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प्रारंभिक मानव बसावट के अध्ययन में प्रगति
अरावली पर्वतमाला के मंगर क्षेत्र में हाल ही में हुई पुरातत्वीय खोजों ने भारत के प्रागैतिहासिक काल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी हैं। यहाँ से हथौड़े, क्लीवर और अन्य अच्यूलियन उपकरण मिले हैं जो 2 से 5 लाख वर्ष पुराने हैं और निचली पुरा–पाषाण युग से संबंधित हैं। ये खोजें दर्शाती हैं कि इस क्षेत्र में शिकारी–संग्राहक समाज निवास करते थे और यह स्थान भारत में प्रारंभिक मानव गतिविधियों के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।
अरावली की भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्ता
अरावली पर्वतमाला, जो पृथ्वी की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, 670 किमी तक फैली है और दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात से होकर गुजरती है। इसकी सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (1,722 मीटर) राजस्थान में स्थित है। यह क्षेत्र प्रोटेरोज़ोइक युग में बना और इसमें जस्ता, तांबा और संगमरमर जैसे खनिजों की भरमार है। बनास और लूणी जैसी नदियाँ इसे मानव आवास के लिए आदर्श बनाती थीं।
मंगर बनी: जैव विविधता और विरासत स्थल
दिल्ली–हरियाणा सीमा के पास स्थित मंगर बनी, 677 एकड़ में फैला एक पवित्र उपवन और पर्यावरणीय रूप से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ 240 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ और तेंदुए व लकड़बग्घा जैसे स्तनधारी जीव पाए जाते हैं। यहाँ मिली ऊपरी पुरा–पाषाण युग की गुफा चित्रकलाएँ, जिनमें प्रकृति और जानवरों के चित्र हैं, प्रारंभिक मानव की कलात्मक प्रवृत्ति को दर्शाती हैं।
वैज्ञानिक विश्लेषण और अनुसंधान
AAHRT और CEDAR द्वारा नेतृत्व किए गए पुरातात्विक दल ने थर्मोल्यूमिनेसेंस डेटिंग तकनीक का प्रयोग कर उपकरणों की आयु ज्ञात की है। इस तकनीक से यह पता चलता है कि पत्थर अंतिम बार सूर्य के संपर्क में कब आया था। अब तक लगभग 200 उपकरण प्राप्त हो चुके हैं, जिनका सुव्यवस्थित अध्ययन प्रारंभिक मानव की जीवनशैली और गतिशीलता को उजागर करता है।
विरासत पर खतरे और संरक्षण की आवश्यकता
इस ऐतिहासिक महत्व के बावजूद मंगर बनी को रियल एस्टेट विकास से खतरा है, विशेषकर वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2023 के बाद, जिसने असूचित वनों की सुरक्षा को कमजोर किया है। संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की कानूनी कमियाँ प्राकृतिक आवास और पुरातत्विक विरासत को नुकसान पहुँचा सकती हैं। मंगर को एक संरक्षित पुरातात्विक और जैविक रिज़र्व के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता है।
आगे की राह
भारत की प्रागैतिहासिक विरासत और पर्यावरणीय संतुलन को सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने मंगर को हेरिटेज फॉरेस्ट ज़ोन के रूप में मान्यता देने की सिफारिश की है। वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण, अतिक्रमण से सुरक्षा, और जनजागरूकता के प्रयास इस अमूल्य स्थल को दीर्घकालिक संरक्षण देने में सहायक होंगे।
परीक्षा हेतु Static GK स्नैपशॉट
विषय | विवरण |
क्षेत्र | मंगर, दिल्ली-हरियाणा सीमा |
पर्वत श्रृंखला | अरावली (सबसे पुरानी वलित पर्वतमाला) |
उपकरणों की आयु | 2,00,000 – 5,00,000 वर्ष (निचला पुरा-पाषाण काल) |
उपकरण संस्कृति | अच्यूलियन (हथौड़े, क्लीवर) |
अरावली की चोटी | गुरु शिखर, 1,722 मीटर (राजस्थान) |
गुफा चित्रकला | ऊपरी पुरा-पाषाण (जानवरों और प्रकृति की चित्रकारी) |
दिनांक निर्धारण विधि | थर्मोल्यूमिनेसेंस डेटिंग |
अनुसंधान संस्थाएँ | AAHRT और CEDAR |
जैव विविधता तथ्य | 240 पक्षी प्रजातियाँ, तेंदुए और लकड़बग्घा जैसे जीव |
खतरा | वन संरक्षण अधिनियम 2023; शहरी विकास से खतरा |