तमिलनाडु का wetlands सुरक्षा को बढ़ाने का प्रयास
तमिलनाडु राज्य वेटलैंड प्राधिकरण (TNSWA) ने प्रस्ताव दिया है कि पुलिकट पक्षी अभयारण्य के बाहर स्थित झील क्षेत्रों को भी वेटलैंड संरक्षण एवं प्रबंधन नियम 2017 के अंतर्गत लाया जाए। यह कदम इन संवेदनशील क्षेत्रों को निर्माण कार्य या औद्योगिक विकास जैसे गैर-वेटलैंड कार्यों से बचाने में सहायक हो सकता है।
पुलिकट झील, जो तमिलनाडु के उत्तरी और आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में फैली है, भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह प्रवासी पक्षियों, खासकर फ्लेमिंगो, के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभी केवल अभयारण्य क्षेत्र को 10 किमी के ईको–सेंसिटिव ज़ोन के तहत सुरक्षा प्राप्त है, लेकिन उसके बाहर के वेटलैंड असुरक्षित हैं।
नियम 4(2) का कानूनी प्रभाव
वेटलैंड नियम 2017 का नियम 4(2) यह स्पष्ट करता है कि राष्ट्रीय वेटलैंड सूची 2011 में शामिल सभी वेटलैंड को संरक्षण मिलना चाहिए — भले ही वे आधिकारिक रूप से अधिसूचित न किए गए हों। इस नियम के तहत, वेटलैंड को रिहायशी या औद्योगिक जमीन में बदलना पूर्णतः निषिद्ध है। साथ ही, कचरा, निर्माण मलबा या गंदे पानी का निस्तारण जैसे कार्य भी वर्जित हैं।
व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संरक्षण जरूरी
भले ही पुलिकट अभयारण्य संरक्षित है, उसके बाहर के वेटलैंड अब भी पर्यावरणीय जोखिम में हैं। ये क्षेत्र अक्सर बाढ़ नियंत्रण, भूजल रिचार्ज, और प्रवासी पक्षियों के भोजन स्थल के रूप में कार्य करते हैं। इन्हें कानूनी दर्जा दिए बिना, विकास गतिविधियाँ इन्हें नष्ट कर सकती हैं।
अब प्रस्ताव है कि इन बफ़र ज़ोन को भी औपचारिक रूप से मान्यता और निगरानी मिलनी चाहिए ताकि विकास कार्य इनकी जैव विविधता को प्रभावित न करें।
दीर्घकालिक प्रभाव और वैश्विक संकल्प
यदि सुरक्षा केवल अभयारण्य के भीतर न रहकर विस्तृत की जाए, तो यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। यह भारत की रामसर कन्वेंशन के तहत वेटलैंड संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भी है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से यह विषय पर्यावरण कानून, ईको–सेंसिटिव ज़ोन नीति, और जैव विविधता संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को छूता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पुलिकट झील | भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारी पानी की झील |
स्थान | तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश |
अभयारण्य क्षेत्र | 10 किमी ईको-सेंसिटिव ज़ोन से सुरक्षित |
प्राधिकरण | तमिलनाडु राज्य वेटलैंड प्राधिकरण (TNSWA) |
प्रमुख कानून | वेटलैंड संरक्षण एवं प्रबंधन नियम, 2017 |
महत्वपूर्ण नियम | नियम 4(2) – अधिसूचित न होने पर भी संरक्षण |
राष्ट्रीय सूची | राष्ट्रीय वेटलैंड सूची 2011 |
प्रतिबंधित गतिविधियाँ | मलबा फेंकना, अतिक्रमण, निर्माण |
पारिस्थितिकी भूमिका | प्रवासी पक्षियों जैसे फ्लेमिंगो को समर्थन |
अंतरराष्ट्रीय महत्व | रामसर कन्वेंशन सिद्धांतों के अंतर्गत आता है |