पेंशन समानता पर ऐतिहासिक निर्णय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि सभी सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, जिनमें अतिरिक्त न्यायाधीश भी शामिल हैं, को अब पूर्ण पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त होंगे। यह निर्णय पद की प्रकृति या कार्यकाल के आधार पर पहले लागू असमान पेंशन व्यवस्था को समाप्त करता है।
संविधान के अनुच्छेद 14 की पुष्टि
न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के बीच पेंशन असमानता, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। न्यायालय ने ज़ोर देकर कहा कि न्यायिक सेवा को समान रूप से देखा जाना चाहिए, चाहे न्यायाधीश स्थायी हों या अतिरिक्त।
न्यायपालिका के लिए समान पेंशन ढांचा लागू
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायपालिका में वन रैंक वन पेंशन सिद्धांत लागू करे। फैसले के अनुसार, सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को अब ₹15 लाख वार्षिक पेंशन, और अन्य उच्च न्यायालय न्यायाधीशों को ₹13.5 लाख वार्षिक पेंशन मिलेगी।
न्यायिक कल्याण के लिए व्यापक असर
यह फैसला इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि न्यायिक सेवा, चाहे किसी भी रूप या नियुक्ति प्रक्रिया से क्यों न हो, सेवानिवृत्ति के बाद समान आर्थिक गरिमा की हकदार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “सेवानिवृत्त न्यायाधीश” की परिभाषा में अतिरिक्त न्यायाधीश भी आते हैं, जिससे पूरे भारतीय न्यायपालिका में एकसमान पेंशन मानक सुनिश्चित होगा।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
सुप्रीम कोर्ट निर्णय वर्ष | 2025 |
लाभार्थी | सभी सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश (अतिरिक्त न्यायाधीश सहित) |
संबंधित अनुच्छेद | अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार |
वार्षिक पेंशन – मुख्य न्यायाधीश | ₹15 लाख |
वार्षिक पेंशन – अन्य न्यायाधीश | ₹13.5 लाख |
जारी निर्देश | न्यायपालिका के लिए वन रैंक वन पेंशन |
लागू क्षेत्र | भारत के सभी उच्च न्यायालय |