जुलाई 18, 2025 10:33 अपराह्न

2026 से राज्यों की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी में कटौती का प्रस्ताव: एक वित्तीय मोड़

करेंट अफेयर्स: 2026 से केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती का केंद्र का प्रस्ताव: एक वित्तीय मोड़, वित्त आयोग 2025 रिपोर्ट, अरविंद पनगढ़िया कर पैनल, केंद्र-राज्य राजस्व साझाकरण, राजकोषीय घाटा 2025, राजस्व-घाटा अनुदान भारत, जीएसटी राज्य राजस्व प्रभाव, भारतीय कर सुधार 2026, मुफ्त और राज्य अनुदान

Centre’s Proposal to Cut States’ Share in Central Taxes from 2026: A Financial Turning Point

केंद्र और राज्यों के वित्तीय संतुलन में बदलाव

केंद्र सरकार ने 2026–27 से राज्यों को मिलने वाली केंद्रीय करों की हिस्सेदारी को 41% से घटाकर 40% करने का प्रस्ताव रखा है। यह परिवर्तन देखने में मामूली लगता है, लेकिन केवल 1% की कटौती से भी राज्यों को हर साल लगभग ₹3.5 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है। इससे राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के वित्तपोषण की क्षमता पर असर पड़ेगा। इस प्रस्ताव की समीक्षा अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता वाली वित्त आयोग द्वारा की जाएगी, जो 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

केंद्र ऐसा क्यों करना चाहता है?

केंद्र ने बढ़ते खर्च और 2024–25 में 4.8% के संभावित राजकोषीय घाटे को इस कटौती के पीछे मुख्य कारण बताया है। इसके विपरीत, राज्यों का घाटा अनुमानतः 3.2% रहेगा। वर्ष 1980 में राज्यों को केंद्रीय करों में 20% हिस्सा मिलता था, जो आज 41% हो गया है। लेकिन कोविड महामारी के बाद की आर्थिक चुनौतियां और वैश्विक अनिश्चितताएं केंद्र को अपने खर्चों की प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर रही हैं। इसके अलावा, उपकर और अधिभार, जो केंद्र के कर राजस्व का 15% से अधिक हैं, राज्यों के साथ साझा नहीं किए जाते, जिससे वित्तीय असमानता और बढ़ जाती है।

राज्यों के लिए संभावित प्रभाव

भारत में सार्वजनिक व्यय का लगभग 60% राज्यों द्वारा किया जाता है, विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में। ऐसे में यदि केंद्र का हस्तांतरण घटता है, तो कई राज्य—जैसे तमिलनाडु, केरल, और पश्चिम बंगाल—आर्थिक संकट में आ सकते हैं। GST के लागू होने से राज्यों की कर लगाने की स्वतंत्रता पहले ही सीमित हो चुकी है, जिससे राजस्व बढ़ाने की क्षमता घट गई है।

मुफ्त योजनाओं पर नियंत्रण की कोशिश

इस प्रस्ताव के तहत केंद्र राजस्व घाटा अनुदान को राजकोषीय अनुशासन से जोड़ना चाहता है, जिससे राज्यों को ऋण माफी या नकद प्रोत्साहन जैसी लोकलुभावन योजनाओं से रोका जा सके। इसका उद्देश्य राज्यों को बजटीय अनुशासन के लिए प्रेरित करना है, लेकिन आलोचक इसे संघीय स्वायत्तता के विरुद्ध मानते हैं। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत जो राज्य “फ्रीबीज़” देंगे, उन्हें केंद्रीय अनुदान से वंचित किया जा सकता है।

संघीय टकराव की आशंका

हालाँकि वित्त आयोग की सिफारिशें सलाहात्मक होती हैं, लेकिन वे केंद्रीय बजट और अंतरसरकारी वित्तीय संबंधों को गहराई से प्रभावित करती हैं। कई विपक्षी शासित राज्य पहले से ही संसाधन आवंटन को लेकर केंद्र से नाराज़ हैं, और यह प्रस्ताव इस विवाद को और बढ़ा सकता है। अंतिम निर्णय आयोग की रिपोर्ट, कैबिनेट की मंजूरी, और संसद की स्वीकृति पर निर्भर करेगा।

STATIC GK SNAPSHOT – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु संक्षिप्त जानकारी

