चोल सम्राट का उत्सव
थंजावूर के ऐतिहासिक पेरुवुडैयार (बृहदेश्वर) मंदिर में राजराजा चोल प्रथम की जयंती का 1040वाँ सतयम् विज़ा भव्य रूप से मनाया गया। यह दो-दिवसीय आयोजन दक्षिण भारत के महानतम सम्राटों में से एक को समर्पित था, जिनके शासन में चोल साम्राज्य की राजनीतिक–सांस्कृतिक शक्ति अपने शिखर पर पहुँची।
यह जयंती तमिल माह ऐप्पासी के सतयम् नक्षत्र पर मनाई जाती है और हर वर्ष हज़ारों भक्तों, इतिहासकारों और सांस्कृतिक रसिकों को चोल राजधानी थंजावूर आकर्षित करता है।
महान चोल सम्राट
राजराजा चोल I (947–1014 CE) ने 985–1014 CE तक शासन किया और अभूतपूर्व विस्तार व प्रशासनिक सुधारों का युग स्थापित किया। उनके सैन्य, स्थापत्य और सांस्कृतिक कार्यों ने दक्षिण भारतीय इतिहास को नई दिशा दी।
स्थैतिक तथ्य: राजराजा चोल I का मूल नाम अरुल्मोझि वर्मन था; वे सुंदर चोल और वनवन महादेवी के पुत्र थे।
चोल साम्राज्य का विस्तार
सम्राट की सेनाएँ व्यापक और सफल रहीं—उत्तरी श्रीलंका पर विजय, चेरा व पांड्य क्षेत्रों का अधिग्रहण, और मालदीव तक प्रभाव का विस्तार। उनकी सशक्त नौसैनिक शक्ति ने भारतीय महासागर के व्यापार मार्गों पर प्रभुत्व स्थापित कर साम्राज्य की समृद्धि सुनिश्चित की।
स्थैतिक जीके टिप: चोल भारतीय इतिहास के शुरुआती राजवंशों में थे जिन्होंने मजबूत नौसेना खड़ी की; इससे बाद में दक्षिण–पूर्व एशिया के साथ समुद्री व्यापार को बल मिला।
पत्थरों में रची स्थापत्य प्रतिभा
राजराजा चोल की सर्वोच्च उपलब्धियों में 1010 CE में बृहदेश्वर मंदिर (राजराजेश्वरम्) का निर्माण शामिल है। थंजावूर स्थित यह मंदिर आज यूनेस्को विश्व धरोहर है।
216 फुट ऊँचा विमान (शिखर), सूक्ष्म नक्काशी और सममित अनुपात चोल काल की उच्च इंजीनियरिंग और कला कौशल को दर्शाते हैं।
स्थैतिक तथ्य: बृहदेश्वर मंदिर पूर्णतः ग्रेनाइट से बना है, जबकि थंजावूर से 60 किमी के भीतर ग्रेनाइट का प्राकृतिक स्रोत नहीं—यह चोल अभियंताओं की लॉजिस्टिक क्षमता का प्रमाण है।
सांस्कृतिक और प्रशासनिक धरोहर
सम्राट ने भूमि सर्वेक्षण, कर–प्रणाली और ग्राम प्रशासन को सुव्यवस्थित किया; तमिल साहित्य व कला का संरक्षण–प्रोत्साहन किया—जिससे चोल युग तमिल संस्कृति का स्वर्णकाल माना जाता है। उनके शासन ने उत्तराधिकारी राजेंद्र चोल I के समुद्र–पार विस्तार की नींव रखी।
स्थैतिक जीके टिप: राजराजा चोल काल के तमिल और ग्रन्थ लिपि में शिलालेख दक्षिण भारतीय प्रशासन की जानकारी का समृद्ध स्रोत हैं।
स्थैतिक Usthadian वर्तमान मामलों की तालिका
| विषय | विवरण |
| अवसर | राजराजा चोल I का 1040वाँ सतयम् विज़ा |
| स्थान | पेरुवुडैयार (बृहदेश्वर) मंदिर, थंजावूर |
| जन्म नक्षत्र | ऐप्पासी माह का सतयम् नक्षत्र |
| शासन अवधि | 985 CE से 1014 CE |
| मुख्य निर्माण | बृहदेश्वर मंदिर (1010 CE) |
| वंश | चोल साम्राज्य |
| सैन्य विस्तार | श्रीलंका, चेरा, पांड्य, मालदीव |
| मूल नाम | अरुल्मोझि वर्मन |
| माता–पिता | सुंदर चोल और वनवन महादेवी |
| विरासत | नौसैनिक शक्ति, स्थापत्य, प्रशासन, तमिल संस्कृति |





