जुलाई 20, 2025 12:21 पूर्वाह्न

सुप्रीम कोर्ट की मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई: नए दिशानिर्देश जारी

समसामयिक मामले: बाल तस्करी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख: नए दिशा-निर्देश जारी, बाल तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश 2025, भारत में किशोर न्याय प्रणाली की खामियां, अवैध बाल दत्तक ग्रहण घोटाले, लापता बच्चों के लिए अस्पताल प्रोटोकॉल, बाल अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के 2025 के फैसले, भारत में ऑनलाइन बाल तस्करी के मामले, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला पीठ के आदेश, भारत में बाल श्रम की चिंता, बाल कल्याण निष्क्रियता पर न्यायालय की अवमानना

Supreme Court’s Bold Stand Against Child Trafficking: New Guidelines Issued

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: एक चेतावनी सभी के लिए
15 अप्रैल 2025 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में बाल तस्करी के खिलाफ सख्त संदेश दिया। यह महज एक फैसला नहीं था—यह माता-पिता, अस्पतालों, पुलिस और न्यायपालिका के लिए जागने की घंटी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक क्षण की लापरवाही किसी बच्चे का पूरा जीवन बदल सकती है।

बचपन चुराने वाले अपराध
कोर्ट ने बताया कि बच्चे यौन शोषण, मजदूरी, भिक्षावृत्ति, अवैध गोद लेने और बाल विवाह के लिए तस्करी किए जाते हैं। अब ये नेटवर्क तकनीक का उपयोग करते हैं—एन्क्रिप्टेड चैट्स, ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स और गोपनीय समूह के ज़रिए। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि बच्चे का खो जाना मृत्यु से भी बुरा है, क्योंकि मृत्यु में कम से कम अंतिमता होती है।

अस्पतालों की जिम्मेदारी स्पष्ट
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अस्पताल में नवजात लापता होता है, तो उसकी लाइसेंस रद्द की जा सकती है। अब मातृत्व वार्डों में सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, ज़रूरी ज़िम्मेदारी है।

गोद लेने में गड़बड़ी और कानून का दुरुपयोग
कोर्ट ने बताया कि लंबी कानूनी प्रक्रिया की वजह से कई परिवार तस्करी नेटवर्क का शिकार हो जाते हैं। साथ ही, किशोर न्याय अधिनियम का गलत इस्तेमाल हो रहा है—गैंग अब जानबूझकर नाबालिगों से अपराध करवाते हैं, ताकि उन्हें हल्की सज़ा मिले।

फैसले के साथ एक्शन भी
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत को रद्द करते हुए 13 आरोपियों के खिलाफ ट्रायल 6 महीने में पूरा करने का आदेश दिया। पुलिस को 2 महीने में भगोड़े आरोपियों को पकड़ने का निर्देश भी दिया गया।

साथ ही, 3 विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति और पीड़ित परिवारों की सुरक्षा के आदेश से कोर्ट ने न्यायिक संवेदनशीलता दिखाई।

जवाबदेही हर स्तर पर ज़रूरी
उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने में देरी अक्षम्य है। यह निर्णय अब पूरे भारत में लागू होगा और कोई भी अधिकारी जो इसमें ढिलाई करेगा, अवमानना का सामना करेगा।

यह निर्णय बताता है कि अब न्यायपालिका चुप नहीं बैठेगी, और बाकी संस्थानों से भी वही सख्ती की उम्मीद की जाती है।

स्टैटिक जीके स्नैपशॉट

विषय विवरण
निर्णय की तारीख 15 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट पीठ जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन
प्रमुख अपराध यौन शोषण, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति, अवैध गोद लेना
तकनीकी भूमिका पीड़ित की जानकारी डिजिटल ऐप्स से साझा
अस्पतालों की ज़िम्मेदारी नवजात गुमशुदगी पर लाइसेंस रद्द की कार्रवाई संभव
गोद लेने की खामियां लंबी प्रक्रिया से तस्करी को बढ़ावा
किशोर कानून का दुरुपयोग गैंग नाबालिगों से अपराध करवा रहे हैं
ज़मानत आदेश 13 आरोपियों की ज़मानत रद्द
ट्रायल की समय सीमा 6 महीने में मुकदमा पूरा करना
पुलिस निर्देश 2 महीने में भगोड़ों को पकड़ना
Supreme Court’s Bold Stand Against Child Trafficking: New Guidelines Issued
  1. सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2025 को बाल तस्करी के खिलाफ सख्त दिशानिर्देश जारी किए।
  2. यह फैसला न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ द्वारा सुनाया गया।
  3. कोर्ट ने कहा कि बाल तस्करी मृत्यु से भी अधिक दुखद है, क्योंकि इससे परिवारों को कभी खत्म न होने वाला मानसिक आघात होता है।
  4. तस्करी के गिरोह एन्क्रिप्टेड चैट और ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर अवैध गतिविधियां चला रहे हैं।
  5. यदि नवजात शिशु अस्पतालों से गायब होते हैं, तो उनका लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।
  6. मैटरनिटी वार्डों में सुरक्षा को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है।
  7. गिरोह यौन शोषण, भीख मंगवाने, बाल श्रम और अवैध गोद लेने के लिए बच्चों को निशाना बना रहे हैं।
  8. लंबे वैध गोद लेने के इंतजार के कारण अवैध अंतरराष्ट्रीय गोद लेने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
  9. गिरोह किशोर न्याय अधिनियम का दुरुपयोग कर बच्चों से अपराध करवा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कम सजा मिलती है।
  10. इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पाए 13 आरोपियों की जमानत रद्द कर दी गई।
  11. इन 13 मामलों की सुनवाई 6 महीने के भीतर पूरी करने का आदेश दिया गया।
  12. पुलिस को 2 महीनों के भीतर फरार आरोपियों को पकड़ने का निर्देश दिया गया।
  13. तीन विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की गई ताकि निष्पक्ष और तेज न्याय सुनिश्चित हो।
  14. पीड़ित परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश कोर्ट ने दिया।
  15. उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की गई क्योंकि उसने समय पर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती नहीं दी।
  16. यह फैसला अब पूरे भारत में लागू होगा, जिससे एकरूप प्रवर्तन सुनिश्चित होगा।
  17. निर्देशों को लागू करने में देरी करने वाले अधिकारियों पर अदालत की अवमानना हो सकती है।
  18. डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए बाल तस्करी के बढ़ते खतरे को कोर्ट ने स्वीकार किया।
  19. इस फैसले में पुलिस, अस्पतालों और न्यायपालिका की जवाबदेही को रेखांकित किया गया।
  20. यह निर्णय भारत की न्यायिक प्रणाली में बाल सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है।

 

Q1. सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी पर अपना फैसला किस तारीख को सुनाया?


Q2. यदि नवजात शिशु तस्करी के कारण लापता हो जाते हैं तो अस्पतालों को क्या परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं?


Q3. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के दुरुपयोग से जुड़ी कानूनी समस्या क्या है?


Q4. सुप्रीम कोर्ट ने कितने आरोपियों की जमानत रद्द की?


Q5. तस्कर किस प्रकार के डिजिटल तरीकों का उपयोग कर रहे हैं?


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