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बेंगलुरु ने मुंबई को पछाड़ा
भारत की पहली ‘तेंदुआ राजधानी’ बनने का गौरव अब बेंगलुरु को प्राप्त हो गया है, जिसने मुंबई को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक तेंदुआ आबादी वाले शहर का दर्जा हासिल किया है। होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन (HNF) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, बेंगलुरु के बाहरी इलाकों में 80 से 85 तेंदुए स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं। यह उपलब्धि तेजी से बढ़ते एक मेट्रो शहर में वन्यजीवों की उपस्थिति का अनूठा उदाहरण है।
साल भर चला वैज्ञानिक सर्वेक्षण
HNF का यह 2024–2025 सर्वेक्षण प्रसिद्ध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. संजय गुब्बी के नेतृत्व में किया गया। इसमें 282 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले शहरी जंगलों में 250 से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए गए। सर्वेक्षण ने तेंदुओं की संख्या के साथ-साथ उनकी गतिविधियों, आवास उपयोग, और जैव विविधता का भी अध्ययन किया।
प्रमुख क्षेत्रों में बन्नरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान (BNP) शामिल है, जहां तेंदुआ संख्या 2019 के 40 से बढ़कर 54 हो गई है। वहीं, तुराहल्ली, रोएरिच एस्टेट, यू.एम. कवेल, और हेसरघट्टा जैसे क्षेत्रों में 30 से अधिक तेंदुए पाए गए हैं।
शहरी परिदृश्य में वन्यजीवों की समृद्धि
तेजी से होते शहरीकरण के बावजूद, बेंगलुरु में वन्यजीव न केवल जीवित हैं बल्कि समृद्ध हो रहे हैं। सर्वे में 34 स्तनधारी प्रजातियाँ दर्ज की गईं, जिनमें से 8 IUCN रेड लिस्ट में और 22 वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल हैं। इन प्रजातियों की सुरक्षा में सुधार और पर्याप्त शिकार उपलब्धता ने तेंदुओं के रहने योग्य वातावरण को सुनिश्चित किया है।
यह भी देखा गया कि तेंदुए स्थानीय बस्तियों के निकट रहकर भी संघर्ष से बचते हुए रह रहे हैं। पहले पुनर्वासित तेंदुओं ने भी स्थानीय आबादी को मजबूत करने में योगदान दिया है।
दीर्घकालिक संरक्षण की सिफारिशें
HNF ने बेंगलुरु के कुछ क्षेत्रों जैसे बी.एम. कवेल, रोएरिच एस्टेट, और गोल्लाहल्ली गुड्डा को संरक्षण रिजर्व घोषित करने की सिफारिश की है। साथ ही, बन्नरघट्टा नेशनल पार्क का विस्तार करके पास के आरक्षित वन जैसे दुर्गडकल RF और बेट्टहल्लीवाडे RF को जोड़ने की भी मांग की गई है।
रिपोर्ट में तेंदुओं को अन्य क्षेत्रों से BNP में स्थानांतरित करने की नीति पर रोक लगाने, और इसके बजाय वन्यजीव गलियारों जैसे मुनेश्वराबेट्टा–बन्नरघट्टा लिंक बनाने की सिफारिश की गई है ताकि तेंदुए सुरक्षित रूप से क्षेत्रों के बीच आवागमन कर सकें।
भारत के शहरों के लिए उदाहरण
यह सर्वेक्षण इस बात का प्रमाण है कि यदि सटीक संरक्षण ढांचा हो, तो शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता पनप सकती है। बेंगलुरु की यह सफलता अन्य भारतीय शहरों के लिए एक प्रेरणास्रोत मॉडल बन सकती है। यह शहर की हरित विरासत में नया अध्याय जोड़ता है जिसमें पार्क, झीलें और अब शहरी तेंदुआ संरक्षण शामिल हो गया है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
भारत की तेंदुआ राजधानी | बेंगलुरु (2025) |
सर्वेक्षण संस्थान | होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन |
सर्वेक्षण अवधि | 2024–2025 |
प्रमुख वैज्ञानिक | डॉ. संजय गुब्बी |
अनुमानित तेंदुआ संख्या | 80–85 |
BNP में तेंदुए | 54 (2019 में 40 से वृद्धि) |
सर्वेक्षण क्षेत्र | 282 वर्ग किमी |
उपयोग किए गए उपकरण | 250+ कैमरा ट्रैप |
प्रमुख क्षेत्र | BNP, तुराहल्ली, रोएरिच एस्टेट, यू.एम. कवेल, हेसरघट्टा |
संकटग्रस्त प्रजातियाँ | 8 (IUCN रेड लिस्ट में) |
अनुसूची I की प्रजातियाँ | 22 (वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत) |
संरक्षण सिफारिशें | रिजर्व घोषित करें, BNP का विस्तार करें, वन्यजीव गलियारे बनाएं |