SESPA ने परियोजना के पारिस्थितिकीय प्रभाव पर चेतावनी दी
सिल्लाहल्ला पारिस्थितिकी सामाजिक संरक्षण संघ (SESPA) ने तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में प्रस्तावित सिल्लाहल्ला पंपड हाइड्रो–इलेक्ट्रिक स्टोरेज प्रोजेक्ट का तीव्र विरोध करते हुए कहा है कि यह क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी प्रणाली और कृषि समुदायों के लिए बड़ा खतरा है। यह परियोजना दो बांधों और 10 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण पर आधारित है। SESPA का मानना है कि यह निर्माण कार्य पहले से ही जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई से जूझ रही जैव विविधता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
परियोजना विवरण और भूमि डूबने की आशंका
यह परियोजना 25 गांवों के क्लस्टर में स्थापित की जाएगी, जिससे स्थानीय किसान और जनजातीय समुदायों को सीधा खतरा है। SESPA ने चेतावनी दी है कि लगभग 1,000 एकड़ कृषि भूमि और 500 एकड़ वन क्षेत्र डूबने के जोखिम में हैं। यह क्षेत्र हाथी गलियारों और उपजाऊ कृषि ज़मीन से भरा हुआ है, जो खाद्य सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस परियोजना से विस्थापन, आजीविका का नुकसान और स्थायी पारिस्थितिकीय क्षति की संभावना है।
नीलगिरी की नाजुकता: विकास के लिए खतरे की घंटी
नीलगिरी क्षेत्र, जो पश्चिमी घाटों का हिस्सा है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है, को अत्यंत संवेदनशील पारिस्थितिकीय क्षेत्र माना जाता है। यहां की शोला वनस्पति, स्थानिक प्रजातियां और आदिवासी समुदाय पहले से ही दबाव में हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि बड़े पैमाने पर बांध या सुरंग निर्माण, भूस्खलन, मृदा अपरदन, और जल स्रोतों में विघटन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। यह परियोजना प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली को भी बाधित कर सकती है और वन्यजीवों के आवास को खतरे में डाल सकती है।
वैकल्पिक समाधान और समावेशी संवाद की आवश्यकता
SESPA ने तमिलनाडु सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस परियोजना की मंजूरी पर पुनर्विचार करे और इसके बजाय सौर माइक्रो ग्रिड या सामुदायिक ऊर्जा प्रणालियों जैसे वैकल्पिक नवीकरणीय समाधानों का अनुसंधान करे। संघ ने पारदर्शी पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और जन भागीदारी वाली सार्वजनिक चर्चा की मांग भी की है। यह मामला दर्शाता है कि हरित ऊर्जा के लक्ष्यों और स्थानीय पारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
परियोजना का नाम | सिल्लाहल्ला पंपड हाइड्रो-इलेक्ट्रिक स्टोरेज प्रोजेक्ट |
स्थान | नीलगिरी जिला, तमिलनाडु |
विरोध करने वाली संस्था | SESPA (सिल्लाहल्ला पारिस्थितिकी सामाजिक संरक्षण संघ) |
प्रमुख चिंता | लगभग 1,500 एकड़ भूमि डूबने का खतरा (1,000 कृषि + 500 वन) |
परियोजना विशेषताएं | 2 बांध + 10 किमी सुरंग, कुल 25 गांव प्रभावित |
पारिस्थितिकी क्षेत्र | पश्चिमी घाट (यूनेस्को विश्व धरोहर, अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र) |
मुख्य जोखिम | जैव विविधता हानि, विस्थापन, भूस्खलन और मृदा क्षरण |
SESPA की सिफारिश | परियोजना निरस्त की जाए, सतत ऊर्जा विकल्प अपनाए जाएं |