एक बड़ी विदेश नीति में बदलाव
एक अप्रत्याशित कूटनीतिक कदम के तहत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सऊदी अरब राज्य यात्रा के दौरान सीरिया पर दशकों पुराने प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की। यह फैसला अमेरिका की विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, खासकर जब यह सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल–शराआ के नेतृत्व को मान्यता देने की दिशा में पहला कदम है। ट्रंप ने इसे “सीरिया को ठीक होने का मौका देने” के रूप में वर्णित किया, जो कि असद शासन को अलग-थलग करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के लंबे इतिहास को तोड़ता है।
प्रतिबंधों का लंबा इतिहास
सीरिया पर पहले अमेरिकी प्रतिबंध 1979 में लगाए गए, जब उसे आतंकवाद समर्थक देश घोषित किया गया था। 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद, प्रतिबंधों को और कड़ा किया गया — इनमें तेल आयात पर रोक, निवेश पर प्रतिबंध, और वित्तीय लेनदेन पर पाबंदी शामिल थी। इनका उद्देश्य बशर अल–असद की सत्ता को कमजोर करना था, लेकिन इसके दुष्परिणाम आम जनता पर पड़े — मुद्रास्फीति, सेवाओं की कमी, और आर्थिक पतन जैसी समस्याओं के रूप में।
अहमद अल-शराआ कौन हैं?
अहमद अल–शराआ, जिन्हें कभी अबू मोहम्मद अल–गोलानी के नाम से जाना जाता था, एक समय जिहादी नेता रहे हैं। उन्होंने असद शासन को हटाने की सैन्य कार्रवाई का नेतृत्व किया और जनवरी 2025 में राष्ट्रपति बने। उन्होंने अब खुद को एक मध्यमार्गी नेता के रूप में पेश किया है, चरमपंथी गुटों से दूरी बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय संवाद का स्वागत किया है। उनकी इस छवि परिवर्तन ने राजनयिक वार्ता के लिए नया रास्ता खोला है।
प्रतिबंध क्यों हटाए गए?
सीरिया की नई सरकार ने आतंकवाद विरोध, मानवीय सहायता, और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सहयोग की इच्छा जताई है। इसके साथ ही, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों द्वारा आर्थिक पुनरुद्धार की मांग के चलते, अमेरिका ने सीरिया में स्थिरता और ईरानी प्रभाव को सीमित करने की दिशा में यह कदम उठाया। यह एक रणनीतिक कदम है जो क्षेत्रीय संतुलन को बदल सकता है।
सीरिया के भविष्य के लिए इसका क्या अर्थ है?
प्रतिबंध हटने से सीरिया की अर्थव्यवस्था को भारी राहत मिल सकती है। मानवीय सहायता फिर से बिना किसी डर के पहुँचाई जा सकती है, और अंतरराष्ट्रीय निवेश फिर से बुनियादी ढाँचे और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में आ सकता है। हालांकि, शासन में खामियाँ, जनता का अविश्वास, और युद्धग्रस्त क्षेत्रों का पुनर्निर्माण जैसी चुनौतियाँ बनी रहेंगी। नई सरकार को अपनी सुधार और शांति स्थापना की प्रतिबद्धता साबित करनी होगी।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ मिली-जुली
संयुक्त राष्ट्र ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे पुनर्निर्माण और सहायता वितरण के लिए जरूरी बताया। खाड़ी देश अल–शराआ को ईरान समर्थक ताकतों के मुकाबले एक संतुलन के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, इज़राइल को अब भी संदेह है, क्योंकि वह अल-शराआ के चरमपंथी अतीत को देखते हुए भविष्य की गुटबंदी की आशंका जाहिर करता है। पश्चिमी देश भी अब तक पूरी तरह राजनयिक मान्यता देने से पहले सतर्कता बरत रहे हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
सीरिया पर पहले अमेरिकी प्रतिबंध | 1979 (आतंकवाद समर्थक देश के रूप में सूचीबद्ध) |
बशर अल-असद का शासन | 2000 से जनवरी 2025 तक |
सीरिया के नए राष्ट्रपति | अहमद अल-शराआ (जनवरी 2025 से) |
प्रतिबंधों की प्रकृति | संपत्ति जब्ती, तेल प्रतिबंध, निवेश और लेनदेन रोक |
गृहयुद्ध की शुरुआत | 2011 (अरब स्प्रिंग के प्रभाव में) |
ट्रंप की सऊदी घोषणा | मई 2025 |
प्रतिबंध लगाने वाली एजेंसी | अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की OFAC |
प्रतिबंध हटाने का समर्थन करने वाले देश | सऊदी अरब, तुर्की |