लिम्बाले को मिला प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान
मराठी लेखक और आलोचक सारनकुमार लिम्बाले को 2025 का चिन्था रवींद्रन पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उनके साहित्यिक योगदान, विशेष रूप से दलित पहचान, समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले लेखन के लिए दिया गया है।
इस पुरस्कार में ₹50,000 नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह, और प्रशस्ति पत्र शामिल हैं। पुरस्कार समारोह 26 जुलाई को के.पी. केशवमेनन हॉल, कोझिकोड, केरल में आयोजित किया जाएगा।
चिन्था रवींद्रन पुरस्कार के बारे में
चिन्था रवींद्रन पुरस्कार हर वर्ष ऐसे लेखक या बुद्धिजीवी को दिया जाता है, जिसने भारतीय साहित्य और सामाजिक विमर्श में गहरा प्रभाव डाला हो। यह पुरस्कार चिन्था रवींद्रन, एक प्रख्यात वामपंथी विचारक और लेखक, की स्मृति में दिया जाता है, जो समानता, न्याय और सामाजिक सुधार के पक्षधर थे।
Static GK जानकारी: चिन्था रवींद्रन केरल से थे और प्रगतिशील मूल्यों और जन आंदोलनों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए याद किए जाते हैं।
समारोह और मुख्य वक्ता
यह पुरस्कार एक स्मृति सभा के दौरान प्रदान किया जाएगा, जो चिन्था रवींद्रन की याद में आयोजित होगी। इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली मुख्य भाषण देंगी, जिसका विषय होगा — “मनुवादी हिंदुत्व: जब संस्कृति, इतिहास और समान अधिकारों का विघटन किया जा रहा है”।
प्रसिद्ध मलयालम लेखक एन.एस. मधवन इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे, जिससे कार्यक्रम को साहित्यिक और बौद्धिक गरिमा प्राप्त होगी। समारोह में राज्य भर से लेखक, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे।
सारनकुमार लिम्बाले के बारे में
सारनकुमार लिम्बाले को दलित साहित्य में क्रांतिकारी योगदान के लिए जाना जाता है। उनके लेखन में जातिगत भेदभाव, पहचान और प्रतिरोध जैसे विषय प्रमुखता से सामने आते हैं। उनकी प्रसिद्ध आत्मकथा “अक्करमाशी” (The Outcaste) को अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है और विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में भी पढ़ाया जाता है।
Static GK टिप: “अक्करमाशी” को दलित आत्मकथात्मक लेखन में मील का पत्थर माना जाता है।
उनकी रचनाओं ने हाशिये के वर्गों को मुख्यधारा साहित्य में स्थान दिलाने में मदद की है और मानव गरिमा व सामाजिक न्याय पर व्यापक विमर्श को आगे बढ़ाया है।
पुरस्कार की सामाजिक महत्ता
2025 का चिन्था रवींद्रन पुरस्कार यह दर्शाता है कि सारनकुमार लिम्बाले जैसे लेखक आज भी प्रासंगिक हैं, जो सामाजिक असमानता को चुनौती देते हैं और न्यायपूर्ण तथा समावेशी समाज की प्रेरणा बनते हैं। यह सम्मान वर्तमान भारत में जाति और सत्ता की सच्चाईयों पर केंद्रित जागरूक साहित्य को महत्व देता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पुरस्कार का नाम | चिन्था रवींद्रन पुरस्कार |
2025 के प्राप्तकर्ता | सारनकुमार लिम्बाले |
पुरस्कार में शामिल | ₹50,000 नकद, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह |
समारोह की तिथि | 26 जुलाई 2025 |
स्थान | के.पी. केशवमेनन हॉल, कोझिकोड |
मुख्य अतिथि भाषण | सुभाषिनी अली |
अध्यक्षता कर रहे हैं | एन.एस. मधवन |
प्रसिद्ध कार्य | “अक्करमाशी” (The Outcaste) |
साहित्यिक विशेषता | दलित साहित्य और साहित्यिक आलोचना |
Static GK टिप | चिन्था रवींद्रन एक वामपंथी विचारक थे जो केरल से थे |