अगस्त 2025 तक शोध-पत्र और केस स्टडी जमा कर सकते हैं।
यह आयोजन भारत की संस्कृतिक राजनय को नई दिशा देगा, जहाँ प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम होगा।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
कार्यक्रम का नाम वैश्विक पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन
तिथियाँ 11–13 सितंबर 2025
स्थान भारत मंडपम, नई दिल्ली
आयोजक भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय
प्रतिनिधि 500+ प्रतिभागी जिनमें 75 विद्वान
प्रमुख पहल Manuscript Research Partner (MRP) कार्यक्रम
मुख्य परिणाम New Delhi Declaration on Manuscript Heritage
जमा की अंतिम तिथि 10 अगस्त 2025
ऐतिहासिक संदर्भ स्वामी विवेकानंद का 1893 शिकागो भाषण
आधिकारिक वेबसाइट https://gbm-moc.in

 

Global Manuscript Heritage Meet to Be Held in New Delhi
  1. पांडुलिपि विरासत पर वैश्विक सम्मेलन 11-13 सितंबर, 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
  2. इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत मंडपम में किया जा रहा है।
  3. इस आयोजन की घोषणा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर की गई थी, जो भारत की गुरु-शिष्य परंपरा को दर्शाता है।
  4. इसका विषय “पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना” है।
  5. 75 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों सहित 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे।
  6. यह आयोजन विभिन्न भाषाओं में भारत के 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियों के संग्रह पर प्रकाश डालता है।
  7. सम्मेलन वैश्विक शैक्षणिक सहयोग के लिए एक मिश्रित प्रारूप अपनाएगा।
  8. संरक्षण प्रयासों के लिए 2003 में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) शुरू किया गया था।
  9. स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण के सम्मान में 11 सितंबर का दिन चुना गया था।
  10. यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
  11. इस आयोजन में पांडुलिपि स्टार्टअप, प्रयोगशालाएँ और संरक्षण प्रदर्शनियाँ प्रदर्शित की जाएँगी।
  12. पांडुलिपि अनुसंधान साझेदार (एमआरपी) कार्यक्रम का एक प्रमुख शुभारंभ होगा।
  13. एमआरपी प्राचीन लिपियों, डिजिटलीकरण और पुरालेखविज्ञान में प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
  14. यह आयोजन पांडुलिपि विरासत पर नई दिल्ली घोषणा के साथ समाप्त होगा।
  15. एआई-आधारित संग्रह और डिजिटल संरक्षण प्रमुख फोकस क्षेत्र होंगे।
  16. विद्वान 10 अगस्त, 2025 की समय सीमा तक शोधपत्र जमा कर सकते हैं।
  17. भारत की पांडुलिपि विरासत में दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान और साहित्य शामिल हैं।
  18. यह सम्मेलन नैतिक संरक्षण और पांडुलिपि-एकीकृत शिक्षा को बढ़ावा देता है।
  19. यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति और वैश्विक ज्ञान नेतृत्व में एक बड़ी छलांग है।
  20. भारत के पास वेदों से लेकर गणित तक, दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है।

Q1. नई दिल्ली में ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन मैन्युस्क्रिप्ट हेरिटेज कब आयोजित होगी?


Q2. किस आध्यात्मिक अवसर पर पांडुलिपि सम्मेलन की घोषणा की गई थी?


Q3. इस सम्मेलन से अपेक्षित प्रमुख दस्तावेज का नाम क्या है?


Q4. कौन-सी नई पहल प्राचीन लिपियों और डिजिटलीकरण तकनीकों में विद्वानों को प्रशिक्षित करेगी?


Q5. सम्मेलन की आरंभ तिथि 11 सितंबर का प्रतीकात्मक महत्व क्या है?


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