पारंपरिक माचिस उद्योग को चाहिए आधिकारिक मान्यता
कोविलपट्टी नेशनल स्मॉल माच मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सिवकासी-कोविलपट्टी माचिस को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिलाने के लिए औपचारिक आवेदन दायर किया है। सिवकासी माचिस ब्रांड पिछले 100 वर्षों से देशभर में उच्च गुणवत्ता की माचिस के लिए प्रसिद्ध है।
हालाँकि नाम “सिवकासी माचिस” प्रचलित है, लेकिन इसका निर्माण केवल सिवकासी में नहीं बल्कि दक्षिणी तमिलनाडु के कई जिलों में किया जाता है, जिससे यह एक क्षेत्रीय उत्पाद बन चुका है।
तीन जिलों में फैला माचिस निर्माण क्षेत्र
यह उद्योग विरुधुनगर, तूतीकोरिन, और तेनकासी जिलों में केंद्रित है। सत्तूर, विरुधुनगर, कोविलपट्टी, एत्तयापुरम और शंकरनकोइल तालुकों में फैक्टरी क्लस्टर एक सुसंगठित उत्पादन नेटवर्क का निर्माण करते हैं।
Static GK तथ्य: सिवकासी को “मिनी जापान” कहा जाता है क्योंकि यह माचिस, पटाखा और प्रिंटिंग उद्योगों का गढ़ है।
स्थानीय लकड़ी से बनते हैं विश्वसनीय स्प्लिंट
इन माचिसों में Indian Malabarica Poplar और Aspen जैसे स्थानीय पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है, जो मुलायम बनावट, तेज जलन और सुरक्षित प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हैं। स्प्लिंट काटने की प्रक्रिया सटीकता से की जाती है, जिससे प्रत्येक माचिस की गुणवत्ता एकसमान रहती है।
Static GK तथ्य: तमिलनाडु भारत के शीर्ष माचिस उत्पादन राज्यों में से एक है, जहाँ यह उद्योग लघु एवं कुटीर क्षेत्र में आता है।
रासायनिक मिश्रण से गुणवत्ता और सुरक्षा
माच हेड पर लगाई जाने वाली रासायनिक परत में पोटैशियम क्लोरेट (जलन के लिए), एंटिमनी ट्राइसल्फाइड (घर्षण के लिए), सल्फर (शांत लपट) और कैसीन गोंद या गम अरबी (बाइंडिंग के लिए) जैसे घटक होते हैं।
इस वैज्ञानिक मिश्रण से कम चिंगारी, सुरक्षित और स्थिर जलन सुनिश्चित होती है, जो पारंपरिक कौशल और आधुनिक विज्ञान का सामंजस्य दर्शाती है।
Static GK टिप: GI अधिनियम 1999 में पारित हुआ और 2003 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय उत्पादों को कानूनी सुरक्षा देना है।
GI टैग से मिलेगा आर्थिक और ब्रांडिंग लाभ
यदि GI टैग मिल जाता है, तो सिवकासी-कोविलपट्टी माचिस को कानूनी पहचान मिलेगी, जिससे नाम के गलत उपयोग पर रोक लगेगी और स्थानीय श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
यह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पहचान बढ़ाने और ग्रामीण कारीगरों की आजीविका सुधारने की दिशा में बड़ा कदम होगा।
Static GK तथ्य: भारत का पहला GI टैग 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
GI टैग आवेदनकर्ता | कोविलपट्टी नेशनल स्मॉल माच मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन |
उत्पाद का नाम | सिवकासी-कोविलपट्टी माचिस |
उद्योग की उम्र | 100 वर्ष से अधिक |
प्रमुख उत्पादन क्षेत्र | विरुधुनगर, तूतीकोरिन, तेनकासी जिले |
मुख्य लकड़ी | Indian Malabarica Poplar, Aspen |
रासायनिक मिश्रण | पोटैशियम क्लोरेट, एंटिमनी ट्राइसल्फाइड, सल्फर, कैसीन गोंद |
रासायनिक उद्देश्य | सुरक्षित, नियंत्रित और कम स्पार्क वाली जलन |
GI टैग लाभ | कानूनी सुरक्षा, आर्थिक और वैश्विक विपणन में वृद्धि |
तमिलनाडु के GI उत्पाद | कांचीपुरम सिल्क, मदुरै मल्लिगै, तंजावुर गुड़िया |
भारत का पहला GI टैग | दार्जिलिंग चाय (2004) |