भारत में पहली बार लागू हुई डिजिटल एड्रेस पहचान
इंदौर भारत का पहला शहर बन गया है जिसने QR कोड आधारित डिजिटल हाउस एड्रेस सिस्टम लागू किया है। यह पहल स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत इंदौर नगर निगम (IMC) द्वारा शुरू की गई है, जिसमें GPS कोऑर्डिनेट्स और QR कोड के साथ धातु की प्लेटें पारंपरिक पते की जगह लेती हैं।
प्रणाली के पीछे की तकनीक
प्रत्येक घर को एक अद्वितीय QR कोड वाली धातु प्लेट दी जाती है, जिसे मोबाइल से स्कैन करने पर GPS-आधारित सटीक पता प्रदर्शित होता है। यह डिजिटल एड्रेस आइडेंटिटी, भारत सरकार के डिजीपिन (Digital Postal Index Number) डेटाबेस से जुड़ी होती है।
Static GK तथ्य: डिजीपिन भारत का एक केंद्रीकृत, भौगोलिक स्थान–कोडित डिजिटल पता डेटाबेस है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में डिजिटल पते को मानकीकृत करना है।
नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष लाभ
QR प्लेट के स्कैन से नागरिक:
• संपत्ति कर का भुगतान कर सकते हैं
• नगर निगम शिकायतें दर्ज कर सकते हैं
• बिजली–पानी जैसी आवश्यक सेवाएं एक्सेस कर सकते हैं
• सेवाओं की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं
यह सभी सेवाएं सिर्फ एक स्कैन से उपलब्ध हैं।
Static GK टिप: इंदौर ने लगातार 7 वर्षों तक भारत के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब स्वच्छ सर्वेक्षण में जीता है।
पायलट परियोजना और विस्तार
इस प्रणाली का पायलट प्रयोग इंदौर के वार्ड 82 (सुदामा नगर) में किया गया था। इसकी सफलता के बाद इसे पूरे शहर में लागू करने की योजना है। नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) जैसे अन्य शहर भी इस मॉडल को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
नगरीय प्रशासन में बदलाव
डिजिटल एड्रेस प्रणाली से मिलता है:
• तेजी से सेवा वितरण
• बेहतर आपातकालीन प्रतिक्रिया
• शहरी योजना के लिए रीयल-टाइम मैपिंग
• नागरिक शिकायतों की कुशल ट्रैकिंग
यह प्रणाली ई–कॉमर्स डिलीवरी में भी मददगार है, खासकर उन इलाकों में जहां घरों की पहचान अस्पष्ट या डुप्लिकेट है।
राष्ट्रीय मिशनों से जुड़ाव
यह परियोजना निम्नलिखित पहलों को समर्थन देती है:
• डिजिटल इंडिया
• स्मार्ट सिटीज मिशन
• AMRUT के तहत शहरी सुधार
Static GK तथ्य: AMRUT (अटल मिशन फॉर रीजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) का उद्देश्य है शहरी बुनियादी ढांचे और जीवन स्तर में सुधार करना।
सामने आई चुनौतियां
प्रणाली के क्रियान्वयन में आई मुख्य बाधाएं:
• कम डिजिटल साक्षरता
• गोपनीयता की चिंताएं
• उच्च बुनियादी ढांचा लागत
इसके समाधान में शामिल हैं: जागरूकता अभियान, सुरक्षित डेटा एन्क्रिप्शन, और निजी क्षेत्र के सहयोग से चरणबद्ध क्रियान्वयन।
आगे की दिशा
सटीक डिजिटल मैपिंग के साथ यह परियोजना डेटा–आधारित शासकीय निर्णयों की आधारशिला रखती है। यदि इसे राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू किया जाए तो यह भारत की शहरी पते प्रणाली का मानक मॉडल बन सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
परियोजना प्रारंभ | इंदौर नगर निगम द्वारा |
प्रयुक्त तकनीक | QR कोड + GPS कोऑर्डिनेट्स |
एकीकृत प्रणाली | डिजीपिन (Digital Postal Index Number) |
पायलट क्षेत्र | वार्ड 82, सुदामा नगर, इंदौर |
राष्ट्रीय रैंक | लगातार 7 वर्षों से भारत का सबसे स्वच्छ शहर |
प्रमुख मिशन | स्मार्ट सिटीज मिशन, डिजिटल इंडिया |
संबद्ध विभाग | मध्य प्रदेश शहरी विकास विभाग |
एक्सेस माध्यम | मोबाइल डिवाइस स्कैनिंग |
नागरिक सेवाएं | कर भुगतान, शिकायत दर्जीकरण, यूटिलिटी ट्रैकिंग |
अन्य शहर | NDMC (नई दिल्ली) योजना बना रहा है |