न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने भारत के लोकपाल द्वारा एक बैठे हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ जारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। लोकपाल, जिसकी अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर कर रहे हैं, ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत मामले की जांच का दावा किया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए न्यायिक स्वतंत्रता और कार्यपालिका नियंत्रण की सीमाओं पर फिर से बहस छेड़ दी है।
वह मामला जिसने विवाद को जन्म दिया
यह मामला एक निजी कंपनी से संबंधित था जो पहले न्यायाधीश के मुवक्किल के रूप में काम कर चुकी थी। दो शिकायतें दर्ज की गई थीं। लोकपाल ने मामले की सत्यता पर टिप्पणी नहीं की, बल्कि केवल अपने अधिकार क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया और इसे मुख्य न्यायाधीश (CJI) को आगे विचार हेतु भेज दिया। इसके जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के आदेश पर रोक लगाई।
न्यायिक सुरक्षा: क्यों जरूरी है
न्यायिक अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 77 के अंतर्गत सुरक्षा प्राप्त है, जो उन्हें कानूनी कार्यों के लिए संरक्षण प्रदान करती है। यह सुरक्षा भारतीय न्याय संहिता, 2023 में भी बरकरार रखी गई है। इसके अतिरिक्त, के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ (1991) के ऐतिहासिक फैसले में कहा गया था कि किसी भी बैठे हुए न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी अनिवार्य है।
लोकपाल का अधिकार क्षेत्र क्या कहता है?
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 का उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद आदि जैसे उच्च पदस्थ लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करना है। हालांकि, न्यायाधीशों का स्पष्ट रूप से इस दायरे में उल्लेख नहीं किया गया है। इससे पहले लोकपाल ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर माना था, लेकिन यह पहली बार है जब उसने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर अपना अधिकार क्षेत्र बताया।
न्यायिक स्वतंत्रता बनाम जवाबदेही
यह मामला इस मूल प्रश्न को सामने लाता है: न्यायपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करने का अधिकार किसके पास होना चाहिए—कार्यपालिका के तहत लोकपाल के पास या मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में आंतरिक न्यायिक तंत्र के पास? पारदर्शिता बनाम निष्पक्षता के इस संतुलन पर व्यापक कानूनी बहस शुरू हो चुकी है।
STATIC GK SNAPSHOT – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु जानकारी सारांश
विषय | विवरण |
लोकपाल अधिनियम पारित | 2013 |
लोकपाल के अध्यक्ष | न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए.एम. खानविलकर |
ऐतिहासिक निर्णय | के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ (1991) |
IPC में न्यायाधीश सुरक्षा | धारा 77 (न्यायिक कार्यों पर संरक्षण) |
नई संहिता में स्थिति | भारतीय न्याय संहिता, 2023 में यथावत |
लोकपाल चयन समिति | प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, CJI/नामित, प्रख्यात न्यायविद |
न्यायाधीशों पर लोकपाल का अधिकार | सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बाहर; उच्च न्यायालय पर विवाद |
शिकायत प्रक्रिया | लोकपाल CJI को शिकायत भेज सकता है |
लोकपाल की सीमाएँ | स्वतः संज्ञान नहीं ले सकता; गुमनाम शिकायत स्वीकार नहीं |