अंतरिक्ष नवाचार में लकड़ी की ऐतिहासिक छलांग
दुनिया में पहली बार, लिंगोसेट, जो पूरी तरह लकड़ी से बना उपग्रह है, को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। इसे जापान के क्योटो विश्वविद्यालय और सुमितोमो फॉरेस्ट्री के सहयोग से विकसित किया गया है। यह उपग्रह अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के नियमों को पुनर्परिभाषित कर रहा है।
अन्य उपग्रहों की तरह रॉकेट से नहीं, लिंगोसेट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से छोड़ा गया — जिससे यह एक पारिस्थितिक दृष्टि से अनूठा और जागरूक अंतरिक्ष मिशन बन गया।
लकड़ी का उपग्रह क्यों बनाया गया?
परंपरागत उपग्रह एलुमिनियम, टाइटेनियम और मिश्रित धातुओं से बनते हैं, जो वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते समय हानिकारक एलुमिनियम ऑक्साइड छोड़ते हैं। लिंगोसेट इस समस्या का पर्यावरण–अनुकूल समाधान प्रस्तुत करता है — यह पूरी तरह जलकर समाप्त हो जाता है और कोई विषैली सामग्री या मलबा नहीं छोड़ता।
लकड़ी के उपग्रह की विशेषताएँ:
- हल्का – प्रक्षेपण में सरल और सस्ता
• गैर–धात्विक – रेडियो सिग्नल या सेंसर में कोई हस्तक्षेप नहीं
• प्राकृतिक इन्सुलेशन – अत्यधिक तापमान से इलेक्ट्रॉनिक्स की रक्षा
• 100% दहनशील – अंतरिक्ष मलबा (space debris) नहीं छोड़ता
लिंगोसेट कैसे बना: परंपरा और तकनीक का संगम
लिंगोसेट एक 10 सेंटीमीटर का घनाकार उपग्रह है, जिसका वजन 900 ग्राम है। इसे विशेष रूप से चयनित होनेकी मैगनोलिया लकड़ी से बनाया गया, जो कठोर वैक्यूम और तापमान परीक्षणों में खरी उतरी। इसमें कोई धातु, गोंद या सिंथेटिक चिपकाने वाला नहीं प्रयोग किया गया। इसके बजाय इसे पारंपरिक जापानी काष्ठ शिल्प (wood joinery) तकनीक से जोड़ा गया — जो सदियों पुरानी पद्धति है लेकिन अब अंतरिक्ष में प्रमाणित हो चुकी है।
उपग्रह का मिशन:
- अंतरिक्ष में लकड़ी का व्यवहार देखना
• -100°C से +100°C तक के तापमान में प्रतिक्रिया को ट्रैक करना
• विकिरण के प्रभाव को मापना
• माइक्रोग्रैविटी में संरचनात्मक स्थिरता की निगरानी करना
यह उपग्रह लगभग 6 महीनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा और लगातार डेटा भेजेगा — जिससे यह आंका जाएगा कि भविष्य के उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों में लकड़ी का उपयोग व्यावहारिक हो सकता है या नहीं।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
उपग्रह का नाम | लिंगोसेट (LingoSat) |
प्रकार | दुनिया का पहला लकड़ी से बना उपग्रह |
विकासकर्ता | क्योटो विश्वविद्यालय और सुमितोमो फॉरेस्ट्री (जापान) |
प्रयुक्त सामग्री | होनेकी मैगनोलिया लकड़ी |
आकार और वजन | 10 सेमी, 900 ग्राम |
जोड़ने की तकनीक | पारंपरिक जापानी वुड जॉइनरी (wood joinery) |
प्रक्षेपण स्रोत | अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) |
मिशन अवधि | 6 महीने |
पर्यावरणीय लाभ | पुनः प्रवेश पर कोई हानिकारक मलबा नहीं |
उद्देश्य | अंतरिक्ष में लकड़ी के व्यवहार का अध्ययन करना |