वीरों की स्मृति: सियाचिन दिवस क्या है?
हर साल 13 अप्रैल को ‘सियाचिन दिवस‘ मनाया जाता है, जो सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि देने का दिन है। 1984 में इसी दिन ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत भारतीय सेना ने सिया ला और बिलाफोंड ला जैसे सामरिक दर्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। यह पूर्व-नियोजित कदम था, जिसने पाकिस्तान को इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने से रोक दिया।
ऑपरेशन मेघदूत: हिम और साहस की मिशन
यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि मानव सहनशीलता की पराकाष्ठा थी। पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की योजना की खुफिया जानकारी मिलते ही, भारतीय सेना ने 20,000 फीट की ऊँचाई पर दुर्गम अभियान चलाया। इस ऑपरेशन में ले. जनरल एम.एल. चिब्बर, ले. जनरल पी.एन. हूण, और मे. जनरल शिव शर्मा ने महत्वपूर्ण नेतृत्व प्रदान किया। सेना और वायुसेना के सामंजस्यपूर्ण संचालन ने इस मिशन को विशेष बना दिया।
बर्फीले क्षेत्र के हवाई योद्धा
भारतीय वायुसेना 1978 से ही सियाचिन क्षेत्र में सक्रिय रही है। चेतक हेलीकॉप्टर सबसे पहले ग्लेशियर पर उतरे। ऑपरेशन मेघदूत के दौरान और बाद में, वायुसेना ने सेना, उपकरण और राशन पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभाई। इसमें An-12, An-32, IL-76, Mi-17 और चीता हेलीकॉप्टरों का उपयोग हुआ। यह हवाई पुल इस बर्फीले और दुर्गम इलाके में मिशन की सफलता के लिए आवश्यक था।
सियाचिन का महत्व: सिर्फ बर्फ नहीं, सुरक्षा का मोर्चा
सियाचिन ग्लेशियर त्याग का प्रतीक ही नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक संपत्ति भी है। यह गिलगित–बाल्टिस्तान, शक्सगम घाटी और लद्दाख की सीमाओं से सटा हुआ है, और काराकोरम दर्रे जैसे महत्त्वपूर्ण मार्गों की निगरानी करता है। 1984 की कार्रवाई ने यह सुनिश्चित किया कि NJ9842 जैसे अनिर्धारित बिंदुओं से भारत की सीमा में कोई सेंध ना लगे।
ग्लेशियर पर सतत निगरानी
आज भी भारतीय सैनिक भीषण ठंड, हिमस्खलन और एकांतता को झेलते हुए सियाचिन की रक्षा कर रहे हैं। उनका साहस और समर्पण इन कालजयी पंक्तियों में सजीव होता है:
“Quartered in snow, silent to remain,
When the clarion calls, they shall rise and march again.”
यह पंक्तियाँ सियाचिन के हिमवीरों की अमर भावना का प्रतीक हैं, जो पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
आयोजन | सियाचिन दिवस |
दिनांक | 13 अप्रैल |
अभियान वर्ष | 1984 |
अभियान का नाम | ऑपरेशन मेघदूत |
कब्जा किए गए दर्रे | सिया ला, बिलाफोंड ला |
ऊँचाई | लगभग 20,000 फीट (काराकोरम श्रृंखला में) |
प्रमुख सैन्य नेता | ले. जनरल चिब्बर, ले. जनरल हूण, मे. जनरल शर्मा |
वायुसेना विमान | चेतक, चीता, Mi-17, An-32, IL-76 |
रणनीतिक महत्व | शक्सगम घाटी, गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख की सीमाओं की निगरानी |
उल्लेखनीय उद्धरण | “Quartered in snow…” — सियाचिन वीरों को समर्पण |