जब बर्ड फ्लू जंगल के राजाओं तक पहुँचता है
भारत में पहली बार एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है—H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने नागपुर के बालासाहेब ठाकरे गोरेवाड़ा अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर में तीन बाघों और एक तेंदुए की जान ले ली है। वर्षों से यह वायरस केवल मुर्गियों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन इस बार इसका शिकार बने हैं पिंजरे में बंद वन्यजीव, और यह सिर्फ वन्यजीवों की क्षति नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य और पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है।
H5N1 क्या है और यह इतना खतरनाक क्यों है?
H5N1 एक अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा (HPAI) वायरस है, जो मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है लेकिन अब यह प्रजातियों की सीमाएं पार कर चुका है। यह वायरस अब तक 108 से अधिक देशों में देखा जा चुका है और 500 से अधिक प्रजातियों को नुकसान पहुंचा चुका है, जिनमें कम से कम 70 स्तनधारी प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यह इतना लचीला है कि आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक जानवरों में फैल चुका है। भारत में यह पहली बार बड़े बिल्लियों (बाघ, तेंदुए) की मौत का कारण बना है, जो खतरे के स्तर को नई ऊँचाइयों तक ले जाता है।
नागपुर में कैसे हुआ यह त्रासदीपूर्ण घटनाक्रम?
इन संक्रमित जानवरों को दिसंबर 2024 में मानव–वन्यजीव संघर्ष के चलते बचाकर लाया गया था। जनवरी 2025 की शुरुआत में उनमें लक्षण दिखने लगे। ICAR–राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), भोपाल द्वारा की गई जांच में तीन बाघ और दो तेंदुए संक्रमित पाए गए, हालांकि एक नर बाघ की रिपोर्ट नकारात्मक रही। दुर्भाग्य से चार जानवरों की मौत हो गई। यह भारत के किसी चिड़ियाघर में एवियन फ्लू से हुई पहली दर्ज वन्यजीव मौत है।
सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
वन्यजीव अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (WRTC) ने देशभर के चिड़ियाघरों और रेस्क्यू सेंटरों को त्वरित दिशा-निर्देश जारी किए। इनमें शामिल हैं: पशु गति पर नियंत्रण, कच्चे मांस से बचाव, नियमित स्वास्थ्य जांच, और पक्षियों के संपर्क से बचाव हेतु जाल का उपयोग। पशुपालन आयुक्त ने संक्रमित जानवरों को आइसोलेट करने और प्रभावित क्षेत्रों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया। यह कदम जानवरों के साथ–साथ कर्मचारियों और आगंतुकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए हैं।
भारतीय चिड़ियाघरों में बायो-सुरक्षा को नई ऊँचाई देना
यह घटना अब भारत को चिड़ियाघर प्रबंधन प्रोटोकॉल दोबारा सोचने पर मजबूर कर रही है। अब महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में कड़ी जैव–सुरक्षा व्यवस्थाएँ लागू की जाएँगी—जैसे कि बफर ज़ोन बनाना, कर्मचारियों की चिकित्सा जांच, और खाद्य आपूर्ति का विसंक्रमण। यह अब केवल पशु-चिकित्सा मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि “वन हेल्थ” दृष्टिकोण का हिस्सा बन गया है, जिसमें मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को आपस में जुड़ा हुआ माना जाता है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य: H5N1 केवल भारत की समस्या नहीं
संभावित स्ट्रेन 2.3.4.4b ने अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राज़ील जैसे देशों में बड़े पैमाने पर पक्षियों और स्तनधारियों की मौत का कारण बना है। कई जगहों पर तो सील, लोमड़ी और ध्रुवीय भालू तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। अब जब भारत के शीर्ष शिकारी प्रजातियाँ इसकी चपेट में आई हैं, इसका मतलब है कि हमारी प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली पर गंभीर दबाव है और वन्यजीव तथा मानव सुरक्षा के बीच की रेखा धुंधली हो रही है।
STATIC GK SNAPSHOT FOR COMPETITIVE EXAMS
विषय | विवरण |
वायरस | अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा (HPAI) H5N1 |
स्थान | गोरेवाड़ा चिड़ियाघर, नागपुर, महाराष्ट्र |
प्रभावित प्रजातियाँ | 3 बाघ, 1 तेंदुआ (भारत में पहली पुष्टि हुई मौतें) |
परीक्षण प्रयोगशाला | ICAR-NIHSAD (भोपाल) |
परामर्श जारी करने वाला निकाय | वन्यजीव अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (WRTC) |
वैश्विक प्रसार | 108 देशों में, 500+ प्रजातियाँ |
वायरस स्ट्रेन | संभवतः 2.3.4.4b |
दृष्टिकोण | वन हेल्थ (मानव–पशु–पर्यावरण संबंध) |