छिपी दौलत पर सटीक वार
अब अपराधियों के पीछे नहीं, बल्कि उनकी दौलत के पीछे वैश्विक कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ लग चुकी हैं। 10 जनवरी 2025 को इंटरपोल ने सिल्वर नोटिस नामक एक नई चेतावनी प्रणाली लॉन्च की, जिसका उद्देश्य है – सीमा–पार छिपाई गई अवैध संपत्तियों को ट्रैक करना और वापस लाना।
यह रेड नोटिस जैसा नहीं है, जो भगोड़े अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए होता है। सिल्वर नोटिस का लक्ष्य है: धन शोधन, भ्रष्टाचार, ड्रग तस्करी और आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़ी संपत्तियों को चिन्हित कर जब्त करना — चाहे वह बैंक खाता हो, लग्ज़री कार या विदेशी संपत्ति।
भारत उन 52 देशों में शामिल है जो इस पायलट पहल में भाग ले रहे हैं।
सिल्वर नोटिस की आवश्यकता क्यों पड़ी?
अक्सर अपराधी तो बच निकलते हैं, लेकिन उनकी अवैध संपत्ति गुमनाम कंपनियों, टैक्स हेवेन और दूसरों के नाम पर खरीदी चीजों में छिपा दी जाती है। इंटरपोल के अनुसार, 99% आपराधिक संपत्तियाँ कभी बरामद नहीं हो पातीं।
सिल्वर नोटिस इसी कमी को दूर करने की कोशिश है। यह देशों को गोपनीय संपत्ति से जुड़ी जानकारी को तेज़ी से और सुरक्षित रूप से साझा करने की सुविधा देता है, जिससे भारत जैसे देशों को वित्तीय अपराध मामलों में बढ़त मिलती है।
उदाहरण: यदि कोई ठग यूरोप में किसी फ्रंट कंपनी को पैसा भेजता है, तो सिल्वर नोटिस उस लेन–देन को ट्रैक कर सकता है, इससे पहले कि वह पूरी तरह छिप जाए।
सिल्वर नोटिस कैसे काम करता है?
यह कोई सार्वजनिक नोटिस नहीं है जिसे वेबसाइट या समाचारों में देखा जा सके। सिल्वर नोटिस पूर्ण रूप से गोपनीय होता है और केवल भरोसेमंद कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच भेजा जाता है। हर अनुरोध को इंटरपोल के महासचिवालय द्वारा सावधानीपूर्वक जाँचा जाता है।
राजनीतिक दुरुपयोग या व्यक्तिगत प्रतिशोध से बचाने के लिए इसमें स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। पायलट परियोजना (नवंबर 2025 तक) के तहत हर देश को अधिकतम 500 नोटिस जारी करने की सीमा दी गई है।
यह प्रणाली स्मार्ट, सुरक्षित और चयनात्मक है।
भारत की भूमिका और इसे मिलने वाला लाभ
भारत के लिए यह पहल बिल्कुल समयानुकूल है। नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों से लेकर फर्जी शेल कंपनियों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय लेन–देन तक, भारत की चुनौती सिर्फ अपराधी को पकड़ना नहीं, बल्कि संपत्ति वापस लाना भी है।
अब भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई (CBI) के पास अंतरराष्ट्रीय सहयोग और त्वरित कार्रवाई का एक सशक्त उपकरण है। यहां तक कि मध्यम स्तर के आर्थिक घोटालों में भी अब विदेशी समन्वय संभव होगा।
भारत केवल भागीदार नहीं, बल्कि एक प्रमुख परीक्षण देश है जो दिखाता है कि विकासशील देश कैसे स्मार्ट वैश्विक पुलिसिंग से लाभ उठा सकते हैं।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
नोटिस का नाम | सिल्वर नोटिस |
उद्देश्य | सीमा-पार आपराधिक संपत्तियों की पहचान और पुनर्प्राप्ति |
लॉन्च तिथि | 10 जनवरी 2025 (पायलट चरण) |
अनुमोदन | इंटरपोल महासभा 2023 |
भाग लेने वाले देश | 52 देश, भारत सहित |
सार्वजनिक दृश्यता | नहीं – पूरी तरह गोपनीय |
नोटिस सीमा | प्रत्येक देश को अधिकतम 500 नोटिस (पायलट चरण में) |
भारत में प्रमुख उपयोगकर्ता | सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ED) – आर्थिक अपराधों और अंतरराष्ट्रीय समन्वय हेतु |