वायु प्रदूषण: एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट
वायु प्रदूषण आज भी दुनिया की सबसे खतरनाक पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर 9 में से 1 मौत प्रदूषित हवा से जुड़ी होती है। इसमें सबसे ख़तरनाक है PM2.5, यानी ऐसे सूक्ष्म कण जिनका आकार 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है। ये कण फेफड़ों और रक्त प्रवाह में गहराई तक घुस जाते हैं और दमा, फेफड़े का कैंसर और हृदय रोग जैसे खतरे बढ़ाते हैं।
2025 में दुनिया के सबसे प्रदूषित देश
IQAir की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, चाड (Chad) दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है, जहाँ PM2.5 स्तर 91.8 µg/m³ है। दक्षिण एशिया के बांग्लादेश (78 µg/m³), पाकिस्तान (73.7 µg/m³) और भारत (50.6 µg/m³) शीर्ष पांच में शामिल हैं। भारत में 2023 के 54.4 µg/m³ से थोड़ी सुधार जरूर हुई है, पर अभी भी यह WHO की सुरक्षित सीमा 5 µg/m³ से कई गुना अधिक है। विशेष रूप से उत्तर भारत में सर्दियों के समय धुंध और स्मॉग की समस्या गंभीर बनी हुई है।
2025 में दुनिया के सबसे स्वच्छ वायु वाले देश
दूसरी ओर, बहामास (Bahamas) सबसे कम प्रदूषित देश रहा, जहाँ PM2.5 का स्तर केवल 2.3 µg/m³ है। इसके अलावा फ्रेंच पोलिनेशिया, बारबाडोस, आइसलैंड जैसे देश इस सूची में शामिल हैं। इन क्षेत्रों में कम जनसंख्या, साफ उद्योग, और मजबूत पर्यावरण नियम वायु को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक रहे। फिनलैंड और स्वीडन जैसे नॉर्डिक देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा और वन संरक्षण के ज़रिए स्वच्छता कायम रखी है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने कड़े उत्सर्जन मानकों से अपनी हवा को साफ रखा है।
PM2.5 कण क्यों होते हैं घातक?
PM2.5 कण इंसान के बाल की चौड़ाई से 30 गुना छोटे होते हैं। ये नाक और गले की परतों को पार करके सीधे फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। लंबे समय तक संपर्क से बच्चों की फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती है, और जीवन प्रत्याशा घट सकती है। इसी वजह से अब दुनिया भर में वायु गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
भारत की कोशिशें और चुनौतियाँ
भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) जैसी पहलों से सुधार के प्रयास हो रहे हैं। देशभर में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों की स्थापना बढ़ी है। फिर भी, पराली जलाना, वाहन प्रदूषण, और औद्योगिक उत्सर्जन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। जन जागरूकता और कड़े नियमों का पालन भारत की वायु को स्वच्छ बनाने के लिए अनिवार्य है।
STATIC GK SNAPSHOT
संकेतक | विवरण |
सर्वाधिक प्रदूषित देश (2025) | चाड – 91.8 µg/m³ |
भारत की प्रदूषण रैंकिंग (2025) | 5वीं – 50.6 µg/m³ |
सबसे कम प्रदूषित देश (2025) | बहामास – 2.3 µg/m³ |
WHO सुरक्षित सीमा (PM2.5) | 5 µg/m³ (वार्षिक औसत) |
वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था | IQAir (वैश्विक रैंकिंग) |
भारत के प्रमुख प्रदूषित क्षेत्र | दिल्ली-NCR, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी |
स्वच्छ हवा वाले देश | फिनलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड |