राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे पर वन्यजीवों को मिली प्राथमिकता
भारत ने वन्यजीव संरक्षण को बुनियादी अधोसंरचना से जोड़ते हुए दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे पर देश का पहला और सबसे लंबा ‘एनिमल ओवरपास कॉरिडोर’ विकसित किया है। यह 12 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफ़र ज़ोन से होकर गुजरता है।
इस परियोजना का नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने किया है और इसे एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें वन्यजीवों की निर्बाध आवाजाही को संरक्षित करते हुए अधोसंरचना विकास को अंजाम दिया गया है।
परियोजना की मुख्य विशेषताएँ
यह भारत में पहली बार है जब किसी राष्ट्रीय राजमार्ग को वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से डिजाइन किया गया है। यह कॉरिडोर बाघ, तेंदुए, भालू जैसे जीवों को सुरक्षित पारगमन की सुविधा देता है, जिससे रोडकिल और मानव–पशु संघर्ष में कमी आएगी।
इसमें शामिल हैं:
- 5 ऊँचे वाइल्डलाइफ ओवरपास (500 मीटर प्रत्येक)
- 2 किलोमीटर लंबा अंडरपास (भारत का सबसे लंबा)
- 4 मीटर ऊँची बाउंड्री वॉल्स
- 2 मीटर ध्वनि अवरोधक (साउंड बैरियर्स)
- प्राकृतिक स्थलाकृति अनुसार सड़क डिजाइन
Static GK Fact: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा (लंबाई 1386 किमी)।
पारिस्थितिक संतुलन को ध्यान में रखकर डिज़ाइन
इस कॉरिडोर की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे प्राकृतिक जंगल के अनुरूप डिजाइन किया गया है। निर्माण के समय हर 200 मीटर पर पर्यवेक्षक तैनात किए गए ताकि कोई वन्यजीव घायल न हो।
गुप्त कैमरों से निगरानी की जा रही है, जिनमें बाघ और भालू द्वारा कॉरिडोर के उपयोग के प्रमाण मिले हैं—यह इसकी सफलता का संकेत है।
Static GK Tip: रणथंभौर टाइगर रिजर्व, सवाई माधोपुर (राजस्थान) में स्थित है और 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ रिज़र्व घोषित किया गया था।
ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मिला बढ़ावा
वन्यजीव पारगमन मार्गों के अलावा, इस परियोजना में शामिल हैं:
- 35,000 पेड़ लगाए गए
- वर्षा जल संचयन प्रणाली
- मॉड्यूलर निर्माण तकनीक से कचरा कम किया गया
ये सभी उपाय भारत की हरित अधोसंरचना नीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
वन्यजीव कॉरिडोर का नया राष्ट्रीय रुझान
भारत के अन्य राज्य भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पंजाब का ज़िरकपुर वाइल्डलाइफ बायपास, और महाराष्ट्र का समृद्धि महामार्ग, जिसमें 209 अंडरपास और 8 ओवर/अंडरपास शामिल हैं, इस बदलाव के उदाहरण हैं।
यह इंगित करता है कि भारत अब सड़क विकास के साथ–साथ वन्यजीव संरक्षण को भी समान महत्व दे रहा है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
स्थान | रणथंभौर बफ़र ज़ोन, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे |
संरचना | 5 ओवरपास, 1 अंडरपास (1.2 किमी) |
महत्व | भारत का पहला वन्यजीव-केंद्रित एक्सप्रेसवे |
अंडरपास लंबाई | 1.2 किमी (भारत में सबसे लंबा) |
लगाए गए पेड़ | 35,000 |
निगरानी विधि | गुप्त कैमरों से वन्यजीव निगरानी |
शामिल एजेंसियाँ | NHAI, पर्यावरण मंत्रालय, वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया |
ध्वनि अवरोधक | 2 मीटर ऊँचाई वाले |
संबंधित परियोजनाएँ | समृद्धि महामार्ग (महाराष्ट्र), ज़िरकपुर (पंजाब) |
संरक्षण लक्ष्य | रोडकिल कम करना, मानव-पशु संघर्ष रोकना |