एंजेल टैक्स क्या था और यह समस्याग्रस्त क्यों था?
एंजेल टैक्स वर्ष 2012 में आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(viib) के तहत लागू किया गया था। यह स्टार्टअप्स द्वारा जारी किए गए शेयरों के वास्तविक बाजार मूल्य (FMV) और निवेशकों से प्राप्त राशि के बीच के अंतर पर कर लगाता था।
इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था, परंतु यह:
- शुरुआती चरण के निवेश पर कर लगाकर एंजेल निवेश को हतोत्साहित करता था
• जटिल अनुपालन बोझ और कर अनिश्चितता उत्पन्न करता था
• कई स्टार्टअप्स को कर–मित्र देशों (जैसे सिंगापुर, यूएई) में स्थानांतरित होने को मजबूर करता था
वित्त वर्ष 2024–25 में क्या बदला?
केंद्रीय बजट 2024–25 में सरकार ने एंजेल टैक्स को पूरी तरह समाप्त कर दिया — यह भारत के स्टार्टअप वातावरण को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा नीतिगत बदलाव है:
- रिवर्स फ्लिपिंग को बढ़ावा – जो स्टार्टअप्स पहले विदेश चले गए थे, अब भारत लौट रहे हैं
• डीपीआईआईटी रजिस्ट्रेशन, फंडिंग और अनुपालन में तेजी
• निवेशकों में विश्वास और पारदर्शिता में वृद्धि
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम: 2016 से 2024 तक
स्टार्टअप इंडिया पहल (2016) के बाद भारत ने तीव्र प्रगति की:
- पंजीकृत स्टार्टअप्स (2024): 1.57 लाख+
• कुल फंडिंग (2024): $155 बिलियन
• रोजगार सृजन: 17 लाख+
• वैश्विक रैंकिंग: अमेरिका और चीन के बाद शीर्ष 3
• टियर-2/3 शहरों की भागीदारी में बढ़ोतरी
यह भारत को एक समावेशी, डिजिटल रूप से सशक्त नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
एंजेल टैक्स की शुरुआत | 2012 (धारा 56(2)(viib)) |
समाप्ति | केंद्रीय बजट 2024–25 |
स्टार्टअप इंडिया लॉन्च | 2016 |
पंजीकृत स्टार्टअप्स (2024) | 1.57 लाख+ |
फंड ऑफ फंड्स योजना (FFS) | ₹10,000 करोड़ (सेबी-पंजीकृत AIFs के माध्यम से) |
रिवर्स फ्लिपिंग | विदेश से भारत लौटते स्टार्टअप्स |
रोजगार सृजन | 17 लाख+ |
स्टार्टअप फंडिंग (2024) | $155 बिलियन |
निर्माण-आधारित स्टार्टअप्स को मिलेगा प्रोत्साहन
DPIIT अब उत्पाद-आधारित स्टार्टअप्स को बड़े निर्माताओं से जोड़ रहा है, जिससे:
- स्टार्टअप राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो सकें
• IoT, ग्रीन टेक जैसी तकनीकों वाले नवाचारकों को प्राथमिकता मिले
• मेक इन इंडिया और औद्योगिक डिजिटलीकरण में तेज़ी आए
यह सेवा क्षेत्र से उच्च मूल्य निर्माण आधारित स्टार्टअप की ओर बदलाव को गति देगा।
वैश्विक निवेशकों की रुचि और ‘स्टार्टअप महाकुंभ’
सरकारी नीतियों के अब अनुकूल होने से सऊदी अरब से लेकर सिंगापुर तक के विदेशी निवेशक भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ‘स्टार्टअप महाकुंभ‘ जैसे मंचों पर निवेशक टेक्नोलॉजी, कृषि, फिनटेक और स्वास्थ्य स्टार्टअप्स में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सरकार सॉवरेन व पेंशन फंड्स को सीधे निवेश की अनुमति देने के रास्ते तलाश रही है, जिससे वित्त पोषण के नए स्रोत खुलेंगे।
डीपीआईआईटी और AIFs: स्टार्टअप पूंजी तंत्र का निर्माण
स्टार्टअप इंडिया के 9 वर्ष पूरे होने पर DPIIT 75 वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) के साथ बैठक कर रहा है ताकि:
- प्रारंभिक चरण की पूंजी जुटाई जा सके
• ग्रामीण और टियर-2/3 शहरों के स्टार्टअप्स को समर्थन मिले
• फंड ऑफ फंड्स योजना के माध्यम से पूंजी पहुंच बढ़े
यह सुनिश्चित करता है कि उद्यमिता केवल मेट्रो शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे देश में फैले।
निष्कर्ष: भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक नया युग
एंजेल टैक्स की समाप्ति केवल कर सुधार नहीं, बल्कि भारत की उद्यमिता पर विश्वास का प्रतीक है। अब स्टार्टअप्स को मिल रहा है:
- स्पष्ट कर नीति
• मजबूत वित्तीय समर्थन
• वैश्विक निवेशकों की रुचि