समुद्र की शाकाहारी गाय संकट में
डुगोंग, जिसे अक्सर ‘समुद्री गाय’ कहा जाता है, भारत के समुद्री जल में कभी सामान्य रूप से पाई जाने वाली एक शर्मीली समुद्री स्तनधारी है। आज देश में इनकी संख्या लगभग 200 तक सिमट गई है। ये सौम्य जीव केवल समुद्री घास (seagrass) पर निर्भर रहते हैं और उथले तटीय क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं, जो उनके भोजन और आवास के लिए अनिवार्य हैं।
भारत में डुगोंग के मुख्य आवास तमिलनाडु की पाल्क की खाड़ी, गोल्फ ऑफ मन्नार, गुजरात का कच्छ का उपसागर, और अंडमान–निकोबार द्वीप समूह हैं। विश्व स्तर पर डुगोंग की सबसे बड़ी आबादी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है।
खतरों से घिरा है डुगोंग
डुगोंग की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण आवास का विनाश है। तटीय विकास, प्रदूषण, और नावों की गतिविधियाँ इनके नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। चूंकि डुगोंग धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इनका जीवनकाल लंबा होता है, इसीलिए थोड़ी भी मृत्यु दर में वृद्धि इनकी आबादी पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
IUCN रेड लिस्ट में डुगोंग को ‘असुरक्षित (Vulnerable)’ श्रेणी में रखा गया है, जो बताता है कि इनका जंगल में विलुप्त होने का खतरा अधिक है।
डुगोंग के लिए क़ानूनी संरक्षण
भारत में डुगोंग को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है, जिससे इन्हें भारतीय क़ानून के तहत सर्वोच्च संरक्षण प्राप्त है। इसके साथ ही डुगोंग को CMS (Convention on the Conservation of Migratory Species) के परिशिष्ट II में भी शामिल किया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
भारत UNEP/CMS डुगोंग समझौता ज्ञापन का भी हस्ताक्षरकर्ता है, जो वैश्विक स्तर पर डुगोंग और उनके आवासों के संरक्षण की दिशा में काम करता है। साथ ही, भारत ने इन्हें संकटग्रस्त प्रजातियों के पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम में भी शामिल किया है, जो इनकी दीर्घकालीन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योजनाएं बनाता है।
संरक्षण रिजर्व बना एक नया मील का पत्थर
तमिलनाडु की पाल्क खाड़ी में भारत का पहला डुगोंग संरक्षण रिजर्व स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य समुद्री घास पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना और संवेदनशील क्षेत्रों में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करना है। यह पहल डुगोंग की घटती आबादी को पलटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि डुगोंग को देखना दुर्लभ है, लेकिन उनकी उपस्थिति स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत मानी जाती है। इन्हें बचाना समुद्र पर निर्भर तटीय समुदायों के हित में भी है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
डुगोंग का उपनाम | समुद्री गाय (Sea Cow) |
भारत में अनुमानित संख्या | लगभग 200 |
वैश्विक मुख्य क्षेत्र | ऑस्ट्रेलिया |
भारत में प्रमुख आवास | पाल्क की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान व निकोबार |
मुख्य आहार | समुद्री घास (Seagrass) |
IUCN स्थिति | असुरक्षित (Vulnerable) |
CMS सूची | परिशिष्ट II |
भारतीय क़ानूनी संरक्षण | अनुसूची I, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 |
अंतरराष्ट्रीय समझौता | UNEP/CMS डुगोंग समझौता ज्ञापन |
भारत का संरक्षण कार्यक्रम | संकटग्रस्त प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम |
पहला संरक्षण रिजर्व | पाल्क की खाड़ी, तमिलनाडु |