सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: एक चेतावनी सभी के लिए
15 अप्रैल 2025 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में बाल तस्करी के खिलाफ सख्त संदेश दिया। यह महज एक फैसला नहीं था—यह माता-पिता, अस्पतालों, पुलिस और न्यायपालिका के लिए जागने की घंटी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक क्षण की लापरवाही किसी बच्चे का पूरा जीवन बदल सकती है।
बचपन चुराने वाले अपराध
कोर्ट ने बताया कि बच्चे यौन शोषण, मजदूरी, भिक्षावृत्ति, अवैध गोद लेने और बाल विवाह के लिए तस्करी किए जाते हैं। अब ये नेटवर्क तकनीक का उपयोग करते हैं—एन्क्रिप्टेड चैट्स, ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स और गोपनीय समूह के ज़रिए। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि “बच्चे का खो जाना मृत्यु से भी बुरा है, क्योंकि मृत्यु में कम से कम अंतिमता होती है।”
अस्पतालों की जिम्मेदारी स्पष्ट
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अस्पताल में नवजात लापता होता है, तो उसकी लाइसेंस रद्द की जा सकती है। अब मातृत्व वार्डों में सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, ज़रूरी ज़िम्मेदारी है।
गोद लेने में गड़बड़ी और कानून का दुरुपयोग
कोर्ट ने बताया कि लंबी कानूनी प्रक्रिया की वजह से कई परिवार तस्करी नेटवर्क का शिकार हो जाते हैं। साथ ही, किशोर न्याय अधिनियम का गलत इस्तेमाल हो रहा है—गैंग अब जानबूझकर नाबालिगों से अपराध करवाते हैं, ताकि उन्हें हल्की सज़ा मिले।
फैसले के साथ एक्शन भी
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत को रद्द करते हुए 13 आरोपियों के खिलाफ ट्रायल 6 महीने में पूरा करने का आदेश दिया। पुलिस को 2 महीने में भगोड़े आरोपियों को पकड़ने का निर्देश भी दिया गया।
साथ ही, 3 विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति और पीड़ित परिवारों की सुरक्षा के आदेश से कोर्ट ने न्यायिक संवेदनशीलता दिखाई।
जवाबदेही हर स्तर पर ज़रूरी
उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने में देरी अक्षम्य है। यह निर्णय अब पूरे भारत में लागू होगा और कोई भी अधिकारी जो इसमें ढिलाई करेगा, अवमानना का सामना करेगा।
यह निर्णय बताता है कि अब न्यायपालिका चुप नहीं बैठेगी, और बाकी संस्थानों से भी वही सख्ती की उम्मीद की जाती है।
स्टैटिक जीके स्नैपशॉट
विषय | विवरण |
निर्णय की तारीख | 15 अप्रैल 2025 |
सुप्रीम कोर्ट पीठ | जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन |
प्रमुख अपराध | यौन शोषण, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति, अवैध गोद लेना |
तकनीकी भूमिका | पीड़ित की जानकारी डिजिटल ऐप्स से साझा |
अस्पतालों की ज़िम्मेदारी | नवजात गुमशुदगी पर लाइसेंस रद्द की कार्रवाई संभव |
गोद लेने की खामियां | लंबी प्रक्रिया से तस्करी को बढ़ावा |
किशोर कानून का दुरुपयोग | गैंग नाबालिगों से अपराध करवा रहे हैं |
ज़मानत आदेश | 13 आरोपियों की ज़मानत रद्द |
ट्रायल की समय सीमा | 6 महीने में मुकदमा पूरा करना |
पुलिस निर्देश | 2 महीने में भगोड़ों को पकड़ना |