भारतीय यात्रा दस्तावेज़ों में डिजिटल बदलाव
विदेश मंत्रालय (MEA) ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (PSP) 2.0 के दूसरे चरण के अंतर्गत ई–पासपोर्ट जारी करना प्रारंभ कर दिया है। यह पहल नागरिकों के लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। पारंपरिक कागजी पासपोर्ट भी अब तक मान्य हैं, और ई-पासपोर्ट की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू की जा रही है।
ई-पासपोर्ट क्या है?
ई–पासपोर्ट एक उन्नत यात्रा दस्तावेज है जिसमें पारंपरिक पासपोर्ट के साथ-साथ एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) चिप समाहित होती है। यह चिप पासपोर्ट धारक की व्यक्तिगत और बायोमेट्रिक जानकारी को सुरक्षित रूप से संग्रहित करती है। ई-पासपोर्ट की पहचान उसके कवर पर बने स्वर्ण रंग के चिप चिह्न से की जा सकती है। इस पासपोर्ट में जानकारी को पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर (PKI) से संरक्षित किया जाता है।
इस नई प्रणाली के लाभ
RFID और PKI तकनीक का समावेश ई-पासपोर्ट को जालसाजी और छेड़छाड़ से सुरक्षित बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर यात्रियों की पहचान की तेजी से पुष्टि होती है, जिससे समय की बचत होती है। डिजिटल हस्ताक्षरों की वजह से इस पासपोर्ट में संग्रहीत डेटा को अनधिकृत रूप से बदला नहीं जा सकता, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दस्तावेज़ों पर विश्वास बढ़ता है।
पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 का कार्यान्वयन
पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0, वर्ष 2024 से सक्रिय है, जो 2010 में शुरू हुए पहले चरण पर आधारित है। इसका उद्देश्य तकनीक आधारित, पारदर्शी और एकीकृत पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करना है। मार्च 2025 तक चेन्नई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहरों में ई-पासपोर्ट जारी किए जाने लगे थे। केवल चेन्नई में 20,700 से अधिक ई–पासपोर्ट जारी किए जा चुके हैं, जो महानगरों में इसकी तीव्र स्वीकृति को दर्शाता है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
शुरुआत करने वाला विभाग | विदेश मंत्रालय (MEA) |
दस्तावेज़ प्रकार | RFID और बायोमेट्रिक चिप के साथ ई-पासपोर्ट |
प्रयुक्त तकनीक | RFID, PKI (पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर) |
दृश्य पहचान | पासपोर्ट कवर पर स्वर्ण चिप प्रतीक |
मार्च 2025 तक के लॉन्च शहर | चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद आदि |
चेन्नई में जारी ई-पासपोर्ट | 20,700 से अधिक |
कार्यक्रम का नाम | पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (PSP) 2.0 |
PSP 2.0 की शुरुआत वर्ष | 2024 |
प्रमुख लाभ | धोखाधड़ी से सुरक्षा, शीघ्र पहचान, डेटा की प्रमाणिकता |