चालू घटनाएँ: असम से अप्रवासी निष्कासन अधिनियम 1950, असम में अवैध प्रवासी 2025, नागरिकता अधिनियम धारा 6A, असम आंदोलन 1979, असम समझौता 1985, विदेशी अधिनियम भारत, हिमंत बिस्वा सरमा, पूर्वी बंगाल विभाजन प्रवास, अवैध आव्रजन पर सुप्रीम कोर्ट
असम ने तेज कार्रवाई के लिए पुराने कानून का रुख किया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि राज्य जल्द ही अवैध प्रवासियों के निष्कासन हेतु 1950 के कानून को लागू करेगा। यह कानून भारत के विभाजन के बाद तैयार किया गया था और इससे सरकार को बिना लंबी अदालती प्रक्रिया के अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को निष्कासित करने का अधिकार मिलता है। वर्षों से अवैध प्रवास की समस्या से जूझ रहे असम के लिए यह कदम तेज कार्रवाई की दिशा में देखा जा रहा है।
1950 का कानून क्या है?
Immigrants (Expulsion from Assam) Act 1 मार्च 1950 को लागू हुआ। यह भारत के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) से आए प्रवासियों की बढ़ती संख्या के जवाब में लाया गया था। इस कानून के तहत केंद्र सरकार को ऐसे लोगों को असम से निष्कासित करने का अधिकार मिला जिनकी उपस्थिति जनशांति या अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को प्रभावित कर सकती थी।
अधिकारियों को विशेष शक्तियां
इस अधिनियम की एक विशेष बात यह है कि जिला आयुक्त सीधे निष्कासन आदेश दे सकते हैं, जिसके लिए कोर्ट की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि यह कानून असम के लिए बनाया गया था, लेकिन तकनीकी रूप से यह पूरे भारत में लागू हो सकता है। समय के साथ यह कानून लगभग भुला दिया गया था।
असम आंदोलन और उसकी विरासत
1979 में शुरू हुए असम आंदोलन ने अवैध प्रवास के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला दिया। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन का उद्देश्य विदेशियों की पहचान और निष्कासन था। इसका परिणाम 1985 के असम समझौते के रूप में हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि 24 मार्च 1971 के बाद असम में आए व्यक्ति को विदेशी माना जाएगा।
अवैध प्रवास पर सुप्रीम कोर्ट की राय
अक्टूबर 2024 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध ठहराया, जो असम में बांग्लादेश से आए प्रवासियों के लिए नागरिकता प्रावधानों को नियंत्रित करती है। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 1950 का अधिनियम आज भी लागू है और यह नागरिकता अधिनियम तथा विदेशी अधिनियम के साथ-साथ कार्य कर सकता है।
राज्य सरकार की नई दिशा
मुख्यमंत्री सरमा का कहना है कि पिछली सरकारें इस कानून से अनभिज्ञ थीं, लेकिन अब राज्य इसे सक्रिय रूप से लागू करेगा ताकि नए अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन तेज़ी से किया जा सके। हालांकि, जो लोग पहले से अदालती मामलों में शामिल हैं, उन्हें इससे छूट मिलेगी।
संभावित व्यापक प्रभाव
इस कानून के पुनः लागू होने से अन्य राज्य भी अवैध प्रवासियों से निपटने के लिए इस दिशा में सोच सकते हैं। साथ ही, यह असम में जातीय पहचान, भूमि अधिकारों और जनसांख्यिकीय संतुलन से जुड़ी संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कानून का नाम | अवैध प्रवासियों का निष्कासन (असम से) अधिनियम, 1950 |
अधिनियम की तारीख | 1 मार्च 1950 |
मूल उद्देश्य | पूर्वी बंगाल से विभाजन के बाद प्रवास को नियंत्रित करना |
प्रमुख प्राधिकारी | केंद्र सरकार एवं जिला आयुक्त |
असम समझौता तिथि | 1985 |
असम आंदोलन की शुरुआत | 1979 |
असम में नागरिकता की कट-ऑफ तिथि | 24 मार्च 1971 |
असम के मुख्यमंत्री | हिमंत बिस्वा सरमा |
सुप्रीम कोर्ट निर्णय | अक्टूबर 2024 – धारा 6A वैध घोषित |