भाषा और पहचान पर न्यायपालिका का सशक्त वक्तव्य
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में दिए एक ऐतिहासिक फैसले में उर्दू भाषा का दृढ़तापूर्वक समर्थन करते हुए यह स्पष्ट किया कि उर्दू न तो विदेशी है, न ही किसी एक धर्म से जुड़ी भाषा। यह मामला महाराष्ट्र के अकोला जिले के पाटूर नगरपालिका भवन पर उर्दू साइनबोर्ड लगाए जाने को लेकर था, जहाँ याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि इससे राज्य की आधिकारिक भाषा मराठी का उल्लंघन हुआ है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अवसर बनाते हुए भारत की धर्मनिरपेक्ष और भाषायी समावेशिता को दोहराया।
उर्दू: एक साझा संस्कृति का प्रतीक
न्यायालय ने उर्दू को भारत की समृद्ध मिश्रित संस्कृति का अनोखा प्रतिबिंब बताया और इसे गंगा–जमुनी तहज़ीब का संवाहक कहा — जो उत्तर और मध्य भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उर्दू भारत में ही जन्मी, विकसित हुई और साहित्यिक ऊँचाई पर पहुँची भाषा है। यह भाषा भारतीय कविता, साहित्य और पहचान में गहराई से रची-बसी है।
जजों ने कहा कि भाषा को धर्म से जोड़ना एक दुखद भ्रांति है। “हिंदी हिंदुओं की और उर्दू मुसलमानों की भाषा है” — इस धारणा को न्यायालय ने यथार्थ से भटका हुआ करार दिया और कहा कि भाषा संस्कृति का प्रतीक है, न कि आस्था की सीमा।
लिपि, व्याकरण और साझा इतिहास
कोर्ट ने अपने भाषावैज्ञानिक अवलोकन में स्पष्ट किया कि हिंदी और उर्दू मूलतः एक ही भाषा हैं, जिनमें मुख्य अंतर लिपि और शैली का है। हिंदी देवनागरी लिपि का उपयोग करती है, जबकि उर्दू नस्तलीक लिपि का। दोनों की व्याकरण, ध्वनियाँ और वाक्य संरचना समान हैं। लेकिन अलगाववादी आंदोलनों ने एक को संस्कृतनिष्ठ और दूसरी को फारसीनिष्ठ बना दिया।
दोनों भाषाओं के शब्द आज भी आम बोलचाल में आपस में घुले-मिले होते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, ‘हिंदी’ शब्द भी फारसी मूल के शब्द ‘हिंदवी’ से आया है।
संवैधानिक अधिकार और जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि
कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 345 का हवाला दिया, जो राज्यों को अतिरिक्त आधिकारिक भाषाएँ अपनाने की अनुमति देता है। आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे छह राज्यों में उर्दू को आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा दिल्ली और जम्मू–कश्मीर जैसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी उर्दू मान्यता प्राप्त भाषा है।
जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 10,000 से अधिक वक्ताओं वाली 270 मातृभाषाएँ हैं, लेकिन असल में यह संख्या हजारों में हो सकती है, जो भारत की भाषायी विविधता की विश्व में अद्वितीयता को दर्शाती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय | उर्दू भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा |
मामला उत्पत्ति | महाराष्ट्र के अकोला में उर्दू साइनबोर्ड पर विवाद |
कोर्ट का अवलोकन | भाषा ≠ धर्म; उर्दू विदेशी नहीं, भारतीय भाषा है |
उर्दू की आधिकारिक स्थिति | 6 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश में मान्यता प्राप्त |
उर्दू को मान्यता प्राप्त राज्य | आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, यूपी, पश्चिम बंगाल |
केंद्र शासित प्रदेश | दिल्ली, जम्मू-कश्मीर |
हिंदी और उर्दू संबंध | मूलतः एक भाषा, लिपि में भिन्नता |
प्रमुख सांस्कृतिक अवधारणा | गंगा-जमुनी तहज़ीब – समन्वयात्मक हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति |
जनगणना 2011 डेटा | 270 मातृभाषाएँ, प्रत्येक के 10,000+ वक्ता |