आरबीआई की नई योजना
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वित्त वर्ष 2025–26 में अपनी मौद्रिक नीति रूपरेखा की समीक्षा करने जा रहा है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब देश में मुद्रास्फीति के स्वरूप अधिक जटिल होते जा रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच, आरबीआई यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी नीतिगत कार्रवाइयाँ जैसे कि रेपो दर परिवर्तन आम लोगों तक प्रभावी रूप से पहुँचें।
समीक्षा की आवश्यकता क्यों?
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2024–25 में दो प्रमुख चिंताओं को रेखांकित किया गया — पहला, क्या वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य प्रणाली (4% ±2%) अब भी उपयुक्त है, खासकर जब खाद्य कीमतें अस्थिर हैं; और दूसरा, बैंकों द्वारा नीति हस्तांतरण की दक्षता को सुधारने के लिए तरलता प्रणाली की समीक्षा की जानी चाहिए।
मुख्य मुद्रास्फीति पर ज़ोर
भारत का वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य 4% ±2% है जो मार्च 2026 तक मान्य है। लेकिन विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि आरबीआई को कोर मुद्रास्फीति (जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते) को लक्ष्य बनाना चाहिए, क्योंकि ये मूल्य अधिक स्थिर रहते हैं। इससे मौद्रिक नीति निर्धारण में स्पष्टता आती है।
आम ज़िंदगी से जुड़ी सोच
जैसे किसी परिवार के लिए अगर सब्जी और किराने के दाम हर महीने बदलते रहते हैं, तो बजट बनाना मुश्किल होता है। लेकिन किराया और बिजली बिल स्थिर रहते हैं, जिससे योजना बनाना आसान होता है। आरबीआई भी इसी प्रकार सोच रहा है — स्थिर मूल्यों पर ध्यान देना नीति निर्धारण के लिए ज़्यादा उपयोगी है।
तरलता प्रबंधन और ट्रांसमिशन
आरबीआई का लक्ष्य है कि बैंकिंग प्रणाली में नेट डिमांड एंड टाइम लायबिलिटीज (NDTL) का लगभग 1% अधिशेष तरलता बनी रहे। मई 2025 तक यह स्तर ₹1.91 लाख करोड़ या 0.7% है, जो लक्ष्य से थोड़ा कम है।
वहीं, EBLR प्रणाली (बाहरी बेंचमार्क लिंक्ड रेट) ने रेपो दर को सीधे ऋण दरों से जोड़कर मौद्रिक ट्रांसमिशन को तेज और पारदर्शी बना दिया है।
समीक्षा क्यों आवश्यक है?
जैसे-जैसे वैश्विक और घरेलू वित्तीय परिवेश बदलता है, आरबीआई के लिए अपनी नीति उपकरणों की समीक्षा करना अनिवार्य हो जाता है। इससे न केवल मुद्रास्फीति नियंत्रण सुदृढ़ होगा, बल्कि भारत की वित्तीय प्रणाली अधिक उत्तरदायी और स्थिर बन सकेगी।
स्थैतिक ‘Usthadian’ करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
आरबीआई स्थापना | 1935, राष्ट्रीयकरण 1949 |
वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य | 4% ±2% (मान्य: मार्च 2026 तक) |
मौद्रिक नीति ढाँचा | लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य प्रणाली (FIT), 2016 से |
रेपो रेट (जून 2025) | 6.25% (फरवरी से अब तक 25 bps की कटौती) |
कोर मुद्रास्फीति | खाद्य और ईंधन को छोड़कर |
तरलता लक्ष्य | NDTL का लगभग 1% अधिशेष |
वर्तमान तरलता | ₹1.91 लाख करोड़ (0.7% of NDTL) |
EBLR | 2019 में शुरू, ऋण दर को बेंचमार्क से जोड़ता है |
CPI बनाम WPI | CPI का उपयोग मुद्रास्फीति लक्ष्य के लिए |
वार्षिक रिपोर्ट | आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट 2024–25 |