निसार क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है
निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जिसमें दोहरी फ्रीक्वेंसी रडार प्रणाली (एल-बैंड और एस-बैंड) लगी है। यह पृथ्वी की सतह का अभूतपूर्व सटीकता के साथ अवलोकन करेगा। इसका प्रक्षेपण मार्च 2025 में श्रीहरिकोटा से किया जाएगा। यह हर 12 दिन में पृथ्वी को स्कैन करेगा और हिमनद पिघलाव, भूस्खलन, वन हानि, और टेक्टोनिक बदलाव जैसी गतिविधियों की वास्तविक समय जानकारी देगा। यह जलवायु ट्रैकिंग और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है।
निसार कैसे काम करता है: अंतरिक्ष से रडार दृष्टि
निसार एक 12 मीटर चौड़ी ड्रम–आकार की रडार एंटीना से सुसज्जित है जो पृथ्वी पर माइक्रोवेव सिग्नल भेजती है और उनकी प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड करती है।
- एल–बैंड (10 इंच तरंग): यह वनस्पति, बर्फ और मिट्टी के आर-पार जाकर ग्लेशियर, ज़मीन की हलचल और वनों की कटाई का अवलोकन करता है।
• एस–बैंड (4 इंच तरंग): यह मिट्टी में दरारें, भूस्खलन और फसल की स्थिति जैसी सूक्ष्म सतही परिवर्तन पहचान सकता है।
इन दोनों की मदद से यह पृथ्वी का बहु–स्तरीय 3D मानचित्र तैयार करता है जो टेनिस कोर्ट के आधे आकार तक के बदलावों को भी दर्शा सकता है।
भारत की भूमिका: केवल प्रक्षेपण भागीदार नहीं
इसरो की भागीदारी निसार मिशन में महत्वपूर्ण रही है:
- एस–बैंड रडार: स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद द्वारा निर्मित
• सैटेलाइट बस: यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु द्वारा विकसित
• लॉन्च वाहन (GSLV): विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर द्वारा
• मिशन संचालन: आईएसटीआरएसी द्वारा संभाला जाएगा
यह सहयोग भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है और भारत को वैश्विक जलवायु निगरानी केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
निसार के खुले डेटा की उपयोगिता
निसार द्वारा एकत्रित सभी डेटा नासा द्वारा संचालित क्लाउड प्लेटफॉर्म पर मुफ्त और वैश्विक रूप से उपलब्ध होंगे। इसका अर्थ है:
- आपदा एजेंसियां तेज़ी से प्रतिक्रिया योजना बना सकती हैं
• शोधकर्ता हिमनद पिघलाव, मृदा क्षरण या वनों की कटाई को ट्रैक कर सकते हैं
• नीति निर्माता वास्तविक समय पर्यावरणीय डेटा के आधार पर निर्णय ले सकते हैं
उत्तराखंड के भूस्खलन से लेकर अंडमान की तटीय क्षरण तक, निसार का डेटा वैश्विक भलाई का एक सार्वजनिक संसाधन होगा।
STATIC GK SNAPSHOT प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
विषय | विवरण |
मिशन का नाम | निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) |
प्रक्षेपण तिथि | मार्च 2025 |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा |
एंटीना आकार | 12 मीटर (39 फीट) |
रडार बैंड | एल-बैंड (नासा) और एस-बैंड (इसरो) |
पृथ्वी स्कैन आवृत्ति | हर 12 दिन में |
डेटा एक्सेस | क्लाउड के माध्यम से वैश्विक और निःशुल्क |
भारत का योगदान | एस-बैंड रडार, सैटेलाइट बस, GSLV लॉन्च, मिशन संचालन |
नासा का योगदान | एल-बैंड रडार, मुख्य एंटीना, डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम |
पिक्सल सटीकता | टेनिस कोर्ट के आधे आकार जितने परिवर्तन की पहचान |