भारतीय वायुसेना में राफेल की वर्तमान ताकत
2025 तक भारत के पास 36 राफेल लड़ाकू विमान हैं, जो 2016 में फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के साथ €7.87 बिलियन के सौदे के तहत पूरी तरह से डिलीवर किए जा चुके हैं। ये विमानों को दो स्क्वाड्रनों में तैनात किया गया है—नं. 17 ‘गोल्डन एरोज़’ (अंबाला, हरियाणा) और हाशिमारा (पश्चिम बंगाल)—जिससे भारत की पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर वायु श्रेष्ठता सुनिश्चित होती है। राफेल एक 4.5 पीढ़ी का मल्टीरोल जेट है, जिसमें अत्याधुनिक रडार, मेटेओर मिसाइल, और सीमित स्टील्थ क्षमताएँ शामिल हैं।
क्षति और संचालन स्थिति
हालांकि भारतीय वायुसेना ने किसी भी राफेल नुकसान की पुष्टि नहीं की है, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक तीन राफेल विमानों की संभावित हानि की आशंका जताई गई है। एयर मार्शल ए.के. भारती के बयानों ने कुछ मुकाबलों में राफेल की भागीदारी की ओर संकेत किया है। फिर भी, कम से कम 33 राफेल सक्रिय सेवा में हैं, जो भारत की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत आधार बने हुए हैं।
नौसेना के लिए राफेल मरीन विमान
अप्रैल 2025 में, भारत ने 26 राफेल मरीन (Rafale-M) विमानों की खरीद के लिए सौदा किया। ये नौसैनिक विमान आईएनएस विक्रांत और भविष्य के एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात किए जाएंगे। राफेल मरीन संस्करण में अरेस्टर हुक, मजबूत लैंडिंग गियर, और शॉर्ट रनवे संचालन क्षमता शामिल है। पहली डिलीवरी 2028 से शुरू होने की संभावना है, जिससे भारतीय नौसेना की हवाई मारक क्षमता और समुद्री सुरक्षा को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
तैनाती और औद्योगिक सहयोग
भारत में राफेल की रणनीतिक तैनाती दो मुख्य एयरबेस पर है:
- अंबाला एयरबेस (हरियाणा) – पाकिस्तान और पश्चिमी मोर्चे के लिए
- हाशिमारा एयरबेस (पश्चिम बंगाल) – चीन और पूर्वी सीमा के लिए
इस दोहरी तैनाती से वायुसेना को दोनों सीमाओं पर उच्च गतिशीलता और तत्परता मिलती है। राफेल सौदे में तकनीकी हस्तांतरण और HAL जैसे भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ औद्योगिक सहयोग भी शामिल था, जो ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत को समर्थन देता है।
रणनीतिक महत्व और भविष्य की दिशा
राफेल भारत की आधुनिक युद्ध नीति का केंद्रीय हिस्सा है। सुपीरियर इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, सटीक स्ट्राइक क्षमता, और मेटेओर जैसी बीवीआर मिसाइलों के साथ यह जेट मल्टी–थिएटर ऑपरेशन और संयुक्त सैन्य संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीमा तनाव और रक्षा आत्मनिर्भरता को देखते हुए, भारत भविष्य में राफेल की संख्या बढ़ा सकता है। संभावित अगली डील में स्थानीय असेंबली लाइनें और उत्पादन भी शामिल हो सकते हैं, जिससे भारत वैश्विक रक्षा विनिर्माण श्रृंखला में एक नई भूमिका निभा सकेगा।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
भारतीय वायुसेना में राफेल (2025) | 36 विमान (2019–2022 में डिलीवर) |
तैनाती स्थान | अंबाला (हरियाणा), हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) |
संभावित नुकसान | 3 राफेल तक (अनधिकृत रिपोर्ट्स) |
नौसेना राफेल सौदा | 26 राफेल मरीन – अप्रैल 2025 |
तैनाती | आईएनएस विक्रांत और भविष्य के कैरियर्स |
पहली राफेल डील | 2016, €7.87 बिलियन (डसॉल्ट एविएशन) |
मिसाइल विशेषता | मेटेओर (बियॉन्ड विजुअल रेंज) |
जेट विशेषता | 4.5 जेनरेशन मल्टीरोल स्टील्थ फीचर्स |
भविष्य की योजना | संभावित घरेलू उत्पादन व अतिरिक्त ऑर्डर |
संबंधित पहल | आत्मनिर्भर भारत (रक्षा विनिर्माण) |