पीएम2.5 प्रदूषण: भारत के शहरों के लिए क्या दांव पर है?
भारत में वायु प्रदूषण केवल धुंधले आकाश तक सीमित नहीं — यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। Respirer Living Sciences द्वारा जारी वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच राष्ट्रीय औसत पीएम2.5 स्तर में 27% की गिरावट देखी गई, फिर भी कई शहर सुरक्षित सीमाओं से काफी ऊपर हैं। PM2.5 सूक्ष्म कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर दमा, हृदय रोग और समयपूर्व मृत्यु का कारण बनते हैं। WHO की सिफारिश 5 µg/m³ से कम स्तर की है, लेकिन भारत के कई शहर इससे कई गुना ऊपर हैं।
कौन शहर सांस ले रहा है बेहतर हवा में?
कुछ शहरों ने दृष्टिगोचर सफलता हासिल की है। वाराणसी ने PM2.5 स्तर में 76% की गिरावट दर्ज की, जो एक असाधारण उपलब्धि है। अन्य प्रमुख शहर:
- मुरादाबाद – 58% गिरावट
- कलबुर्गी – 57.2%
- मेरठ – 57.1%
ये सफलताएँ स्थानीय उपायों के कारण संभव हुईं — जैसे बिजली चालित वाहन, सड़क की धूल नियंत्रण, खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध, और नियमित निगरानी। वाराणसी का बदलाव दिखाता है कि लक्ष्यपूर्ण प्रयासों से बड़ी प्रगति संभव है।
प्रदूषण हॉटस्पॉट: वे शहर जो अब भी संकट में हैं
अच्छी खबरों के बावजूद, कुछ शहर भयंकर प्रदूषण से जूझ रहे हैं:
- बर्नीहाट (असम) – 127.3 µg/m³ (भारत में सबसे अधिक)
- दिल्ली – 107 µg/m³
- गुरुग्राम – 96.7 µg/m³
- फरीदाबाद – 87.1 µg/m³
ये आंकड़े WHO सीमा से 20 गुना अधिक हैं। दिल्ली में पराली जलाना, ट्रैफिक और निर्माण धूल बड़ी समस्याएं बनी हुई हैं। बर्नीहाट में औद्योगिक प्रदूषण और कमजोर नियमों के चलते सुधार मुश्किल है।
NCAP: भारत की प्रमुख स्वच्छ वायु रणनीति
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत 2019 में हुई, जिसका प्रारंभिक लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक पीएम प्रदूषण में 20–30% की कमी लाना था। 2023 में इसे संशोधित कर 2026 तक 40% की कमी का लक्ष्य बनाया गया। NCAP के प्रमुख कदम:
- स्वच्छ ईंधन नीति और ईंधन परिवर्तन
- शहरी नियोजन और हरित सार्वजनिक परिवहन
- विस्तारित वायु निगरानी प्रणाली
- औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण और प्रवर्तन
हालांकि, क्रियान्वयन में क्षेत्रीय अंतर हैं, जिससे प्रगति असमान दिखती है।
STATIC GK SNAPSHOT FOR COMPETITIVE EXAMS (हिन्दी में)
विषय | तथ्य |
PM2.5 परिभाषा | 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कण; श्वसन बीमारियों का कारण |
WHO सुरक्षित सीमा | 5 µg/m³ वार्षिक |
NCAP शुरू होने का वर्ष | 2019 |
NCAP मूल लक्ष्य | 2024 तक 20–30% कमी (आधार वर्ष: 2017) |
संशोधित लक्ष्य | 2026 तक 40% PM2.5 में कमी |
सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला शहर | वाराणसी – 76% गिरावट (2019–2024) |
सबसे प्रदूषित शहर (2024) | बर्नीहाट, असम – 127.3 µg/m³ |
बड़े सुधार दिखाने वाले शहर | कलबुर्गी, मुरादाबाद, मेरठ |
वायु गुणवत्ता सुधार कारण | स्वच्छ ईंधन, परिवहन सुधार, कचरा जलाना प्रतिबंध |
प्रमुख प्रदूषण कारण | वाहन धुआँ, उद्योगों से निकास, पराली जलाना, निर्माण धूल |