अंतिम छोर तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करना
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने देशभर में जनजातीय कल्याण योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ‘आदि कर्मयोगी’ पहल की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में आयोजित ‘आदि अन्वेषण सम्मेलन’ के दौरान लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य नई योजनाएं लाना नहीं बल्कि मौजूदा योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना है।
इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस अधिकारियों में जिम्मेदारी की भावना, सहानुभूति और नवाचार को बढ़ावा देना है, ताकि जनजातीय समुदायों तक सेवाओं की समय पर और प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
अफसरशाही में सुधार की दिशा में पहल
सम्मेलन में यह स्वीकार किया गया कि योजनाओं की असफलता का कारण उनकी कमी नहीं, बल्कि अधिकारियों की निष्क्रियता है। आदि कर्मयोगी का लक्ष्य है ऐसे प्रशिक्षित, प्रेरित और सेवा–भाव रखने वाले अधिकारियों की एक नई पीढ़ी तैयार करना, जो जनता–केंद्रित प्रशासन की ओर बढ़े।
देशव्यापी प्रशिक्षण ढांचा
इस पहल के अंतर्गत सरकार ने तीन स्तरों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाई है:
- 180 राज्य स्तरीय प्रशिक्षक
- 3,000+ जिला स्तरीय प्रशिक्षक
- 15,000+ ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षक
इसके माध्यम से 20 लाख से अधिक जमीनी स्तर के हितधारकों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है, जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर्स, पंचायत अधिकारी, जनजातीय कल्याण कर्मचारी और प्रशासकीय कार्मिक शामिल होंगे।
जमीनी फीडबैक से मिली प्रेरणा
इस योजना की प्रेरणा ‘आदि अन्वेषण सम्मेलन’ में मिले फील्ड इनपुट से मिली। इसमें सामने आया कि कई जनजातीय योजनाएं अच्छी तरह डिज़ाइन की गई हैं, लेकिन उनका लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता, क्योंकि अधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी होती है।
केंद्रीय मंत्री जुएल उराम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें जनजातीय क्षेत्रों में समर्पित और जिम्मेदार अधिकारियों की ‘एक नई जनजाति’ तैयार करनी होगी, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और मूलभूत सेवाओं को प्रभावी ढंग से लागू करें।
प्रशासनिक सोच में बदलाव
‘आदि कर्मयोगी’ पहल का उद्देश्य महज़ औपचारिक प्रशासन को बदलकर सहानुभूतिपूर्ण और उत्तरदायी प्रशासन में तब्दील करना है। यह अधिकारियों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार नवाचार के लिए प्रेरित करेगा, और उन्हें जनजातीय समुदायों के साथ सहयोग कर योजनाएं लागू करने की दिशा में मार्गदर्शन देगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत सरकार ने जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना 1999 में की थी ताकि अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक और आर्थिक विकास पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में 700 से अधिक जनजातीय समुदाय हैं, जो देश की कुल आबादी का 8.6% हिस्सा बनाते हैं (जनगणना 2011 के अनुसार)।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कार्यक्रम का नाम | आदि कर्मयोगी |
किसने शुरू किया | जनजातीय कार्य मंत्रालय |
घोषणा स्थान | आदि अन्वेषण सम्मेलन, वाणिज्य भवन, नई दिल्ली |
केंद्रीय मंत्री | जुएल उराम |
लक्षित लाभार्थी | 20 लाख+ जमीनी हितधारक |
प्रशिक्षक श्रेणियाँ | 180 राज्य, 3,000+ जिला, 15,000+ ब्लॉक |
मुख्य मुद्दा | योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रेरणा की कमी |
स्थैतिक जीके – मंत्रालय | जनजातीय कार्य मंत्रालय, स्थापित 1999 |
स्थैतिक जीके – जनजातीय आबादी | 8.6% (जनगणना 2011) |
दीर्घकालिक लक्ष्य | नागरिक-केंद्रित, सहानुभूतिपूर्ण जनजातीय सेवा प्रणाली |