भारत की रैंकिंग में मामूली सुधार, पर चुनौतियाँ गहरी बनी रहीं
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2025 में वैश्विक प्रेस की स्थिति को पहली बार “दुर्लभ परिस्थिति” बताया गया है। भारत की रैंकिंग 2024 के 159वें स्थान से बढ़कर 2025 में 151वें स्थान पर पहुँची है, लेकिन कुल स्कोर मात्र 32.96 रहा, जो सिस्टमेटिक चुनौतियों को उजागर करता है। भारत में पत्रकारों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कश्मीर में हिंसा, राजद्रोह कानूनों का दुरुपयोग, और सेंसरशिप का सामना करना पड़ रहा है। यह सुधार सांकेतिक है, लेकिन प्रेस स्वतंत्रता की स्थिरता पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
वैश्विक अवलोकन: नॉर्डिक देश शीर्ष पर, अधिनायकवादी देश सबसे नीचे
नॉर्वे (स्कोर: 92.31) ने लगातार शीर्ष स्थान बनाए रखा, उसके बाद एस्टोनिया, नीदरलैंड्स और स्वीडन जैसे देश हैं, जहाँ मजबूत कानूनी ढांचा, संपादकीय स्वतंत्रता, और बहुलवादी स्वामित्व मौजूद हैं। वहीं एरीट्रिया (180वां) और उत्तर कोरिया (179वां) जैसे देश मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए हुए हैं। चीन (178वां) और ईरान (176वां) जैसे देशों में राज्य नियंत्रण, निगरानी, और पत्रकारों की गिरफ्तारी आम बात है।
वैश्विक मीडिया पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव
रिपोर्ट के अनुसार, 180 में से 160 देशों में आर्थिक संकट ने स्वतंत्र मीडिया को कमजोर कर दिया है। विज्ञापन राजस्व में गिरावट और लागत में वृद्धि ने समाचार संस्थानों को नुकसान पहुँचाया है। अर्जेंटीना (87वां) और ट्यूनीशिया (129वां) जैसे देशों में न्यूज़रूम के सिकुड़ने से प्रेस स्वतंत्रता गिरी है। साथ ही राजनीतिक अस्थिरता और सत्तावादी नीतियाँ मीडिया की आज़ादी को सीमित कर रही हैं, जैसे कि फिलिस्तीन (163वां) और इज़राइल (112वां)।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति
भारत का 151वां स्थान, पिछले वर्ष की तुलना में 8 अंकों की उन्नति है, लेकिन रिपोर्ट इसे सतही सुधार मानती है। भारत में डिजिटल सेंसरशिप, पत्रकारों को डराना, और अपारदर्शी मीडिया नियमन की समस्याएँ बनी हुई हैं। विशेष रूप से प्रदर्शन, मानवाधिकार, और शासन संबंधी कवरेज में पत्रकारों को FIRs और निगरानी का सामना करना पड़ता है। भारत की प्रेस प्रणाली गतिशील जरूर है, लेकिन सामाजिक और कानूनी सीमाओं के अधीन है।
स्वामित्व की एकाग्रता और दमनकारी कानून
मीडिया स्वामित्व की एकाग्रता एक उभरती वैश्विक चिंता है। कनाडा (21वां) और फ्रांस (25वां) जैसे 46 देशों में स्वामित्व का प्रभाव संपादकीय स्वतंत्रता को कमजोर करता है। रूस (171वां) और वियतनाम (173वां) में स्वतंत्र मीडिया के लिए कोई स्थान नहीं है। साथ ही, जॉर्जिया (114वां) और जॉर्डन (147वां) जैसे देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी हस्तक्षेप के नाम पर कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है।
Static GK परीक्षा-संक्षेप सारणी
विषय | विवरण |
सूचकांक जारीकर्ता | रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) |
प्रकाशन वर्ष | 2025 |
भारत की रैंकिंग (2025) | 151वां (2024 में 159वां) |
भारत का स्कोर | 32.96 |
शीर्ष देश | नॉर्वे (स्कोर: 92.31) |
सबसे नीचे रैंक प्राप्त देश | एरीट्रिया (स्कोर: 11.32) |
भारत की मुख्य प्रेस चुनौतियाँ | हिंसा, राजद्रोह कानून, डिजिटल सेंसरशिप |
सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश | उत्तर कोरिया (179), चीन (178), सीरिया (177), ईरान (176), रूस (171) |
आर्थिक बाधा की रिपोर्ट | 180 में से 160 देशों में |
स्वामित्व एकाग्रता पर चिंता | 46 देशों में, जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया |