पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने वाली जीवनरेखा
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर “चिकन नेक“ कहा जाता है, केवल एक संकीर्ण भूमि मार्ग नहीं है—यह भारत के मुख्य भाग और उसके पूर्वोत्तर राज्यों के बीच का रणनीतिक पुल है। मात्र 20 से 22 किलोमीटर चौड़ा यह गलियारा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से घिरा हुआ है और पूरे भारत की एकता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। चीन की बढ़ती गतिविधियों के चलते इसकी रणनीतिक अहमियत और बढ़ गई है।
व्यापार और परिवहन का केंद्र
पूर्वोत्तर भारत के 40 मिलियन से अधिक लोग इस गलियारे पर निर्भर हैं। 262,230 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र का लगभग 95% निर्यात इसी कॉरिडोर के जरिए होता है। यहां किसी भी प्रकार की रुकावट भारत की आर्थिक और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बन सकती है।
चीन की सीमा से खतरनाक नजदीकी
चुम्बी घाटी में स्थित चीन की मौजूदगी इस गलियारे को और अधिक संवेदनशील बनाती है। डोकलाम संकट 2017 ने इस खतरे की गंभीरता को उजागर किया था। यदि सैन्य तनाव बढ़ता है, तो यह गलियारा सुरक्षा मोर्चे पर पहली पंक्ति में होगा।
पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती पकड़
म्यांमार और बांग्लादेश में चीन की बढ़ती परियोजनाएं भारत को रणनीतिक रूप से घेरने जैसा प्रतीत होती हैं। हर नया रेल मार्ग, बंदरगाह या राजमार्ग क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
लालमोनिरहाट एयरबेस पर चिंताएं
135 किमी दूर स्थित लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से सक्रिय करने की योजना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, खासकर अगर यह चीनी सहयोग से हो। इससे चीन को भारत की गतिविधियों की निगरानी का अवसर मिल सकता है।
राजनीतिक बयानों से चेतावनी
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में इस संकट को उजागर किया और सीमा तनाव व चीन की घुसपैठ को भारत के लिए दोहरे खतरे के रूप में बताया। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की चीन के प्रति झुकाव भी भारत के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
वैकल्पिक कॉरिडोरों की योजना
भारत ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कई नए मार्गों और रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है:
- हिली–महेंद्रगंज मार्ग: बांग्लादेश के जरिए मेघालय को जोड़ने वाला वैकल्पिक रास्ता
- तारापोखर–शाकटी कॉरिडोर: सिलीगुड़ी के बोझ को कम करने वाला मार्ग
- भूमिगत सुरंगें: सुरक्षित संपर्क के लिए सुरंगों का निर्माण
- कालादान मल्टीमॉडल कॉरिडोर: कोलकाता से मिजोरम को म्यांमार के रास्ते जोड़ने वाली परियोजना
रणनीतिक योजना समय की मांग
सिलीगुड़ी कॉरिडोर सिर्फ एक सड़क नहीं, भारत की एकता का प्रतीक है। इसे सुरक्षित रखना और वैकल्पिक संपर्क बनाना अब विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। भारत को तेजी और दूरदृष्टि से कार्य कर अपने पूर्वोत्तर को अविच्छिन्न रूप से जोड़ना होगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की चौड़ाई | लगभग 20–22 किमी |
आसपास के देश | नेपाल, भूटान, बांग्लादेश |
पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्रफल | लगभग 262,230 वर्ग किमी |
पूर्वोत्तर की जनसंख्या | 4 करोड़ से अधिक |
चुम्बी घाटी | गलियारे के निकट, चीन के नियंत्रण में |
डोकलाम गतिरोध | वर्ष 2017 में हुआ |
लालमोनिरहाट एयरबेस | सिलीगुड़ी कॉरिडोर से 135 किमी दूर |
कालादान कॉरिडोर | कोलकाता से मिजोरम तक म्यांमार के रास्ते जुड़ता है |
हिली–महेंद्रगंज मार्ग | प्रस्तावित भारत–बांग्लादेश संपर्क मार्ग |
पूर्वोत्तर निर्यात | लगभग 95% इसी कॉरिडोर से होता है |