करंट अफेयर्स: 137वीं OSCC बैठक 2025, अपतटीय ऊर्जा अवसंरचना सुरक्षा, भारतीय तटरक्षक बल, बहु-एजेंसी समन्वय, भारत में समुद्री सुरक्षा, ONGC अपतटीय प्रतिष्ठान, परमेश शिवमणि ICG, भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता
भारत की अपतटीय रक्षा तैयारियाँ तेज
137वीं ऑफशोर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी (OSCC) की बैठक 12 जून 2025 को नई दिल्ली में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के महानिदेशक परमेेश शिवमणि ने की। यह बैठक केवल औपचारिकता नहीं थी — रक्षा, ऊर्जा और खुफिया विभागों के अधिकारी एक साथ आए ताकि भारत की अपतटीय ऊर्जा परिसंपत्तियों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की जा सके।
तेल रिग्स और गैस प्लेटफॉर्म जैसे प्रतिष्ठान भारत की ऊर्जा सुरक्षा की रीढ़ हैं। बढ़ते समुद्री खतरों के बीच भारत अब इन परिसंपत्तियों की रक्षा को एक नई रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में देख रहा है।
बैठक की अहमियत क्यों थी?
इस OSCC बैठक का समय बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि ऊर्जा अवसंरचना पर साइबर हमलों और भौतिक तोड़फोड़ की आशंका बढ़ रही है। इस बैठक का उद्देश्य न केवल मौजूदा सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करना था, बल्कि संयुक्त प्रतिक्रिया तंत्र को मज़बूत बनाना भी था।
इसमें बेहतर संवाद, वास्तविक समय में खुफिया साझाकरण, और तेज़ प्रतिक्रिया प्रणाली पर बल दिया गया — जिससे सभी एजेंसियाँ सामूहिक रूप से किसी भी आपातस्थिति से निपट सकें।
कौन-कौन हुए शामिल?
इस बैठक में भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना, और खुफिया एजेंसियाँ तो मौजूद थीं ही, साथ ही पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, और ONGC, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन जैसी प्रमुख ऊर्जा एजेंसियाँ भी शामिल रहीं।
गुजरात, महाराष्ट्र, और आंध्र प्रदेश जैसे तटीय राज्यों की पुलिस और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ शिपिंग भी समुद्री विशेषज्ञता के साथ बैठक में शामिल हुईं।
चर्चा के प्रमुख बिंदु
बैठक में निम्नलिखित अहम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया:
• ऊर्जा और समुद्री एजेंसियों के बीच साझा अभ्यास।
• रीयल–टाइम खुफिया साझाकरण और खतरे की त्वरित पहचान।
• अपतटीय प्रतिष्ठानों की नियमित निगरानी।
• प्राकृतिक आपदाओं और दुश्मन हमलों के समय त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल।
OSCC की भूमिका और भविष्य की दिशा
1978 में गठित OSCC समिति भारत की अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए नीति निर्माण और समन्वय का कार्य करती है। भारत का लगभग 60% कच्चा तेल अपतटीय क्षेत्रों से आता है, जिससे इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा रणनीतिक रूप से अनिवार्य हो जाती है।
भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ब्लू इकॉनॉमी (सागरीय संसाधनों का सतत आर्थिक उपयोग) की दिशा में यह बैठक एक और निर्णायक कदम है। OSCC अब केवल सलाहकार निकाय नहीं, बल्कि क्रियात्मक सुरक्षा तंत्र का अहम स्तंभ बन चुका है।
स्थैतिक ‘Usthadian’ करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
बैठक का नाम | 137वीं OSCC बैठक |
तिथि | 12 जून 2025 |
अध्यक्षता | डीजी परमेेश शिवमणि, भारतीय तटरक्षक बल |
स्थापना वर्ष | 1978 |
प्रमुख एजेंसियाँ | भारतीय नौसेना, ONGC, IB, DG शिपिंग, राज्य पुलिस, पेट्रोलियम मंत्रालय |
प्रमुख उद्देश्य | अपतटीय ऊर्जा अवसंरचना की सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, खुफिया साझाकरण |
रणनीतिक महत्व | अपतटीय प्रतिष्ठानों से ~60% कच्चे तेल का उत्पादन |
प्रतिष्ठान के स्थान | अरब सागर, बंगाल की खाड़ी (गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश) |
ब्लू इकॉनॉमी | समुद्री संसाधनों का सतत आर्थिक उपयोग |
तटीय सुरक्षा पहल | 2008 मुंबई हमलों के बाद बहु-एजेंसी समन्वय और अभ्यास |