1857 से पहले का एक सशक्त आदिवासी विद्रोह
संथाल हुल की शुरुआत 1855 में हुई, जो भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सबसे पहले संगठित आदिवासी आंदोलनों में से एक था। यह 1857 की क्रांति से दो साल पहले घटित हुआ, और इसे भारत की पहली जनयुद्ध के रूप में भी जाना जाता है। इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने किया, और इसमें 10,000 से अधिक संथालों ने भाग लिया।
विद्रोह के पीछे के कारण
1832 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने डामिन–ई–कोह क्षेत्र को संथालों के लिए सुरक्षित किया था, परंतु समय के साथ उन्हें भूमिहीनता, करों का बोझ और बंधुआ मजदूरी का सामना करना पड़ा। साहूकारों, जमींदारों और व्यापारियों ने उनकी ज़मीन पर कब्जा कर लिया। इससे गुस्से और असंतोष की चिंगारी फैली, जो हुल आंदोलन में बदल गई।
Static GK: डामिन-ई-कोह का अर्थ है “पहाड़ों की तलहटी”, जो अब झारखंड में स्थित है।
संघर्ष और बलिदान की कहानी
जून 1855 में संथालों ने छापामार युद्ध नीति से विद्रोह शुरू किया। यह आंदोलन भागलपुर और राजमहल की पहाड़ियों तक फैल गया। हालांकि, ब्रिटिश सेना ने आधुनिक हथियारों और हाथियों की मदद से विद्रोह को कुचल दिया। 1856 तक यह आंदोलन दबा दिया गया, और इसके नेता सिद्धू-कान्हू शहीद हो गए।
एक प्रेरणादायक विरासत
संथाल हुल ब्रिटिश आर्थिक शोषण को उजागर करने वाला आंदोलन था और इसने 1857 की क्रांति सहित कई भविष्य के आंदोलनों को प्रेरणा दी। इसने आदिवासियों की भूमि, पहचान और न्याय के लिए लड़ाई को एक राष्ट्रीय विमर्श में बदल दिया।
Static GK: ब्रिटिश शासन ने बाद में क्षेत्र का पुनर्गठन कर संथाल परगना बनाया ताकि आदिवासी आबादी पर नियंत्रण बढ़ाया जा सके।
हुल दिवस की स्मृति
हर वर्ष 30 जून को झारखंड और पूर्वी भारत में हुल दिवस मनाया जाता है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों, भाषणों और श्रद्धांजलियों के माध्यम से संथाल वीरों की कुर्बानियों को याद किया जाता है। 2025 में संथाल हुल की 170वीं वर्षगांठ को पूरे भारत में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया।
अन्य संबंधित आदिवासी विद्रोह
संथाल हुल भारत में हुए अन्य प्रमुख आदिवासी आंदोलनों का हिस्सा है, जिनमें शामिल हैं:
- मुण्डा विद्रोह (1899–1900, बिरसा मुंडा द्वारा)
- पाइका विद्रोह (1817, ओडिशा)
- कोल विद्रोह (1831–32, छोटानागपुर पठार में)
ये सभी आंदोलन आदिवासी भूमि और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए थे।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
विद्रोह का वर्ष | 1855 |
नेतृत्व | सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू |
क्षेत्र | डामिन-ई-कोह (वर्तमान झारखंड) |
स्मरण दिवस | 30 जून – हुल दिवस |
विद्रोह के कारण | भूमि छिनना, बंधुआ मजदूरी, ब्रिटिश शोषण |
विद्रोही संख्या | 10,000+ संथाल |
दमन वर्ष | 1856 |
प्रभाव | 1857 की क्रांति को प्रेरणा, आदिवासी अधिकार जागरूकता |
अन्य विद्रोह | मुण्डा, पाइका, कोल विद्रोह |
वर्षगांठ | 170वीं (2025) |