विषय विवरण
प्रस्तावित परिवर्तन राज्यों की हिस्सेदारी 41% से घटाकर 40% करना
लागू होने का वर्ष 2026–27 वित्तीय वर्ष
वित्त आयोग अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया
केंद्र का राजकोषीय घाटा (2024–25) 4.8% GDP
राज्यों का राजकोषीय घाटा (2024–25) 3.2% GDP
अनुमानित राजस्व लाभ केंद्र को ₹3.5 लाख करोड़ प्रति वर्ष (1% कटौती से)
राज्यों का प्रमुख व्यय क्षेत्र स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक कल्याण
GST का असर कर स्वतंत्रता में कमी
राजस्व घाटा अनुदान में गिरावट ₹1.18 ट्रिलियन (2021–22) से ₹137 बिलियन (2025–26) तक
विवादास्पद शर्त मुफ्त योजनाएं देने वाले राज्यों को अनुदान से वंचित किया जा सकता है

 

Centre’s Proposal to Cut States’ Share in Central Taxes from 2026: A Financial Turning Point
  1. केंद्र सरकार ने 2026–27 से राज्यों का कर हिस्सा 41% से घटाकर 40% करने का प्रस्ताव रखा है।
  2. यह 1% कटौती, केंद्र को प्रति वर्ष ₹3.5 लाख करोड़ का लाभ पहुँचा सकती है।
  3. यह प्रस्ताव अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले 16वें वित्त आयोग द्वारा समीक्षा किया जा रहा है।
  4. 2024–25 के लिए केंद्र का राजकोषीय घाटा GDP का8% अनुमानित है।
  5. राज्यों का राजकोषीय घाटा GDP का2% रहने की संभावना है।
  6. 1980 में 20% से लेकर 2021 में 41% तक राज्यों का कर हिस्सा लगातार बढ़ा है।
  7. सेस और अधिभार, जो केंद्र के कर राजस्व का 15% से अधिक बनाते हैं, राज्यों के साथ साझा नहीं किए जाते।
  8. प्रस्तावित कटौती से राज्यों की स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण योजनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है
  9. तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य केंद्रीय हस्तांतरणों पर अत्यधिक निर्भर हैं।
  10. GST व्यवस्था ने पहले ही राज्यों की कर स्वतंत्रता को सीमित कर दिया है।
  11. राजस्व घाटा अनुदान को अब राजकोषीय अनुशासन से जोड़ने का विचार है, जिससे मुफ्त योजनाओं को हतोत्साहित किया जा सके।
  12. जो राज्य ऋण माफी और नकद वितरण योजनाएँ चलाते हैं, उन्हें अनुदान मिलने में कठिनाई हो सकती है।
  13. आलोचक मानते हैं कि यह कदम संघीय स्वायत्तता को कमज़ोर करता है और केंद्रीय नियंत्रण को बढ़ावा देता है।
  14. अब मुफ्त योजनाएँ बनाम वित्तीय ज़िम्मेदारी केंद्र-राज्य वित्तीय संघर्ष का केंद्र बन गया है।
  15. राजस्व घाटा अनुदान ₹1.18 लाख करोड़ (2021–22) से घटकर ₹13,700 करोड़ (2025–26) हो गया है।
  16. वित्त आयोग की सिफारिशें सलाहकार होती हैं, लेकिन वे अक्सर बजट फैसलों को प्रभावित करती हैं।
  17. यह प्रस्ताव विपक्षशासित राज्यों के साथ संबंधों को और खराब कर सकता है।
  18. अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट और संसद की मंज़ूरी आवश्यक है।
  19. यह राजकोषीय कटौती भारत की संघीय वित्तीय संरचना को पुनः परिभाषित कर सकती है।
  20. Static GK: कर हिस्सा 41% से 40%, अरविंद पनगढ़िया, 16वाँ वित्त आयोग, राजकोषीय घाटा रुझान, GST और राज्यों की स्वायत्तता पर प्रभाव

Q1. 2026–27 से शुरू होकर राज्यों को केंद्रीय करों से आवंटित किए जाने वाले संशोधित हिस्से का प्रस्तावित प्रतिशत क्या है?


Q2. 2025 के लिए कर वितरण की समीक्षा कर रहे वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन हैं?


Q3. 2024–25 के लिए केंद्र सरकार का अनुमानित राजकोषीय घाटा कितना है?


Q4. नए प्रस्ताव के तहत मुफ्त योजनाएं (freebies) देने वाले राज्यों के लिए कौन सा वित्तीय अनुदान जोखिम में है?


Q5. 2017 के बाद कौन सा कारक राज्यों की स्वतंत्र राजस्व जुटाने की क्षमता को कमजोर कर चुका है?


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