ऑपरेशन ओलिविया क्या है?
1980 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया ऑपरेशन ओलिविया, ओडिशा के तटीय क्षेत्र में ऑलिव रिडले कछुओं के प्रजनन काल के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए भारतीय तटरक्षक बल की एक वार्षिक पहल है। नवंबर से मई तक, ये लुप्तप्राय कछुए बड़ी संख्या में रुषिकुल्या, देवी नदी मुहाने और गाहिरमाथा बीच पर अंडे देने आते हैं। इस अभियान का उद्देश्य सुरक्षित घोंसले का वातावरण बनाना, अवैध मछली पकड़ने पर रोक लगाना और संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों में यातायात नियंत्रित करना है।
2025 के प्रजनन सत्र में, ऑपरेशन ओलिविया ने रुषिकुल्या नदी मुहाने पर 6.98 लाख से अधिक कछुओं की रक्षा कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
ऑलिव रिडले कछुए: संकटग्रस्त समुद्री प्रवासी
ऑलिव रिडले कछुए (Lepidochelys olivacea) दुनिया में सबसे छोटे और प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले समुद्री कछुए हैं, जो अपने जैतूनी रंग के दिल के आकार के कवच के लिए प्रसिद्ध हैं। बावजूद इसके, IUCN रेड लिस्ट में इन्हें ‘संकटग्रस्त’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
इनकी सबसे खास विशेषता है अरिबाडा, जिसमें हजारों मादा कछुए एक साथ समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं। ये कछुए हजारों किलोमीटर का समुद्री सफर तय कर भारत, प्रशांत और अटलांटिक महासागरों में घूमते हैं। भारत में ओडिशा और अंडमान द्वीप समूह इनके मुख्य प्रजनन स्थल हैं।
ऑलिव रिडले कछुओं के समक्ष खतरे
हालांकि ये जैविक रूप से मजबूत प्रजाति हैं, परंतु इन्हें कई मानवीय गतिविधियों से खतरा है। अवैध ट्रॉलिंग और मछली जालों में फंसना इनके लिए प्रमुख मृत्यु कारक हैं। इसके अतिरिक्त, तटीय विकास, प्लास्टिक प्रदूषण, अंडों की चोरी, समुद्र स्तर में वृद्धि, और तेज रोशनी व शोर जैसे कारण इनकी प्राकृतिक प्रवृत्तियों को बाधित करते हैं।
इन खतरों से निपटने के लिए, तटरक्षक बल रात्रिकालीन गश्त, हवाई निगरानी और वन एवं मत्स्य विभागों के साथ सहयोगात्मक अभियान चलाता है।
संरक्षण उपाय और कानूनी सुरक्षा
ऑलिव रिडले कछुओं को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सुरक्षा प्राप्त है:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 – अनुसूची I (सर्वोच्च सुरक्षा)
- IUCN रेड लिस्ट – संकटग्रस्त (Vulnerable)
- CITES – परिशिष्ट I (अंतरराष्ट्रीय व्यापार निषिद्ध)
ये प्रावधान कछुओं और उनके प्रजनन स्थलों की उच्चस्तरीय निगरानी और संरक्षण सुनिश्चित करते हैं।
ऑपरेशन ओलिविया का बढ़ता प्रभाव
गश्त के साथ-साथ, ऑपरेशन ओलिविया स्थानीय मछुआरों को जागरूक करने, टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TEDs) के उपयोग को बढ़ावा देने, और प्रजनन मौसम में नो–फिशिंग ज़ोन को लागू करने पर ज़ोर देता है। तटरक्षक बल नेविगेशन चेतावनी भी जारी करता है और राज्य एजेंसियों के साथ संयुक्त अभ्यास करता है।
रुषिकुल्या में सफलता दर्शाती है कि वैज्ञानिक संरक्षण और सख्त निगरानी मिलकर समुद्री जैव विविधता और तटीय आजीविका में संतुलन ला सकते हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रारंभ वर्ष | 1980 के दशक की शुरुआत |
समन्वय एजेंसी | भारतीय तटरक्षक बल |
2025 की उपलब्धि | रुषिकुल्या में 6.98 लाख कछुओं की रक्षा |
प्रमुख प्रजनन स्थल | गाहिरमाथा, रुषिकुल्या, देवी नदी मुहाना (ओडिशा), अंडमान |
कानूनी स्थिति | WPA 1972 (अनुसूची I), IUCN (संकटग्रस्त), CITES (परिशिष्ट I) |
प्रमुख घटना | अरिबाडा (सामूहिक अंडा देना) |