भारत की नशा मुक्ति योजना
भारत सरकार अब 291 गैप जिलों में जिला नशा मुक्ति केंद्र (DDACs) स्थापित कर रही है। ये वे जिले हैं जहाँ नशा मुक्ति सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यह योजना नशीली दवाओं की मांग घटाने की राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR) के तहत चलाई जा रही है, जिसकी देखरेख सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा की जा रही है।
DDACs क्या सेवाएँ देंगे?
प्रत्येक DDAC एक पूर्णकालिक पुनर्वास और उपचार केंद्र के रूप में कार्य करेगा। इसमें प्रशासनिक कार्यालय, इन–पेशेंट वार्ड, और सामुदायिक जागरूकता के लिए स्थान होंगे। जनसंख्या के अनुसार, प्रत्येक केंद्र एक समय में 15 से 30 रोगियों का इलाज कर सकेगा। सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कड़े मानक अपनाए जाएंगे।
सरकार द्वारा संचालित अन्य केंद्र
DDAC के अतिरिक्त, सरकार के पास पहले से ही विभिन्न प्रकार के पुनर्वास केंद्र कार्यरत हैं:
- 350 एकीकृत नशा मुक्ति केंद्र (IRCAs)
- 74 आउटरीच और ड्रॉप–इन केंद्र (ODICs)
- 46 सामुदायिक आधारित पीयर लीड पहलों (CPLIs)
- 124 कार्यरत DDACs
यह बहु–स्तरीय ढांचा नशा की रोकथाम से लेकर पुनर्वास तक के सभी चरणों को कवर करता है।
नशीली दवाओं के उपयोग पर चौंकाने वाले आंकड़े
भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग की व्यापकता को समझने के लिए नई राष्ट्रीय सर्वेक्षण योजना बनाई जा रही है। पिछले आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 7 करोड़ वयस्क और 1.18 करोड़ बच्चे और किशोर किसी न किसी मनो–सक्रिय पदार्थ का सेवन करते हैं। यह दिखाता है कि समस्या गंभीर और गहराई तक फैली हुई है।
NGO और स्टार्टअप की भूमिका
सरकार ने NGO और स्टार्टअप्स से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं, ताकि यह मिशन समावेशी बन सके। इन संगठनों को कम से कम दो वर्षों का नशा मुक्ति से संबंधित अनुभव होना चाहिए और 30 जून, 2025 तक आवेदन देना अनिवार्य है। इनकी भूमिका में जागरूकता अभियान, रोकथाम शिक्षा और जोखिम नियंत्रण प्रमुख हैं, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में।
रोकथाम और समय पर हस्तक्षेप
DDACs का प्रमुख उद्देश्य रोकथाम है। इसके तहत जनता को नशे के खतरों के बारे में शिक्षित करना, पीयर एजुकेटर को प्रशिक्षित करना, और प्रारंभिक मामलों की पहचान कर उन्हें नजदीकी केंद्रों तक पहुँचाना शामिल है। अक्सर यह कार्य स्कूल कार्यक्रम, युवा क्लब और सामुदायिक सत्रों के माध्यम से किया जाता है।
उच्च आवश्यकता वाले क्षेत्र
छत्तीसगढ़ सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहाँ 33 में से 31 जिले गैप जिले घोषित किए गए हैं। अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार में भी ऐसे जिले बड़ी संख्या में हैं। यह डेटा बताता है कि इन क्षेत्रों में तत्काल और लक्षित कार्रवाई की आवश्यकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
DDAC का पूरा नाम | जिला नशा मुक्ति केंद्र |
राष्ट्रीय कार्य योजना | नशीली दवाओं की मांग घटाने की योजना (NAPDDR) |
संबंधित मंत्रालय | सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय |
सबसे अधिक गैप जिले वाला राज्य | छत्तीसगढ़ (31 जिले) |
NGO प्रस्ताव की अंतिम तिथि | 30 जून, 2025 |
मौजूदा सुविधाएँ | 350 IRCA, 74 ODIC, 46 CPLI, 124 DDAC |
सर्वेक्षण आंकड़े (पिछली रिपोर्ट) | 1.18 करोड़ बच्चे, 7 करोड़ वयस्क प्रभावित |
प्रमुख रोकथाम उपाय | पीयर-नेतृत्व पहल, सामुदायिक जागरूकता, स्कूल शिक्षा |
संवैधानिक संदर्भ | नीति निदेशक तत्व – अनुच्छेद 47 (मादकता निषेध) |
प्रसिद्ध पुनर्वास दिवस | 26 जून – नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस |