अगस्त 6, 2025 10:33 अपराह्न

शिव मंदिर की खोज से पांड्य विरासत पर प्रकाश पड़ा

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Shiva Temple Discovery Sheds Light on Pandya Heritage

उदमपट्टी में दुर्लभ मंदिर खोज

तमिलनाडु के उदमपट्टी गांव में कुछ स्थानीय लड़कों को ज़मीन के नीचे छिपा एक प्राचीन शिव मंदिर का आधार मिला। यह मंदिर सिर्फ एक प्राचीन ढांचा नहीं, बल्कि पांड्य वंश की विरासत से जुड़ा है—खासतौर पर 1217–1218 ईस्वी के बीच, जब मरवर्मन सुंदर पांड्य का शासन था। यह खोज इतिहासकारों के लिए पांड्य युग की समृद्ध सांस्कृतिक और प्रशासनिक झलक प्रदान करती है।

शिलालेखों में क्या जानकारी मिली?

इस मंदिर का नाम थेननवनीश्वरम” था, जो स्वयं पांड्य राजाओं से जुड़ा हुआ था। शिलालेखों के अनुसार, उस समय गांव का नाम अत्तूर था। शिलालेखों से पता चलता है कि यह मंदिर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर था—यानी स्थानीय समाज में इसका बड़ा महत्व था। इसमें भूमि दान और कर संग्रह का उल्लेख मिलता है जो मंदिर संचालन के लिए होता था।

पांड्य वंश का उत्थान और पतन

पांड्य वंश दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मुवेंद्रों” (तीन राजवंशों) में से एक था—अन्य दो थे चोल और चेरा। इनका प्रारंभ 6वीं सदी ईस्वी में हुआ और इन्होंने कलाभ्र आक्रमण और चोलों से प्रतिद्वंद्विता के बावजूद कई बार पुनः सत्ता प्राप्त की। संगम साहित्य, विदेशी यात्रियों (जैसे मेगस्थनीज, मार्को पोलो) और शिलालेखों से इनकी महानता सिद्ध होती है।

पांड्य प्रशासन प्रणाली

पांड्यों का शासन व्यवस्था सुसंगठित थी। उनकी भूमि को वलनाडु, नाडु और कुर्रम जैसे इकाइयों में बाँटा गया था। मदुरै राजधानी थी। प्रमुख पदों के विशिष्ट नाम होते थे—जैसे प्रधान मंत्री को “उत्तरमंत्री” कहा जाता था। ब्राह्मण बस्तियों को संरक्षण देकर वे शिक्षा और सिंचाई को बढ़ावा देते थे।

उस काल की आर्थिक गतिविधियाँ

उस युग की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित थी, जिसमें उन्नत सिंचाई प्रणाली का योगदान था। मंदिर शिलालेखों से यह भी ज्ञात होता है कि भूमि कर और व्यापार से मंदिरों को आर्थिक सहायता मिलती थी। उस समय मन्नार की खाड़ी से मोती, मसाले और वस्त्रों का व्यापार दूर देशों तक होता था। कायलपट्टिनम उनका प्रमुख समुद्री बंदरगाह था।

धर्म और आस्था

प्रारंभिक पांड्य शासक जैन धर्म के अनुयायी थे, लेकिन बाद में वे शैव और वैष्णव धर्म को अपनाने लगे। इस बदलाव की झलक मंदिर निर्माण, वेदिक अनुष्ठान और भक्ति गीतों से मिलती है। हाल ही में मिला शिव मंदिर उनकी धार्मिक भक्ति और वास्तुकला कौशल का प्रमाण है।

तमिल संस्कृति पर प्रभाव

पांड्य शासकों ने केवल शासन नहीं किया बल्कि तमिल साहित्य, भक्ति काव्य और नाटक को भी प्रोत्साहन दिया। मंदिर केवल पूजास्थल नहीं थे—वे कला, शिक्षा और समाजिक जीवन के केंद्र थे। तमिलनाडु की आज की कई परंपराएं उसी युग से प्रेरित हैं।

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विषय विवरण
खोज का स्थान उदमपट्टी, तमिलनाडु
मंदिर का काल 1217–1218 ईस्वी
शासनकाल के राजा मरवर्मन सुंदर पांड्य
मंदिर का नाम थेननवनीश्वरम
गांव का प्राचीन नाम अत्तूर
पांड्य राजधानी मदुरै
प्रशासनिक इकाइयाँ वलनाडु, नाडु, कुर्रम
प्रधानमंत्री का पदनाम उत्तरमंत्री
व्यापार वस्तुएँ मसाले, मोती, वस्त्र
प्रमुख बंदरगाह कायलपट्टिनम
धार्मिक परिवर्तन जैन धर्म से शैव और वैष्णव धर्म की ओर
प्रमुख साहित्य स्रोत संगम ग्रंथ, शिलालेख, विदेशी यात्रियों के वर्णन
Shiva Temple Discovery Sheds Light on Pandya Heritage
  1. तमिलनाडु के एक गाँव, उदमपट्टी में 2025 में 12वीं शताब्दी के एक शिव मंदिर की नींव का पता चला।
  2. यह मंदिर 1217-1218 ईस्वी का है, जो मारवर्मन सुंदर पांड्य के शासनकाल के दौरान बना था।
  3. शिलालेखों में मंदिर का नाम थेन्नावनीश्वरम लिखा है, जो इसे सीधे पांड्य राजाओं से जोड़ता है।
  4. शिलालेखों के साक्ष्य के अनुसार, इस गाँव को ऐतिहासिक रूप से अत्तूर कहा जाता था।
  5. यह मंदिर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर था, जो इसके क्षेत्रीय महत्व को दर्शाता है।
  6. यह खोज बाद के पांड्य प्रशासनिक और आर्थिक ढांचे की जानकारी प्रदान करती है।
  7. पांड्य राजवंश, चोलों और चेरों के साथ, मुवेंद्र राजवंश में से एक था।
  8. पांड्यों को कालभ्रों के आक्रमणों और चोलों से प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ा।
  9. मदुरै पांड्य साम्राज्य की राजधानी थी।
  10. पांड्य प्रशासन में वलनाडु, नाडु और कुर्रम जैसे विभाग थे।
  11. आधिकारिक पदनामों में प्रधानमंत्री को उत्तरमंत्री कहा जाता था।
  12. मंदिर भूमि अनुदान और स्थानीय कराधान प्रणालियों के साथ आर्थिक और सामाजिक केंद्रों के रूप में कार्य करते थे।
  13. कायलपट्टिनम बंदरगाह से मोतियों, मसालों और वस्त्रों के निर्यात से व्यापार फल-फूल रहा था।
  14. अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि प्रधान थी, जिसमें उन्नत सिंचाई प्रणालियाँ थीं।
  15. राजवंश धार्मिक रूप से जैन धर्म से शैव और वैष्णव धर्म में परिवर्तित हो गया।
  16. पांड्य राजाओं ने ब्राह्मण बस्तियों का समर्थन किया जो शिक्षा और सिंचाई को बढ़ावा देती थीं।
  17. मंदिरों में वैदिक अनुष्ठान, काव्यात्मक भजन और बड़े पैमाने पर उत्सव आयोजित किए जाते थे।
  18. संगम साहित्य, शिलालेख और विदेशी यात्रियों के वृत्तांत पांड्य इतिहास को संरक्षित करते हैं।
  19. पांड्य शासन ने तमिल साहित्य, नाटक और मंदिर-केंद्रित सांस्कृतिक जीवन को प्रेरित किया।
  20. उदमपट्टी की खोज तमिलनाडु की मंदिर विरासत और पांड्य विरासत की एक प्रमुख कड़ी है।

Q1. हाल ही में पांड्य वंश से संबंधित प्राचीन शिव मंदिर कहाँ खोजा गया?


Q2. थेनवनीश्वरम मंदिर जिस गाँव में खोजा गया, उस गाँव का प्राचीन नाम क्या था?


Q3. 1217–1218 ईस्वी के आसपास बने इस मंदिर का निर्माण किस पांड्य शासक के शासनकाल से जुड़ा हुआ है?


Q4. पांड्य प्रशासनिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री को कौन-सी उपाधि दी जाती थी?


Q5. पांड्यों के अधीन वह प्रमुख बंदरगाह नगर कौन-सा था, जो मोती, मसालों और वस्त्रों के समुद्री व्यापार के लिए प्रसिद्ध था?


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