कर्नाटक के अतीत पर प्रकाश डालने वाली खोज
कर्नाटक के दावणगेरे ज़िले के न्यामति तालुक स्थित मदापुर झील में एक अद्वितीय पुरातात्विक खोज हुई है। पुरानी कन्नड़ भाषा में खुदे हुए 17 पंक्तियों वाले और 5 फीट लंबे पत्थर के शिलालेख को खोजकर्ताओं ने उजागर किया है। यह शिलालेख 7वीं सदी ईस्वी का है और यह बादामी चालुक्य वंश के महान शासक विक्रमादित्य प्रथम (654–681 ई.) के शासनकाल से संबंधित है। यह खोज दक्षिण भारत में प्रारंभिक मध्यकालीन प्रशासन और सामाजिक व्यवस्था की दुर्लभ जानकारी प्रदान करती है।
विक्रमादित्य प्रथम का शासन: अव्यवस्था के बाद व्यवस्था
विक्रमादित्य प्रथम, चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्वितीय के तीसरे पुत्र थे, जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता के बीच सत्ता संभाली। 642 से 655 ईस्वी के बीच उनका शासन शुरू हुआ, जिसने चालुक्य नियंत्रण को पुनः स्थापित किया। उन्होंने पल्लवों से वातापी (आधुनिक बादामी) को फिर से जीतकर साम्राज्य की प्रतिष्ठा लौटाई। यह नया शिलालेख उनके प्रशासनिक सुधारों और लोकहितकारी निर्णयों का प्रमाण देता है।
शिलालेख से मिली जानकारी: कल्याणकारी प्रशासन
इस शिलालेख में विक्रमादित्य प्रथम के अधीन सिंहवेन्न नामक अधिकारी का उल्लेख है, जिन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के लिए कर माफी की घोषणा की थी। साथ ही, झील निर्माण हेतु 6 एकड़ भूमि दान का भी ज़िक्र है। इससे पता चलता है कि उस काल में जनकल्याण, सिंचाई, और कृषि विकास जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती थी। यह प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक कल्याण के गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
बल्लवी प्रशासनिक व्यवस्था का संकेत
शिलालेख में बल्लवी नामक प्रशासनिक इकाई का भी उल्लेख है, जो लगभग 70 गांवों का समुच्चय थी। यह दर्शाता है कि चालुक्य शासन के दौरान स्थानीय स्तर पर विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था प्रभावी रूप से कार्य कर रही थी। इस व्यवस्था में स्थानीय अधिकारियों को शाही निर्देशों को लागू करने का अधिकार था।
सांस्कृतिक निरंतरता का प्रमाण
शिलालेख वाले पत्थर पर 17वीं सदी की एक अधूरी आकृति भी उकेरी हुई है, जिससे पता चलता है कि यह स्थल कई सदियों तक सांस्कृतिक या धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण बना रहा। यह सांस्कृतिक निरंतरता का प्रमाण है जहाँ पुरानी ऐतिहासिक धरोहरें नए सामाजिक और धार्मिक संदर्भों में जीवित रहीं।
STATIC GK SNAPSHOT (हिंदी में)
विषय | विवरण |
खोज का स्थान | मदापुर झील, न्यामति तालुक, दावणगेरे जिला, कर्नाटक |
लिपि और भाषा | पुरानी कन्नड़, 17 पंक्तियाँ |
शिलालेख की लंबाई | 5 फीट |
कालखंड | 7वीं सदी ईस्वी |
वंश और शासक | बादामी चालुक्य, विक्रमादित्य प्रथम (654–681 ई.) |
उल्लेखित अधिकारी | सिंहवेन्न |
प्रमुख घटनाएँ | कर माफी, झील निर्माण हेतु 6 एकड़ भूमि दान |
प्रशासनिक इकाई | बल्लवी (लगभग 70 गांव शामिल) |
बाद की उपयोगिता | उसी पत्थर पर 17वीं सदी की आकृति |