एक दिन में तीन भूकंप
अंडमान सागर हाल ही में एक दिन में तीन भूकंपों का साक्षी बना। यह क्षेत्र सीस्मिक ज़ोन V में आता है, जो भारत का सबसे अधिक भूकंपीय खतरे वाला क्षेत्र है। ये झटके समुद्र तल के नीचे चल रही तीव्र टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण आए हैं।
सक्रिय भूगर्भीय क्षेत्र
भारतीय प्लेट लगातार उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है और यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसकती (subduct) जा रही है, जिससे अंडमान गर्त (Andaman Trench) बनता है। यह गर्त एक प्रमुख फॉल्ट लाइन है और हिंद महासागर का सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र माना जाता है।
Static GK: अंडमान गर्त, सुन्दा गर्त का विस्तार है जिसने 2004 की हिंद महासागर सूनामी को जन्म दिया था।
भौगोलिक स्थिति और सीमाएं
अंडमान सागर एक अर्ध–संवृत सीमांत सागर (semi-enclosed marginal sea) है जो उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर में स्थित है। इसकी सीमाएं हैं:
उत्तर – म्यांमार,
पूर्व – थाईलैंड व मलेशिया,
दक्षिण – इंडोनेशिया व मलक्का जलडमरूमध्य,
पश्चिम – भारत के अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह।
जैव विविधता और प्रवासी पक्षी मार्ग
यह क्षेत्र कोरल ट्राएंगल का हिस्सा है, जिसे विश्व का समुद्री जैव विविधता हॉटस्पॉट माना जाता है। यहां विभिन्न प्रवाल (coral), उष्णकटिबंधीय मछलियाँ, और समुद्री जीव रहते हैं।
Static GK: कोरल ट्राएंगल छह देशों – इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आइलैंड्स और तिमोर-लेस्ते – में फैला हुआ है।
इसके अलावा, यह क्षेत्र पूर्व एशिया–ऑस्ट्रेलियाई पक्षी मार्ग पर स्थित है। अंडमान के तट और दलदली क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए विश्राम स्थल के रूप में कार्य करते हैं।
सामरिक और आर्थिक महत्त्व
अंडमान सागर मलक्का जलडमरूमध्य के पास स्थित है, जो दुनिया की सबसे व्यस्त नौवहन जलमार्गों में से एक है। इस क्षेत्र में समुद्री मत्स्य उद्योग, समुद्री पर्यटन, और गहरे समुद्री खनन की संभावना है।
Static GK: मलक्का जलडमरूमध्य वैश्विक व्यापार का बड़ा हिस्सा संभालता है और भारत की सामरिक नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
भूकंपीय क्षेत्र | सीस्मिक ज़ोन V – भारत का सबसे जोखिम वाला क्षेत्र |
प्रमुख गर्त | अंडमान गर्त – यूरेशियन प्लेट के नीचे भारतीय प्लेट की स्बडक्शन से बना |
कोरल ट्राएंगल | 6 देशों में फैला समुद्री जैव विविधता क्षेत्र |
2004 सूनामी | सुन्दा गर्त से उत्पन्न |
सीमाएं | म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, भारत |
पक्षी मार्ग | पूर्व एशिया-ऑस्ट्रेलियाई प्रवासी पक्षी मार्ग |
आर्थिक गतिविधियां | मत्स्य पालन, पर्यटन, समुद्री अन्वेषण |
सामरिक महत्त्व | मलक्का जलडमरूमध्य के समीप |
समुद्र प्रकार | अर्ध-संवृत सीमांत सागर |