UIDAI ने मृतकों की उंगलियों के निशान से आधार मिलान को किया खारिज
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने स्पष्ट किया है कि वह मृत या अज्ञात शवों की पहचान के लिए पुलिस को आधार डेटाबेस से उंगलियों के निशान या जनसांख्यिकीय जानकारी देने में सक्षम नहीं है। यह फैसला आधार अधिनियम, 2016 के तहत निर्धारित गोपनीयता नियमों को दोहराता है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि पहचान की जानकारी, चाहे वह किसी भी स्थिति में क्यों न हो, सख्त गोपनीय बनी रहे।
बायोमेट्रिक निजता पर आधार अधिनियम का दृष्टिकोण
आधार अधिनियम, 2016 का उद्देश्य सरकारी लाभ और सेवाओं की लक्षित डिलीवरी है। इसके अध्याय VI में पहचान संबंधी जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता पर जोर दिया गया है। खासकर धारा 29(1) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोर बायोमेट्रिक डेटा—जैसे फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन—किसी भी परिस्थिति में साझा नहीं किया जा सकता, भले ही मांग सरकारी एजेंसी द्वारा क्यों न की गई हो।
कानूनी मार्ग केवल न्यायालय से—और वह भी सीमित रूप में
धारा 33(1) आधार अधिनियम की एकमात्र अपवाद है, जो सिर्फ उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पहचान की जानकारी या प्रमाणीकरण रिकॉर्ड साझा करने की अनुमति देती है। यहां भी UIDAI को कोर्ट में सुना जाना अनिवार्य है, और कोर बायोमेट्रिक डेटा को किसी भी स्थिति में साझा नहीं किया जा सकता। केवल बुनियादी जनसांख्यिकीय विवरण या प्रमाणीकरण लॉग ही प्रदान किए जा सकते हैं।
जन सुरक्षा बनाम डेटा सुरक्षा: संतुलन की चुनौती
हालांकि अज्ञात शवों की पहचान न कर पाने की स्थिति पुलिस जांच या आपदा प्रतिक्रिया में अड़चन बन सकती है, फिर भी कानून निजता और दुरुपयोग से सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। UIDAI का यह इनकार कोई तकनीकी बाध्यता नहीं, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी है, जो नागरिकों की गरिमा और आधार की मूल भावना को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
शासकीय निकाय | भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) |
संबंधित कानून | आधार अधिनियम, 2016 |
डेटा साझा करने पर प्रतिबंध | धारा 29(1) – कोर बायोमेट्रिक डेटा साझा नहीं |
सीमित प्रकटीकरण की अनुमति | धारा 33(1) – केवल न्यायालय के आदेश से, बायोमेट्रिक डेटा शामिल नहीं |
कोर बायोमेट्रिक डेटा में शामिल | फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन |
आधार का मूल उद्देश्य | लाभ और सेवाओं की लक्षित डिलीवरी |
प्रकटीकरण की शर्त | उच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित और UIDAI की उपस्थिति आवश्यक |