ओडिशा की ऐतिहासिक पर्यावरणीय उपलब्धि
ओडिशा सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सिमिलिपाल को राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है, जो भारत के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लगभग चार दशकों की वकालत के बाद, सिमिलिपाल को यह संरक्षित दर्जा प्राप्त हुआ है। 845.70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला यह क्षेत्र अब भारत का 107वां राष्ट्रीय उद्यान बन चुका है। यह ओडिशा की पारिस्थितिकी के प्रति प्रतिबद्धता और समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाता है।
अभयारण्य से राष्ट्रीय उद्यान तक: सिमिलिपाल की यात्रा
सिमिलिपाल को राष्ट्रीय उद्यान बनाने की प्रक्रिया 1980 में प्रस्तावित की गई थी, जबकि इसे 1975 में पहले ही वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा मिल चुका था। वर्षों के दौरान, सिमिलिपाल भारत के बाघ संरक्षण कार्यक्रम का प्रमुख हिस्सा बन गया, विशेषकर 2,750 वर्ग किमी में फैले सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व के अंतर्गत। 1,194.75 वर्ग किमी के कोर क्रिटिकल टाइगर हैबिटैट को 2007 में अधिसूचित किया गया, जिसने राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की नींव रखी।
समृद्ध जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्त्व
सिमिलिपाल एक विभिन्न और समृद्ध पारिस्थितिकीय क्षेत्र का समर्थन करता है। यहाँ 55 स्तनधारी प्रजातियाँ, 361 पक्षी प्रजातियाँ, 62 सरीसृप, और 21 उभयचर प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसकी भू-आकृति – जैसे घने साल के जंगल, घास के मैदान और नदी तटवर्ती पारिस्थितिकी – रॉयल बंगाल टाइगर और भारतीय हाथी जैसे प्रतिष्ठित वन्यजीवों के लिए आदर्श निवास स्थान प्रदान करती है। राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा इन प्रजातियों और उनके आवासों के लिए कड़े संरक्षण कानूनों को लागू करने में सहायक होगा।
संरक्षण और मानव बस्तियों के बीच संतुलन
सिमिलिपाल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने में एक प्रमुख चुनौती थी इसके प्रस्तावित कोर क्षेत्र में स्थित छह गाँवों की उपस्थिति। हालांकि इनमें से अधिकांश गाँवों का पुनर्वास कर दिया गया, बाकुआ गाँव अभी भी बसा हुआ है और इस कारण इसे अंतिम अधिसूचना से बाहर रखा गया है। यह समझौता पर्यावरणीय प्राथमिकताओं और मानवाधिकारों के बीच संतुलन को दर्शाता है। अब यह नामांकन वन विभाग को मजबूत संरक्षण रणनीतियाँ लागू करने और प्रभावित समुदायों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने में मदद करेगा।
जनजातीय आजीविका और सतत विकास
राष्ट्रीय उद्यान के रूप में सिमिलिपाल की मान्यता, जनजातीय कल्याण को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। इस क्षेत्र में बसे आदिवासी समुदायों की पारंपरिक जानकारी और सतत जीवनशैली ने लंबे समय से वनों के संरक्षण में योगदान दिया है। इस पहल में उनकी आकांक्षाओं को शामिल करके, सरकार सतत विकास के व्यापक लक्ष्यों से इस प्रयास को जोड़ना चाहती है। यह स्थिति अधिक वित्त पोषण, इको–पर्यटन और स्थानीय आजीविका के अवसर प्रदान करेगी, साथ ही राज्य की प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित भी रखेगी।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT)
श्रेणी | विवरण |
राष्ट्रीय उद्यान का नाम | सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान |
राज्य | ओडिशा |
राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित | अप्रैल 2025 |
क्षेत्रफल | 845.70 वर्ग किमी |
भारत का राष्ट्रीय उद्यान क्रमांक | 107वां |
पूर्व स्थिति | वन्यजीव अभयारण्य (1975) |
बाघ अभयारण्य क्षेत्र | 2,750 वर्ग किमी |
कोर क्रिटिकल हैबिटैट | 1,194.75 वर्ग किमी (2007 में अधिसूचित) |
प्रमुख जैव विविधता | 55 स्तनधारी, 361 पक्षी, 62 सरीसृप, 21 उभयचर |
प्रमुख गाँव | बाकुआ गाँव को अधिसूचना से बाहर रखा गया |
संरक्षण लक्ष्य | कड़े वन कानून, बाघ आवास संरक्षण, सतत आदिवासी जीवन |